गुरुवार, 1 अगस्त 2019

पीजीआइ ने 24 घंटे के बच्चे की खाने की नली ठीक कर दिया राहत



पीजीआइ ने 24 घंटे के बच्चे की खाने की नली ठीक कर दिया राहत
चार हजार जंम लेने वाले बच्चों में एक में होती है खाने के नली में बनावटी  खराबी
ट्यूब नहीं सीधे आमाशय और खाने की नली को जोड़ कर सामान्य किया खाने का रास्ता

मां बनने की खुशी चंद घंटों में खत्म हो गयी तब नवजात को दूध पिलाया तो वह उल्टी कर दिया। एक बार -दो बार ऐसा ही होता रहा डाक्टर ने बताया कि बच्चे की खाने की नली ही नहीं बनी है जिसके कारण बच्चा दूध नहीं पी पा रहा है। यह लोग तुरंत लेकर संजय गांधी पीजीआइ आये जहां पर पिडियाट्रिक सर्जन प्रो. विजय उपाध्याय ने परीक्षण किया तो देखा कि खाने की नली नीचे तक नहीं जुडी है । खाने की नली से सांस की नली भी जुडी है। प्रो. उपाध्याय ने अगले दिन सर्जरी कर सांस को नली के साथ खाने की नली को अलग कर दिया। चार दिन बाद नवजात ने दूध पिया तो तो मां ने राहत की सांस ली। प्रो. उपाध्याय के मुताबिक कई बार सांस की नली ठीक होती है लेकिन खाने की नली नहीं बनी होती है ऐसे मामले में खाने की नली को गले से पास निकाल देते है और आमाशय  में एक ट्यूब डालकर उसका मुंह बाहर निकाल देते है जिससे बच्चे को आहारा दिया जाता है। जब बच्चे का वजन 10 किलो हो जाता है जब हम आमाशय को खाने की नली से जोड़ते है। कुछ सर्जन आमाशय और खाने की नली बनाकर जोड़ते है  जिससे लीकेज की आशंका रहती है लेकिन हम सीधे जोड़ते है इससे लीकेज  की आशंका काफी कम होती है। इस बीमारी को डाक्टरी भाषा में ट्रेकियल इसोफेजियल फेस्चुला विथ इसोफेजियल एट्रेसिया कहते है। जंम लेने वाले 4 हजार बच्चों में एक में यह परेशानी होती है। 

देर करने पर निमोनिया के कारण बच्चे की हालत हो जाती है गंभीर

खाने की नली और सांस की नली आपस में जुडी होने पर दूध पिलाने पर दूध फेफडे में चला जाता है जिसके कारण बच्चे को निमोनिया हो जाता है। कई बार निमोनिया के कारण हालत गंभीर हो जाती है। प्रो. उपाध्यायन के मुताबिक बच्चा दूध न पीएं, पीते ही उल्टी कर दे, तेज सांस चले , मुंह से लार अधिक आए तो तुरंत विशेषज्ञ  से सलाह लेना चाहिए। 50 फीसदी नवजात पैदा होने के एक से दो दिन में हमारे पास आ जाते है । 


जंम के तुरंत बाद खाने की नली और मल द्वार का हो परीक्षण

प्रो. विजय उपाध्याय के मुताबिक बडे अस्पताल में नवजात के जंम लेते ही फीडिंग ट्यूब से खाने की नली का परीक्षण कर लिया जाता है। ट्यूब 10 सेमी से अधिक खाने की नली में नहीं जाती है लेकिन छोटे अस्पतालों या घर पर प्रसव के मामले में परीक्षण नहीं होता है जिसके कारण बच्चे में जंम जात खाने की नली की बनावटी खराबी का पता नहीं लगता है।

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