मंगलवार, 6 अगस्त 2019

पीजीआइ- टेक्नीशियन खी भूख हड़ताल खत्म, नर्सेज ने दिया अल्टीमेटम, पेशेंट हेल्परो को 3 माह से नहीं मिला वेतन

पीजीआई टेक्नीशियन संवर्ग की भूख हड़ताल खत्म
 संस्थान प्रशासन ने जारी किया 
आदेश संशोधन के लिए 15 दिन का समय
 
पीजीआई में एम्स की समतुल्यता की मांग कर रहे मेडिटेक एसोसिएशन के अध्यक्ष डीके सिंह और महामंत्री सरोज वर्मा आज 9:30 बजे से भूख हड़ताल पर बैठ गए थे शाम 7:00 बजे संस्थान प्रशासन ने लंबित आदेश को जारी करने के बाद भूख हड़ताल खत्म कराया। निदेशक प्रोफेसर राकेश कपूर और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर अमित अग्रवाल वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भरत सिंह ने जूस पिलाकर भूख हड़ताल खत्म कराया । टेक्नीशियन संवर्ग का आदेश जो एम्स के समतुल्य था उसे संस्थान प्रशासन 3 साल से लागू नहीं कर रहा था जिससे नाराज होकर मंगलवार को कर्मचारी नेता भूख हड़ताल पर बैठ गए थे। मेडिटेक एसोसिएशन के अध्यक्ष डीके सिंह और महामंत्री सरोज वर्मा का संस्थान के सभी कर्मचारी संगठनों समर्थन दिया है।  हालांकि मंगलवार शाम को पीजीआई प्रशासन द्वारा भूख हड़ताल खत्म करने की चेतावनी दी गई, जिससे कर्मियों में खासी नाराजगी है।
मेडिटेक एसो. के महामंत्री सरोज वर्मा का कहना है कि वर्ष 2015 में एम्स ने टेक्नीशियन कैडर के लिये आदेश किया था। इसके संज्ञान में 17 अक्तूबर 2018 में सरकार ने शासनदेश भी जारी कर दिया लेकिन पीजीआई प्रशासन इसे संस्थान में लागू नही कर रहा था। इस मौके पर पीजीआई कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष जितेन्द्र यादव, महामंत्री धर्मेश कुमार के अलावा पूर्व अध्यक्ष सतीश मिश्रा व महामंत्री राम कुमार सिन्हा समेत भारी संख्या में कर्मचारी नेता शामिल हुये।

नर्सिंग एसोसिएशन ने दिया अल्टीमेटम
नर्सिंग स्टाफ एसो. की अध्यक्ष सीमा शुक्ला  ने  कैडर के पदनाम और कैडर रिस्ट्रक्चरिंग समेत अन्य सुविधायें एम्स के समान लागू करे। इस सम्बंध में एनएसए ने मंगलवार को संस्थान निदेशक को पत्र भी दिया है।   संस्थान प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि संस्थान प्रशासन ने उनके मांगों पर जल्द निर्णय नही लिया तो वह हड़ताल के लिये बाध्य होंगी।


पीजीआइ पेशेंट हेल्परों को नहीं मिला तीन माह से वेतन
 वह भी नहीं घर में रोटी के लाले किया प्रदर्शन
  

संजय गंधी पीजीआइ में तैनात आउट सोर्स पेशेंट हेल्परों को रोटी के लाले पड़ गए है । संस्थान में तैनात पांच सौ से अधिक पेशेंट हेल्परों  ने मुख्य चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय के सामने विरोध दर्ज करा कर कहा कि घर से दूर 6 हजार पांच सौ  की नौकरी कर रहे है वह भी समय से नहीं मिलता है। उधार तक समान व्यापारियों ने देना बंद कर दिया है। घर का किराया नहीं दे पा रहे है माकनमालिक घर खाली करने को कह रहे हैं। घर में खाने के लाले पड़ गए है। बच्चों की फीस तक नहीं जमा हो पा रही है। नाराज पेशेंट हेल्परों ने कहा कि जब से एजेंसी अपट्रान के पास गयी तभी से वेतन की परेशानी हो गयी है। पहले वाली एजेंसी के साथ यह परेशानी नहीं थी। दिसंबर 2018 में एजेंसी बदली गयी तभी से परेशानी हो रही है। वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भरत सिंह ने कहा कि एजेंसी बदलने से सिस्सटम को अपडेट करने में समय लगा है। हम लोगों पूरी कोशिश में है कि हर माह समय से वेतन मिले।  




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