शुक्रवार, 30 अगस्त 2019

शुरू होगा ट्रामा में एमसीएच नियोनेटल में होगी सुपरस्पेशिएल्टी की पढाई - न्यूरो सर्जन प्रो. संजय बिहारी, छात्र डा. सुव्रत और डा. कृष्णा को विशेष पुरस्कार


पीजीआइ का दीक्षां समारोह आज
शुरू होगा ट्रामा में एमसीएच
नियोनेटल में होगी सुपरस्पेशिएल्टी की पढाई 

  

संजय गांधी पीजीआइ ने पोस्ट डाक्टरल सार्टीफिकेट कोर्स पाठक्रम का समय अवधि एक साल से बढा बढा कर दो साल करने का निर्णय लिया है। इससे छात्रों को और अधिक विशेषज्ञता हासिल होगी। यह जानकारी संंस्थान के निदेशक प्रो. राकेश कपूर, डीन प्रो.एसके मिश्रा, रजिस्ट्रार प्रो.सोनिया नित्यानंद ने संस्थान के 24 वें दीक्षांत समारोह के पूर्व पत्रकार वार्ता में दिया। बताया कि नियोनेटल में दो सीट डीएम, गैस्ट्रो सर्जरी में 4 सीट एमसीएच, रेडियोथिरेपी में चार एमडी और एनेस्थेसिया में 14 सीट एमडी का बढाया है । इससे देश में विशेषज्ञों की संख्या बढेगी। इसके आलावा एमसीएच ट्रामा शुरू की योजना पर काम हो रहा है। यह जैक आफ आल ट्रेड होंगे क्योंकि  यह हर तरह की सर्जरी कर सकेंगे। प्रो. कपूर ने बताया कि हमारा जोर संस्थान को इस्टीट्यूट आफ एमीनेंस घोषित कराने पर रहेगा। इससे संस्थान के केंद्र सरकार से पैसा मिलेगा जिससे संस्थान का और विकास संभव होगा। नेशनल रैकिंग में संस्थान उत्तर भारत का तीसरा और देश का चौथा संस्थान हासिल कर चुका है। समारोह में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्ष वर्धन आ रहे है उनसे आग्रह करेंगे कि वह संस्थान के विभागों के देख कर आकलन करें जिससे दर्जा मिल सके। दीक्षांत सामोरह में 6 पीएचडी, 34  डीएम, 18 एमसीएच, 22 को एमडी और पीडीसीसी, 6 मास्टर आफ हास्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन डिग्री दी जाएगी इसके आलावा 33 बीएससी नर्सिग छात्रों को डिग्री प्रदान की जाएगी। समारोह में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के आलावा कई अधिकारी भाग लेंगे।             




प्रो. संजय बीहारी को प्रो.एसआर नायक आउट स्टैडिंग एवार्ड
सुपर स्पेशिएल्टी में स्पेशिएल्टी के जरिए संभव होगी सफल न्यूरो सर्जरी 

प्रो.एसआर नायक एवार्ड पाने वाले न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रमुख प्रो. संजय बीहारी का क्रेनियल वर्टीब्रल जंक्शन के ट्यूमर, जंक्शन में बनावटी खराबी, स्कल बेस ट्यूमर, एन्यूरिज्म, ब्रेन ट्यूमर की मिनिमल इनवेसिव सर्जरी सहित अन्य ब्रेन की सर्जरी की तकनीक स्थापित किए। इन तकनीको पर  पर तीन सौ से अधिक शोध है। सात किताब के आलावा सौ से अधिक बुक चैप्टर है।   पचास से अधिक एवार्ड, फेलोशिप मिल चुका है। प्रो. बीहारी कहते यह सब उपलब्धि बिना रेडियोलाजिस्ट, पैथोलाजिस्ट, न्यूरोलाजिस्ट, एनेस्थेसिया विशेषज्ञ, स्टाफ नर्सेज, उपकरण, रेजीडेंट डाक्टर और साथी संकाय सदस्य, संस्थान प्रशासन के बिना संभव नहीं था। 1992 में संस्थान में रेजीडेंट  के रूप में ज्वाइन किया। एमसीएच करने के बाद 1996 में यही संकाय सदस्य के रूप में ज्वाइन किया। अभी तक 7 हजार पांच सौ से अधिक  न्यूरो सर्जरी कर चुके है।   स्पेशिएलटी के रूप में प्रो. अवधेश जायसवाल स्कल बेस, प्रो. अरूण कुमार श्रीवास्तव मिनिमल इनवेसिव और स्पाइन सर्जरी, प्रो.अनंत मेहरोत्रा एपीलिप्सी, प्रो. जायस सरधारा मिनिमल इनवेसिव, प्रो. कमलेश सिंह बैसवारा वेस्कुलर सर्जरी, प्रो. वेद प्रकाश मौर्य स्टीरियोटेक्सी, प्रो. कुतंल दास ब्रेन ट्यूमर, प्रो. पवन वर्मा मूवमेंट डिसआर्डर पर सर्जरी शुरू करने जा रहे हैं। प्रो. अमित केशऱी और प्रो. रवि शंकर न्यूरो ओटोलाजी में विशेषज्ञता स्थापित किए।  यह मेरी और मेरे विभाग की सबसे बडी उपलब्धि है।  यह एवार्ड पिठले दस साल में शोध सहित अन्य उपलब्धियों के आधार पर किसी  एक संकाय सदस्य को दिया जाता है।   


 क्लीनिकल इम्यूनोलाजी के डा. सुव्रत को प्रो.एसएस अग्रवाल और प्रो,आरके शर्मा एवार्ड

क्लीनिकल इम्यूनोलाजी विभाग के डा. सुव्रत आर्य को छिपे टीबी बैक्टीरिया का पता लगाने के लिए नई तकनीक की शोध के लिए ऐवार्ड दिया गया। वह इस समय इंग्लैंड में फेलोशिप पर गए है । विभाग के प्रमुख  प्रो.आरएन मिश्रा ने बताया कि इस तकनीक में रक्त के टी सेल का रिस्पांस देखा जाता है।  अभी तक शरीर में बैक्टीरिया छिपे होने का पता लगाने के लिए पीपीडी( मांटेक्स ) टेस्ट किया जाता है लेकिन इससे केवल 50 से 60 फीसदी लोगों में छिपे संक्रमण का पता लगता है लेकिन टी  सेल रिसपांस स्टडी से 97 फीसदी तक छिपे बीक्टीरिया का पता लगा कर समय पर इलाज शुरू कर समाज को संक्रमण से बचाया जा सकता है। हर व्यक्ति में टीबी का बैक्टीरिया छिपा है देखा गया शरीर का इम्यून सिस्मटम कमजोर होने के सा 10 फीसदी से अधिक लोग दो से पांच साल बीमारी के लक्षण आने लगते है। इस शोध से लक्षण आने से पहले इलाज कर आंगों को बचाया जा सकता है। 

न्यूरो सर्जरी के डा. डी कृष्णा कुमार को प्रो.आरके शर्मा  बेस्ट एमसीएच स्टुडेंट एवार्ड

ट्राइजेमल न्यूरालजिया का कारण बनता नर्व को दबाने वाली नस

न्यूरो सर्जरी विभाग के डा. कृण्णा कुमार को इस साल बेस्ट एमसीएच स्टुडेंट एवार्ड मिला है। डा. कृण्णा के तीन साल में सात रिसर्च पेपर है। इसके आलावा एमसीएच के फाइनल एक्जाम में सबसे अधिक अंक प्राप्त किए है जिसके लिए इन्हें एवार्ड मिला। डा. कृष्णा ने बताया कि ट्राइजेमल न्यूरालजिया में गले के ऊपर स्थित नर्व के ऊपर नस के दबाव से गाल , जबडे के किसी हिस्से में असहनीय दर्द होता है। हम लोग नस और नर्व के बीच में टेफलाल लगा देते है जिससे दर्द खत्म हो जाता है कई बार इस सर्जरी के बाद भी दर्द नहीं खत्म होता है ऐसे में कारण पता करने के लिए शोध किया तो पता चला कि नर्व के कुछ दूसरे नसे चिपकी रहती है जिसके कारण दर्द होता है। अभी तक इन नसों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। इसके आलावा रीढ की हड्डी के निचले हिस्से में बनावटी खराबी के कारण फोडा हो जाता है जिसे मैनिगोमाइसील कहते है । कई बार फोडे की सर्जरी के बाद भी वहां पर नस छिपकी रहती है जिसके कारण आगे चल कर पैर में कमजोरी आ जाती है। इसका पता लगाने के लिए एमआरआई किस स्थित में किया जाए यह पता डा. सवेश सिंह के साथ मिल कर लगाया। 

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