मंगलवार, 31 अक्तूबर 2017

स्तन कैंसर के इलाज के दौरान लापरवाही पड़ सकती है भारी

स्तन कैंसर के इलाज के दौरान लापरवाही पड़ सकती है  भारी

कीमोथिरेपी के दौरान लापरवाही से हो सकता है संक्रमण


जागरणसंवाददाता। लखनऊ 

गोरखपुर की 45 वर्षीया रजनी पेशे से स्त्री रोग विशेषज्ञ है। स्तन कैंसर की परेशानी होने पर इलाज के लिए कीमोथिरेपी शुरू गयी । थिरेपी शुरू करने के साथ इन्हें तमाम एहतियात दी गयी लेकिन इन्होंने एहितायत नहीं बरता और मरीज भी देखती रहीं। किसी मरीज में टीबी जिससे इन्हे एमडीअार टीबी हो गयी जिससे तमाम परेशानी का समान करना पड़ा। स्तन कैंसर से पहले टीबी का इलाज करने में काफी समय खराब हो गया। एेसा केवल इनके साथ नहीं हुअा संजय गांधी पीजीआई के इंडोक्राइन सर्जन प्रो.ज्ञान चंद के मुताबिक 15 से 20 फीसदी मरीज कैंसर के इलाज के दौरान डाक्टरी सलाह न मानने के कारण इलाज के दौरान संक्रमण के शिकार हो जाते है जिससे इलाज तो बाधित होता है साथ ही मौत तक हो जाती है। विशेषज्ञों के मुताबिक  मरीज में इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। इस कारण इनमें संक्रमण की अाशंका बढ़ जाती है।

पढे लिखे भी खतरे से अंजान
 प्रो.ज्ञान ने बताया कि कम पढे लिखी महिलाएं स्तन कैंसर का पता न लगा पाएं यो तो हो सकती है लेकिन राजधानी के बडे स्कूल की शिक्षिका के स्तन में गांठ हुई तो वह इलाज के लिए स्त्री रोग विशेषज्ञ के पास चली गयी जिसके कारण इनमें कैंसर का पता लगने में 6  महीने लग गया। हमारे पास अाते -अाते कैंसर इतना बढ़ गया कि पूरा स्तन निकालना पड़ा। 

75 फीसदी एडवांस स्टेज में अाती है विशेषज्ञ के पास 

प्रो. ज्ञान चंद  75 फीसदी महिलाएं कैंसर के एडवांस स्टेज में अाती है जिसमें स्तन को बचाना संभव नहीं हो पाता। इनमें पहले कीमोथिरेपी करके गांठ को छोटा करना पड़ता है फिर स्तन को निकालना पड़ता है।  

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