सोमवार, 30 अक्टूबर 2017

सूबे में मरीजों के जांच में नाम पर घोटाला


सूबे में मरीजों के जांच में नाम पर घोटाला 
खून जांचने वालों के सर्टिफिकेट निकले फर्जी



सूबे के सरकारी अस्पतालों में खून की मुफ्त जांच में जमकर खेल हो रहा है। जिस कंपनी को जांच का ठेका दिय गया है उसने स्वास्थ्य केंद्रों पर अप्रशिक्षित व अयोग्य कर्मी तैनात कर रखे हैं। उनके सर्टिफिकेट भी फर्जी हैं। यह सभी रोजाना हजारों मरीजों की जांच कर उनकी जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की जांच में यह बात सामने आई है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत प्रदेश की सीएचसी और जिला अस्पतालों में पीपीपी मॉडल पर मुफ्त रक्त जांच योजना शुरू की गई है। इसकी जिम्मेदारी कृष्णा डायग्नोस्टिक सेंटर को सौंपी गई है। लेकिन कंपनी ने काम शुरू करते ही मरीजों की जिंदगी दांव पर लगा दी है। अगस्त में कंपनी द्वारा अस्पतालों में मरीजों की जांच में अनियमितता बरते जाने की बात सामने आई थी। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने जांच कराई तो पता चला कि कंपनी के कर्मचारी अप्रशिक्षित हैं और उनके डिप्लोमा फर्जी हैं।1स्वास्थ्य महानिदेशक ने 11 अक्टूबर की अपनी रिपोर्ट में बताया कि कंपनी 222 सीएचसी व सात जिला अस्पताल में जांच कर रही है। वहीं सीएचसी से लेकर डायग्नोस्टिक सिस्टम में कुल 400 कर्मी तैनात होना बताए गए हैं। इसमें से 210 लैब टेक्नीशियन व लैब असिस्टेंट के प्रमाण पत्र उपलब्ध कराए गए हैं। इसमें से 141 कर्मियों के प्रमाण पत्र फर्जी होने की आशंका व दो का अयोग्य होना बताया गया। योजना में 822 सीएचसी व 95 जिला अस्पताल शामिल हैं।
स्वास्थ्य विभाग की जांच में सामने आया सच
पीपीपी मॉडल जांच में धांधली, मरीजों से हो रहा खिलवाड़मरीजों से खुला खिलवाड़1पीपीपी मॉडल पर जांच में मरीजों की जिंदगी से खुला खिलवाड़ किया जा रहा है। इसमें एमसीआइ के सकरुलर वर्ष 2014 व एनएबीएल के मानकों को दरकिनार कर अप्रशिक्षित लोगों से इंटरवेंशन व डायग्नोस्टिक संबंधी काम लिए जा रहे हैं।

योग्यता के ये थे मानक
शासन ने सैंपल कलेक्शन के लिए 12वीं विज्ञान वर्ग के अभ्यर्थी को ही योग्य माना था। इसके अलावा इन अभ्यर्थियों के पास सीएमएसटी-डीएमएलटी या फिर बीएमएलटी डिप्लोमा के साथ-साथ छह माह का अनुभव अनिवार्य था। 


सीएचसी पर 25 तरह के टेस्ट होने थे, जिला अस्पताल में 63 जांचें होनी थी।1कंपनी ने रीप्रजेंटेंशन दिया था। इसे मैंने खारिज कर दिया है। कार्रवाई के लिए पत्र डीजी हेल्थ को भेज दिया है।.....प्रशांत कुमार, अपर मुख्य सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य

कृष्णा डायग्नोस्टिक सेंटर ने मानकों को नजरंदाज किया है। उसके कर्मियों के प्रमाण पत्र भी फर्जी होने की आशंका है। इस संबंध में रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। शीघ्र कार्रवाई होगी।...डॉ. पद्माकर सिंह, डीजी हेल्थ

मैं बाहर हूं, इस समय कुछ नहीं बता सकती हूं।.....पल्लवी जैन, मैनेजिंग डायरेक्टर, कृष्णा डायग्नोस्टिक


जांच में यह हुआ उजागर
-कंपनी ने 400 कर्मियों की तैनाती बताई, प्रमाण पत्र सिर्फ 210 के प्रस्तुत किए
-यह 210 कर्मी लैब टेक्नीशियन व लैब अटेंडेंट बताए गए
-इनमें 23 कर्मियों ने बुलंदशहर के एक पैरामेडिकल कॉलेज के दस्तावेज लगाए, इन पर रोल नंबर व इनरोलमेंट नंबर ही नहीं दर्ज हैं1
-12 कर्मियों के ऐसे प्रमाण पत्र हैं जिन पर पाठ्यक्रम का नाम ही अंकित नहीं हैं, आखिर कौन सा डिप्लोमा है इसका पता ही नहीं
-69 कर्मियों के इंटर के प्रमाण पत्र ही नहीं संलग्न किए गए
-दो कर्मियों के प्रमाण पत्र विज्ञान वर्ग के बजाय कला वर्ग के लगे मिले1
-रिपोर्ट में कर्मियों के प्रमाण पत्र फर्जी होने की आशंका व्यक्त की गई है1

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