बुधवार, 11 अक्तूबर 2017

संजय गांधी पीजीआइ के प्रो.एसके याचा और प्रो.केएन प्रसाद को मिला अाईसीएमअार एवार्ड


दोनों के काम पर नजर.....



परजीवी बन सकता है मिर्गी का कारण
माइक्रोबायलोजी विभाग के: प्रो. के एन प्रसाद को आईसीएमआर का बीके एकत ओरेशन एवार्ड

 न्यूरोलाजिकल बीमारी न्यूरोसिस्टीसारकोसिस (एनसीसी) पर लंबे समय से काम कर रहे हैं। हेल्कोवेक्टर पायलोरी और पेट कैंसर के बीच संबंध। एंटी बायोटिक रजिस्टेंस , ब्रेन एब्सेस के कारण का पता लगाने के लिए लंबे समय से काम कर रहे हैं। न्यूरोसिस्टीसारकोसिस के बारे में बताया कि  इस बीमारी पर प्रो. प्रसाद ने देखा सूअर पालन का काम करने वाले लोगों में इस बीमारी की आशंका सामान्य लोगों के मुकाबले अधिक होती है। प्रो. प्रसाद ने इस व्यवसाय में लगे 595 लोगों में इस बीमारी का अध्ययन किया तो पाया कि इस व्यवसाय में लगे 15 फीसदी लोगों में एनसीसी बीमारी थी। इस बीमारी का टीनिया सोलियम( फीता कृम) है। यह खाने के रास्ते पेट से जाकर वहां पर अंडे देता है। अंडे रक्त प्रवाह के जरिए दिमाग में चले जाते हैं। इसकी वजह से व्यक्ति को मिर्गी का दौरा पड़ता है। इस अध्ययन के बाद प्रो. प्रसाद ने मालीक्यूलर लेवल पर बदलाव और जीन से संबंध पर कम किया। बीमारी को पकड़ने के लिए  डीटीआई मैट्रिक्स में बदलाव पर रेडियोलाजी विभाग के साथ मिल कर काम किया। इसके अलावा प्रो. प्रसाद ने गुलेन बैरी सिंड्रोम पर काफी काम किया है। इनके तीन सौ से अधिक रिसर्च पेपर हैं। प्रो. प्रसाद ने बताया कि मीट का मांस खूब पका कर ही खाना चाहिए। हरी सब्जी को खूब धो कर ही पकना चाहिए। बरसात के मौसम में फीता कृम के अंडे सब्जी में चिपक में जाते है जिसे खाने से यह बीमारी हो सकती है।



प्रो.एसके याचा को आईसीएमआर का एमएन सेन ओरेशन एवार्ड

देश में पहले बाल पेट रोग विभाग स्थापित करने वाले संजय गांधी पीजीआइ के पिडियाट्रिक गैस्ट्रो इंट्रोलाजी के प्रमुख प्रो.एसके याचा ने पहली बार सिलिएक डिजीज के जांच , बचाव , जागरूकता के तमाम पहलुओं पर काम किया इसके साथ इनके नाम इंटरनेशनल उपलब्धियां है।
वर्ष 2005 में देस का पहला पिडियाट्रिक गैस्ट्रोइंट्रोलाजी विभाग संस्थान में स्थापित हुआ आज भी यह देश का अकेला विभाग जहां पर बच्चों के पेट संबंधी परेशानी का सभी इलाज होता है। हम एक दिन के बच्चे का भी इंडोस्कोप करते है। हम देश के लिए बाल पेट रोग विशेषज्ञ तैयार कर रहे हैं। हर साल तो डीएम और चार से पांच पीडीसीसी तैयार कर रहे हैं। देश में 40 फीसदी बच्चों के पेट में परेशानी होती है इसमें 60फीसदी लिवर, 30 फीसदी में आंत की परेशानी होती है। बाल पेट रोग विभाग की विशेषज्ञता के आभाव में तमाम बच्चों का जीवन खतरे में रहता था। उपलब्धियां

-सात बुक चैप्टर - द गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम , हिपैटिक डिसआर्डर, ग्लोबल विलेज आफ सिलिएक डिजीज, निय़ोनेटल क्लोइओस्टेसिस, मैनजमेंट आफ एक्यूट गैस्ट्रोइंटेसटाइन ब्लीडिंग सहित अन्य विषयों पर विश्वस्तीर किताबों में छपा है।
-80 से अधिक रिसर्च पेपर( बच्चों की पेट की बीमारी के कारण और इलाज के नए तरीके पर आधारित नई खोज शामिल है। 
- 16 बेस्ट पेपर एवार्ड ( सारे रिसर्च पेपर इंडियन एकेडमी आफ पिडियाट्रिक, इंडियन एसोसिएशन आफ पिडियाट्रिक गैस्ट्रोइंट्रोलाजी, एसियन स्पेस्फिक स्टडी आफ लिवर सहित कई अन्य एसोसिएशन के बैठक में प्रस्तुत किया गया।

- इंडियन एसोसिएशन आफ गैस्ट्रोइंट्रोलाजिस्ट, इंडियन एसोसिएशन आफ पिडियाट्रिक सहित कई संगठनों के सदस्य एवं पदाधिकारी
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