रविवार, 31 दिसंबर 2017

ग्रामीण क्षेत्र के 24.7 फीसदी में बढ़ा मिला रक्त दाब

शहरी बीमारी गांव में जमा रही है जडें
 ग्रामीण क्षेत्र के  24.7 फीसदी में बढ़ा मिला रक्त दाब 


कुमार संजय। लखनऊ
दिल और दिमाग का दुश्मन उच्च रक्तचाप से गांवों में अपनी जड़ें जमा चुका है। संजय गांधी पीजीआई के हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो.सुदीप कुमार कहते है कि शहरी बीमारी गांव में भी जडे जमा रहा है। नेशनल फेमली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट पर गौर करें तो पता चलता है कि ग्रमीण क्षेत्र में बीपी की परेशानी 24.7 फीसदी में है जबकि शहरी क्षेत्र के 21.0 फीसदी लोगों में है। कुल उच्च् रक्त चाप से ग्रस्त लोगों में 8.8 फीसदी महिलाएं और 13.4 फीसदी पुरूष है जिसमें ग्रामीण और शहरी दोनों शामिल है। उच्च रक्त चाप को तीन श्रेणियों में बांटा गया है- सामान्य से थोड़ा अधिक रक्तचापअधिक रक्तचाप और बहुत अधिक रक्तचाप। इससे भी बड़ी चिंता की बात यह है कि ऐसे लोगों की तादाद काफी ज्यादा हैजिनको उच्च रक्तचाप होने की आशंका है। ये लोग बीमारी से ठीक पहले की स्थिति में हैं। इसका मुख्य कारण जीवन शैली बदलाव । बैठकर अधिक समय गुजार रहे हैं। धूम्रपान की भी इसमें अहम भूमिका है। फल और सब्जियों का कम सेवन भी उच्च रक्तचाप के लिए जिम्मेदार है।


नमक भी है एक वजह    
प्रो. सुदीप कहते है कि शरीर गुर्दे की मदद से अतिरिक्त नमक को बाहर निकालता है। खाद्य पदार्थों में अत्यधिक नमक की वजह से गुर्दों पर बोझ बढ़ जाता है और वे अपना काम करना बंद कर देते हैं। ऐसी स्थिति में नमक रक्त में घुलने लगता हैजिससे रक्त में पानी की मात्रा बढ़ जाती है। इससे धमनियों पर दबाव पड़ने के कारण रक्तचाप बढ़ जाता है।इस तनाव से निपटने के लिए रक्त वाहिकाएं तथा धमनियां मोटी होती जाती हैं। ऐसा होने पर रक्त के प्रवाह के लिए बहुत ही कम जगह बचती है और रक्तचाप पुनः और अधिक बढ़ता है। इससे उत्पन्न तनाव से निपटने के लिए दिल अपनी कार्यगति बढ़ाता है और ह्रदय की बहुत सारी बीमारियों की संभावनाओं को जन्म देता है।

बढा रहा है इलाज का खर्च
विशेषज्ञों का कहना है कि एक ग्रामीण व्यक्ति ह्रदय और रक्तवाहिका संबंधी रोगों पर हर बार औसतन 438 रुपये खर्च करता है। इस तरह की बीमारियों के लिए एक ग्रामीण का जहां सरकारी अस्पताल का खर्च 240 रुपये है वहीं निजी अस्पताल में 470 रुपये तक औसतन व्यय होता है। ह्रदय और रक्तवाहिका संबंधी रोग की वजह से अगर व्यक्ति को एक बार अस्पताल में भर्ती होना पड़ेतो औसतन करीब 31,647 रुपये खर्च होते हैं। सरकारी अस्पताल का खर्च जहां 11,549 रुपये हैवहीं प्राइवेट अस्पताल में यह खर्च 43,262 रुपये बैठता है।


50 फीसदी को हाई बीपी का नहीं आभास

चिंताजनक बात यह है कि ऐसे लोगों की संख्या गांव में अधिक हैजिन्हें मालूम भी नहीं है कि वे उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन की बीमारी से ग्रसित है। गांव के 50 से  60 लोगों को इसका आभास तक नहीं होता है। ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि इस बीमारी का शुरुआत में कोई विशेष लक्षण नहीं दिखता। इसलिए हम लोग एक स्क्रीनिंग जरूरी है।  30 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों में मधुमेह और उच्च रक्तचाप की जांच कराते रहना चाहिए। अगर रक्तचाप के अधिक होना का पता चलता है तो बहुत हद तक इसे बिना दवा के ही ठीक किया जा सकता है।

यह है बीपी का पैमाना
 सिस्टोलिक रक्तचाप की स्थिति 120 से 129 एमएमएचजी और डायस्टोलिक रक्तचाप की स्थिति 80 से 89 एमएमएचजी के बीच की होती है। अगर यह दबाव 115/75 एमएमएचजी से कम या ज्यादा होता हैतो खतरा बढ़ता है। प्रत्येक 20/10 एमएमएचजी चढ़ाव पर दिल की बीमारियों की संभावना दोगुना होती जाती है। 



उच्च रक्तचाप के खतरे 
         स्ट्रोक: उच्च रक्तचाप से एक समय बाद दिल का आकार बढ़ने के कारण यह ठीक से खून पंप करना बंद कर देता हैजिससे स्ट्रोक और हार्ट फेल होने का खतरा बढ़ जाता है।
         ऐन्यूरिज्म: उच्च रक्तचाप के कारण नसों में कमजोरी और सूजन आ जाती है। ऐन्यरिज्म फटने से मौत भी हो सकती है।
         किडनी खराब: किडनी की रक्त धमनियां कमजोर और पतली हो जाती हैंजिससे किडनी ठीक से काम नहीं कर पाती।
         आंखों की रोशनी जाना: आंखों की रक्त धमनियां प्रभावित होने से अंधेपन का ख़तरा भी उत्पन्न हो जाता है।
         मेटाबॉलिक सिंड्रोम: यह शरीर में ऊर्जा के उपयोग और स्टोरेज से संबंधित अनियमितता है। उच्च रक्तचाप होने पर मेटाबॉलिक सिंड्रोम से जुड़ी अन्य सेहत संबंधी परेशानी होने की आशंका अधिक बढ़ जाती है।



शुक्रवार, 29 दिसंबर 2017

डब्लूएचओ ने बनाया सुरक्षित प्रसव के लिए चेक लिस्ट

डब्लूएचओ ने बनाया सुरक्षित प्रसव के लिए चेक लिस्ट  




सेफ चाइल्ड बर्थ चेक लिस्ट से संभव हो सकता है सुरक्षित प्रसव

विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रदेश की डेढ़ लाख महिलाओं पर किया किया चेक लिस्ट पर शोध

कुमार संजय। लखनऊ
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ने सुरक्षित प्रसव और स्वस्थ्य शिशु में परेशानी कम करने के लिए  के चेक लिस्ट बनाया है जिसका इस्तेमाल कर मां और बच्चे में परेशानी को काफी हद तक कम किया जा सकता है। चेक लिस्ट की उपयोगिता का अध्ययन उत्तर प्रदेश में किया गया जिसमें देखा गया कि चेक लिस्ट का प्रयोग करने से मातृ मृत्यु दर में 10 से 15 की कमी लायी जा सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने  उत्तर प्रदेश को 'फ़ील्ड-टेस्ट की तरह इस्तेमाल कर साबित किया है कि 'सुरक्षित प्रसव चेकलिस्ट का पालन कर  मातृ और नवजात शिशु को काफी हद तक सुरक्षित बनाया जा सकता है। इस बात को  न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसीन ने स्वीकार भी किया है।  विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूपी सरकार की सहायता से हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और एरियान लैब , सामुदायिक सशक्तिकरण प्रयोगशाला लखनऊ में संयुक्त रूप से 'बेहतर जन्म अध्ययननामक इस परियोजना में डब्लूएचओ की सुरक्षित प्रसव चेकलिस्ट के बारे में  जन्म सेवकों को  प्रशिक्षण में शामिल किया गया। 40 प्रशिक्षण सत्र में इन्हे चेक लिस्ट के बारे में जानकारी दी गयी। शोध में उत्तर प्रदेश में 120 समुदाय स्वास्थ्य केंद्रों में आयोजित यह शोध 10-15 तक मातृ एवं नवजात शिशु मृत्यु दर को घटाने का वादा करता है। प्रदेश में प्रशिक्षित  (जहां प्रशिक्षण के बाद कार्यबल को देखा गया) और कंट्रोल  (प्रशिक्षण के बिना कार्यबल को देखा गया) के कार्य को प्रदेश के  चार क्षेत्रों के 24 जिलों  में देखा गया कि कितना फायदा हुअ । इनके प्रशिक्षण को  1.57 लाख महिलाओं को प्रसव के दौरान देखा गया।

आठ महीने के अध्ययन में पता चला है कि चेकलिस्ट के पालन से  70% तक सुधार हुआ।देखा गया कि संक्रणण रोकने का तरीका हैंड हाइजिन  मुख्य रूप से  प्रशिक्षित वर्ग में 35 फीसदी तक बढ़ गया। इसी तरह हाइपोथर्मिया और संक्रमण से कम वजन वाले बच्चों को बचाने के लिए सबसे प्रभावी कंगारू केयर त्वचा से त्वचा संपर्क  सामान्य समूह में 11% के खिलाफ प्रशिक्षित समूह में 79% तक बढ़ गया। स्तन पान शुरूआत अप्रशिक्षित में 3.5% से बढ़कर प्रशिक्षित समूह में 70% हो गई।

क्या है चेक लिस्ट

- भर्ती के समय रक्त दाब और बुखार देख कर  एंटीबायोटिक, एंडी हाइपरटेसिंव दवा शुरू करनी है
- सर्विक्स के फैलाव को देखना है प्रसव का समय नजदीक अने पर 24 सेमी से अधिक हो जाता है और हर घंटे एक सेमी बढ़ता है इसलिए 30 मिनट दो घंटे, चार घंटे पर सर्विक्स को मेजर करना है
- दस्ताने साफ हो, हाथ एल्कोहल से साफ करने के बाद ही छुए
- अक्सीटोसिन इंजेक्शन की वयवस्था सुनिश्चित करें
- सक्सन डिवाइस तैयार रखें
- मास्क , एंबू वैग तैयार रखें
- प्रसव के बाद रक्त स्राव पर नजर रखे रोकने से यूट्रस मसाज, यूट्रोटोनिक का इस्तेमाल करें, अईवी फ्लूड चलाएं. कारण को दूर करें
- शिशु को स्तनपान कराएं
- महिला में बुखार, रक्तदाब पर नजर रखें
-शिशु के सांस पर नजर रखें, बुखार है तो एंटीबायोटिक शुरू करें, कम वजन है इसके लिए जो सुविधा है उसका इस्तेमाल करें
-शिशु को साफ तैलिया , कपडें में रखें



गुरुवार, 28 दिसंबर 2017

बलरामुर अस्पताल में 24 घंटे होगी खून की जांच नई सुविधा शुरू

अब बलरामपुर अस्पताल में मिलेगी 24 घंटे जांच रिपोर्ट


प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने बलरामपुर अस्पताल में 24 घंटे जांच की व्यस्था शुरू कर दी है। इस सुविधा का उद्घाटन चिकित्सा मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने गुरूवार को किया। इससे मरीजो की बीमारी का पता जल्दी लगने के कारण इलाज की दिशा तय करना संभव होगा। अस्पताल में लैब प्राइवेट पार्टनर शिप के अाधार पर लगायी गयी है। इसके तहत मशीन के साथ जांच करने के लिए लैब टेक्नोलाजिस्ट सब कुछ सेवा प्रदाता व्यवस्था करेंगी। इस मौके पर सेवा प्रदाता पीअो सिटी के प्रमुख सौऱभ गर्ग को चिकित्सा मंत्री से प्रतीक भेट कर सम्मानित किया। अस्पताल के निदेशक ने नई सेवा के बारे में जानकारी देते हुए सेवा प्रदाता की सराहना करते हुए कहा कि पहले से यह सेवा प्रदाता मेडिकल कालेज, पीजीआई सहित कई अस्पतालों में सेवा दे रही है।  इस मौके पर मेयर संयुक्ता भाटिया विशेष रूप से उपस्थित थी।  

मंगलवार, 26 दिसंबर 2017

पीजीआई का एचअारएफ बना रोल माडल---उपलब्ध कराता है 20 से 80 फीसदी कम कीमत पर दवा

पीजीआई का एचअारएफ बना रोल माडल


मरीजों को उपलब्ध कराता है 20 से 80 फीसदी कम कीमत पर दवा
प्रदेश के सभी मेडिकल कालेज और संस्थान पीजीआई की दर पर खरीदेगें दवा और सर्जिकल अाइटम

कुमार संजय। लखनऊ 

संजय गांधी पीजीआई का हास्पिटल रिवालविंग फंड(एचअारएफ) रोल माडल बनता जा रहा है। प्रदेश सरकार ने सभी मेडिकल कालेजों, संस्थानों से कहा है कि पीजीआई जिस दर पर दवाएं, सर्जिकल अाइटम खरीद रहा है उसी दर पर मरीजों के लिए तुरंत दवाएं और सर्जिकल अाइटम खरीद कर मरीजों को राहत पहुंचाएं। संस्थान खुद टेंडर करते है जिसमें देरी होने की अाशंका रहती है। विशेषज्ञों का कहना है कि पीजीआई में किस मर्ज के लिए कौन सी दवा या सर्जरी के लिए कौन से सर्किजकल अाइटम खरीदा जाना है यह तो विभाग के संकाय सदस्य तय करते है लेकिन किस पर खरीदी जाए इसके लिए लंबी प्रक्रिया है जिसमें अोपेन रेट कांट्रैक्ट होता है जिसमें सबसे कम कीमत पर दवा सप्लाई करने वाली दवा कंपनी को जरूरत के अनुसार दवा सप्लाई का अार्डर दिया जाता है। निदेशक प्रो.राकेश कपूर कहते है कि कम कीमत के साथ क्वालिटी को सुनिश्चित करने के लिए अच्छी कंपनियों को प्राथमकिता देते है। इससे सही दवा 20 से 80 फीसदी कम कमीत पर मरीजों को मिलती है। उत्तर भारत में इस सिस्टम को अभी कोई पूरी तरह फालो नहीं कर पाया है। एम्स दिल्ली जैसे संस्थान हमारे माडल को अपना रहे है। प्रदेश सरकार ने हाल में अादेश जारी किया कि सभी मेडिकल कालेज और संस्थान जिस दर पर दवाएं और सर्जिकल आइटम खरीद रहे है उसी पर खरीद करें यह हमारे लिए गर्व की बात है। 

पांच हजार तरह की दवाएं और सर्जिकल अाइटम की होती है खरीद

एचअाऱएफ के अारए यादव कहते  है कि पांच हजार तरह की दवाएं  जिसमें एंटी केंसर, इम्यूनोसप्रेसिव, एंटी बायोटिक , कंट्रास , अांको प्रोडेक्ट जो लाइफ सेविंग ड्रग के तहत अाती है उसकी ब्रांडडेड अौर रिसर्च मालीक्यूल लेते है यह दवाएं भी बाजार की कीमत से 20 से 80 फीसदी तक कम कीमत पर मरीजों को दी जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसी तरह का माडल पूरे प्रदेश अौर देश के अस्पतालों को अपनाने की जरूरत है। 


सोमवार, 25 दिसंबर 2017

एक हजार में से 70 महिलाएं बिना इच्छा होता है गर्भधारण---81 फीसदी महिलाएं बिना डाक्टरी सलाह लेती है एमएमए दवा

एक हजार में से 70 महिलाएं बिना इच्छा होता है गर्भधारण



81 फीसदी महिलाएं बिना डाक्टरी सलाह लेती है एमएमए दवा
सार्वजनिक सुविधाअों में गर्भपात के देख भाल की कमी

एक हजार में से 47 महिलाएं लेती है अनचाहे गर्भ से छुटकारा
कुमार संजय। लखनऊ 


 एक साल में लगभग 15.6 मिलियन( एक करोड़ 56 लाख) मिलियन गर्भपात कराती है।  75 फीसदी महिलाअों ने बिना डाक्टरी सलाह के घर पर गोली का सेवन और इस्तेमाल करती है।  इस तथ्य का खुलासा  द लान्सेट ग्लोबल हेल्थ ने भारत में गर्भपात की स्थित और सुविधा पर शोध के बाद किया है।शोध में उत्तर प्रदेश सहित देश के कई राज्य शामिल हैं।   देखा गया कि प्रति एक हजार में से  15 से 49 अायु वर्ग की  47 महिलाएं गर्भपात कराती है।  अाशियाना इलाके की स्त्री रोग विशेषज्ञा डा. मेनका सिंह कहती है कि भारत में महिलाओं को गर्भपात की देखभाल करने के लिए काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जिसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में गर्भपात की सीमित उपलब्धता शामिल है   मुख्य कारण है।  रिपोर्ट में कहा गया है कि  प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी और अपर्याप्त आपूर्ति और उपकरण प्राथमिक कारण हैं क्योंकि कई सार्वजनिक सुविधाएं गर्भपात की देखभाल नहीं करती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि  अनचाहा  गर्भधारण की घटनाओं का अनुमान लगाया गया देखा गया कि  48.1 मिलियन( चार करोड़ 81 लाख)  गर्भधारण मे से  लगभग आधी महिलाएं गर्भधारण के लिए इच्छा नहीं थी।  कहा गया है कि  एक हजार में से  70 महिलाअों में अनचाहे गर्भधारण करती है इसमें कुछ तो प्रसव तक जाती है लेकिन 47 महिलाएं अनचाहे गर्भ से छुटकारा पा लेती है। अनचाहा गर्भ धारण की दर  पड़ोसी  बांग्लादेश (67) और नेपाल (68) में की  दर के समान है, और पाकिस्तान (93) की दर से बहुत कम है।यह शोध  प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रमों को नए तरह से  डिजाइन और कार्यान्वित करने के जरूरत बता रहा है। 

81 फीसदी एमएमए दवा करती है इस्तेमाल 
शोधकर्ताओं ने पाया कि 81% गर्भपात  गर्भपात  एमएमए( मिफेप्रिस्टोन-मिसोप्रोस्टल)के द्वारा  किया गया जाता है।  चौदह प्रतिशत गर्भपात स्वास्थ्य सुविधाओं में शल्य चिकित्सा के लिए किया गया  और शेष पांच प्रतिशत गर्भपात स्वास्थ्य सुविधाओं के बाहर अन्य, आम तौर पर असुरक्षित, विधि का उपयोग किया गया था।शोधकर्ताओं ने कहा कि चार मे तीन महिलाएं गर्भपात के लिए  एमएमए दवा अनौपचारिक विक्रेताओं 
से प्राप्त किय़ा किसी जानने वाले मंगाया।  


95 फीसदी मामलों में एमएमए है प्रभावी

विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशों के मुताबिक एमएमए सुरक्षित और प्रभावी है। एक एमएमए आहार जो कि मिसोप्रोस्टोल और मिफेप्रिस्टोन को जोड़ता है, 95 से 98  प्रतिशत प्रभावी है जब 9-सप्ताह की गर्भावस्था की सीमा के भीतर प्रयोग किया जाता है। 




सावर्जनिक सेवाएं नहीं उपलब्ध करा रही है सेवा

  चार गर्भपात में से एक गर्भपात सुरक्षित हाथों से किया गया। देखा गया है कि  ग्रामीण और गरीब महिलाओं के लिए स्वास्थ्य देखभाल के लिए सार्वजनिक क्षेत्र ही मुख्य अाधार है। केवल एक-चौथाई साव्रजनिक  क्षेत्र यह सुविधा देते है बाकी  सार्वजनिक सुविधाएं गर्भपात सेवाओं की पेशकश नहीं करती हैं।विशेषज्ञों का कहना है कि   स्वास्थ्य सुविधाओं में गर्भपात सेवाओं की उपलब्धता और गुणवत्ता में सुधार के लिए कई कदमों का प्रस्ताव रखा है जिसमें प्रशिक्षण और गर्भपात देखभाल प्रदान करने के लिए अधिक डॉक्टर शामिल हों। 

अमेरिका और भारत ने मिल कर किया शोध

इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट अाफ पापुलेशन साइंस मुंबई, पब्लिक काउंसिल न्यूयार्क अमेरिका, गटचर इंस्टीट्यूट न्यूयार्क, एस कल्यानवाला स्वतंत्र विशेषज्ञ ने चार हजार एक सरकारी, निजि और एनजीअो डीकेटी इंटरनेशनल, मैरी स्टाप्स इंटरनेशनल, वर्ड हेल्थ पार्टनर, परिवार सेवा संस्थान, जननी सहित अन्य के अलावा आईएमएस हेल्थ से अांकडे एकत्र करने के बाद यह शोध किया।