डायबिटीज़ से बढ़ता है प्रोस्टेट कैंसर का खतरा,
शुगर नियंत्रण से घट सकता है जोखिम
वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी – डायबिटीज़ पीड़ित पुरुष जरूर कराएं प्रोस्टेट कैंसर की जांच
लखनऊ | कुमार संजय
डायबिटीज़ से ग्रस्त पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर का खतरा सामान्य पुरुषों की तुलना में काफी अधिक पाया गया है। इतना ही नहीं, इन मरीजों में कैंसर का रूप भी अधिक आक्रामक (एग्रेसिव) होता है। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के वैज्ञानिकों ने अपने नवीनतम शोध में यह बड़ा खुलासा किया है। अध्ययन में पाया गया कि डायबिटीज़ शरीर के मेटाबॉलिक और हार्मोनल संतुलन को प्रभावित करती है, जिससे कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने और फैलने का अनुकूल माहौल मिल जाता है।
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कैंसर को बढ़ावा देने वाले तत्व पाए गए अधिक
शोध में पाया गया कि जिन पुरुषों को डायबिटीज़ है, उनके शरीर में इंसुलिन, आईजीएफ-वन (इंसुलिन लाइक ग्रोथ फैक्टर-1), एचबीए1सी (ब्लड शुगर का औसत स्तर) और पीएसए (प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजन) का स्तर सामान्य से अधिक होता है। इन तत्वों की अधिकता कैंसर कोशिकाओं को तेजी से बढ़ने और अधिक खतरनाक बनने में मदद करती है।
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हर डायबिटीज़ रोगी को कैंसर नहीं होता
विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया कि हर डायबिटीज़ रोगी को प्रोस्टेट कैंसर नहीं होता, लेकिन जोखिम बढ़ जाता है। यदि ब्लड शुगर को नियंत्रित रखा जाए, वजन सामान्य हो, नियमित व्यायाम किया जाए और स्वस्थ जीवनशैली अपनाई जाए, तो इस खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
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क्यों तेजी से बढ़ता है कैंसर
अध्ययन में यह पाया गया कि डायबिटीज़ और प्रोस्टेट कैंसर दोनों से पीड़ित मरीजों में इंसुलिन और आईजीएफ-वन का स्तर सामान्य से काफी अधिक था। यही कारण है कि इन मरीजों में कैंसर कोशिकाएं तेज़ी से विभाजित होकर फैलती हैं। इसके साथ ही एचबीए1सी और लिपिड प्रोफाइल का सीधा संबंध कैंसर की गंभीरता से पाया गया।
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300 मरीजों पर किया गया अध्ययन
यह अध्ययन 300 पुरुष मरीजों पर किया गया — जिनमें 100 मरीजों को बेनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया (बीपीएच), 100 को प्रोस्टेट कैंसर और 100 को डायबिटीज़ के साथ प्रोस्टेट कैंसर था। इन सभी की मेटाबॉलिक और हार्मोनल प्रोफाइल का तुलनात्मक विश्लेषण किया गया।
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शोध टीम में रहे विशेषज्ञ
केजीएमयू के पैथोलॉजी विभाग से डॉ. प्रीति अग्रवाल, यूरोलॉजी विभाग से डॉ. अवनीत गुप्ता व प्रो. सत्य एन. संखवार, बायोकैमेस्ट्री विभाग से डा. अब्बास ए. महदी, ईरा मेडिकल कॉलेज से डा. अफरीन खान, डा. अनु चंद्रा और डा. सैयद तस्लीम रज़ा शामिल रहे।
शोध “इन्फ्लुएंस ऑफ डायबिटीज़ मेलिटस ऑन मेटाबॉलिक एंड हार्मोनल इंटरैक्शन प्रमोटिंग एग्रेसिव प्रोस्टेट कैंसर” शीर्षक से किया गया है, जिसे अंतरराष्ट्रीय चिकित्सा पत्रिका क्यूरियस में प्रकाशित किया गया है।
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विशेषज्ञों की राय
संजय गांधी पीजीआई, लखनऊ के प्रो. सुभाष यादव का कहना है
> “डायबिटीज़ को नियंत्रित रखना केवल हृदय या किडनी की बीमारियों से बचने के लिए ही नहीं, बल्कि कैंसर के जोखिम को घटाने के लिए भी जरूरी है। मरीजों को चाहिए कि वे नियमित रूप से ब्लड शुगर की जांच कराएं, मीठे और तले भोजन से परहेज करें, प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट टहलें और वजन नियंत्रित रखें।

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