बुधवार, 19 नवंबर 2025

ट्रामा का शिकार, आधी मौतें पहले घंटे में

 


हर साल 50 लाख लोग ट्रामा का शिकार, आधी मौतें पहले घंटे में—जान बचाने की तकनीक सिखाने वाला देश का पहला ‘टीम’ कोर्स एसजीपीजीआई में आयोजित

लखनऊ। भारत में ट्रामा एक बढ़ता हुआ संकट बन चुका है। हर वर्ष लगभग 50 लाख लोग गंभीर चोटों की वजह से अस्पताल पहुँचते हैं और करीब 1.5 लाख लोगों की मौत केवल सड़क हादसों में हो जाती है। विश्व स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार कुल मौतों का लगभग आधा हिस्सा घटना के पहले एक घंटे, जिसे स्वर्णिम घड़ी कहा जाता है, में हो जाता है। यदि इसी अवधि में सही कदम उठा लिए जाएँ—जैसे खून रोकना, वायुमार्ग साफ रखना, और मरीज को स्थिर स्थिति में रखना—तो 70 से 80 प्रतिशत मरीजों की जान बचाई जा सकती है।

इन्हीं जीवनरक्षक तकनीकों को व्यवस्थित रूप से सिखाने के लिए संजय गांधी आयुर्विज्ञान  संस्थान में देश का पहला ट्रामा इवैल्युएशन ऐंड मैनेजमेंट  कोर्स आयोजित किया गया। यह प्रशिक्षण अमेरिकन कालेज आफ सर्जन्स, यूएसए से प्रमाणित है और 18 नवम्बर 2025 को सम्पन्न हुआ।



ट्रामा से बचने के जरूरी उपाय 

खून बह रहा हो तो तुरंत कपड़ा दबाकर रक्तस्राव रोकें

मरीज को हिलाएँ-डुलाएँ नहीं, रीढ़ की हड्डी को नुकसान बढ़ सकता है

साँस में दिक्कत हो तो वायुमार्ग साफ करें और करवट देकर रखें

आसपास भीड़ न होने दें, 108/112 को तुरंत कॉल करें

घटना के पहले 10 मिनट जीवन बचाने में निर्णायक होते हैं







 चिकित्सक-नर्स-तकनीशियन को मिला जीवनरक्षक प्रशिक्षण

एसजीपीजीआई के इस पहले बैच में 36 चिकित्सकों, नर्सों और तकनीशियनों को अंतरराष्ट्रीय मानक अनुसार प्रशिक्षण दिया गया।

प्रमुख प्रशिक्षकों में शामिल रहे—

प्रो. मयूर नारायण (यूएसए) – कोर्स निदेशक

प्रो. अजय मल्होत्रा (यूएसए)

प्रो. देवाशीष अंजारिया (यूएसए)

प्रो. संदीप साहू – कोर्स संयोजक

प्रो. समीर मिश्रा

प्रो. मदन मिश्रा

प्रो. वेद प्रकाश


प्रशिक्षण में प्रतिभागियों को घायल व्यक्ति के प्राथमिक मूल्यांकन, खून रोकने की विधियाँ, श्वास-मार्ग प्रबंधन, पुनर्जीवन प्रक्रिया और अस्पताल-पूर्व देखभाल के वैज्ञानिक तरीके सिखाए गए।




एटीएलएस इंडिया के मार्गदर्शन में सफल आयोजन

इस कोर्स को आयोजन में एटीएलएस इंडिया के चेयर प्रो. एम.सी. मिश्रा का महत्वपूर्ण मार्गदर्शन मिला।

कोर्स संयोजक प्रो. संदीप साहू ने कहा, “ट्रामा मरीजों की जान बचाने के लिए प्रशिक्षित टीम का होना बेहद जरूरी है।

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