गुरुवार, 27 नवंबर 2025

सर्वाइकल कैंसर के लिए समर्पित डॉक्टर कुट्टी



**प्रो. डी. कुट्टी किंग जॉर्ज मेडिकल कलेज की स्त्री रोग विशेषज्ञ जिन्होंने सर्वाइकल कैंसर के लिए पूरा जीवन समर्पित किया उनको याद करने का दिन



सर्वाइकल कैंसर—टीकाकरण और समय पर जांच से बच सकती है जान**


प्रोफेसर देवकी कुट्टी मूल रूप से केरल की थीं। उन्होंने अपनी मेडिकल शिक्षा मद्रास मेडिकल कॉलेज से पूरी की। लेकिन उनका वास्तविक कार्यक्षेत्र और कर्मभूमि बनी लखनऊ की किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज (केजीएमसी)। किस्मत और हमारे लिए सौभाग्य की बात थी कि वह केजीएमसी आईं और प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग (Obstetrics & Gynaecology) की प्रमुख बनीं।


प्रो. कुट्टी न सिर्फ एक उत्कृष्ट डॉक्टर थीं, बल्कि संवेदनशील हृदय वाली इंसान भी थीं। गरीब से गरीब मरीज के लिए उनका दरवाज़ा हमेशा खुला रहता था। ऑपरेशन थिएटर की सूची भले ही भरी हो, लेकिन वे जरूरतमंद मरीज का ऑपरेशन करने में कभी पीछे नहीं हटती थीं।


उनकी करुणा और सेवा भावना यहीं तक सीमित नहीं थीं—वे अक्सर हरिद्वार स्थित अपने आध्यात्मिक गुरु स्वामी शिवानंद महाराज के अस्पताल में जाकर गरीबों की सेवा करती थीं। सेवा उनके जीवन का मूल था। सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने स्थायी रूप से हरिद्वार में ही रहने का फैसला किया और उसी समर्पण एवं ऊर्जा के साथ शिवानंद चैरिटेबल अस्पताल में कार्य करती रहीं।



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चार दशक पहले की भयावह स्थिति


लगभग 40 साल पहले सर्वाइकल कैंसर (गर्भाशय ग्रीवा कैंसर) महिलाओं में मृत्यु का एक प्रमुख कारण था। कारण स्पष्ट था—यह कैंसर शुरुआती अवस्था में लगभग बिना किसी लक्षण के आगे बढ़ता है, और जब तक पता चलता है, तब तक बीमारी काफी बढ़ चुकी होती थी।


 प्रो. डी. कुट्टी हमें सर्वाइकल कैंसर के बारे में पढ़ाया करती थीं। उस समय का परिदृश्य बहुत चिंताजनक था।


लेकिन आज हालात पहले जैसे नहीं रहे।



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अब स्थिति उम्मीदभरी है—क्योंकि जांच और जागरूकता बढ़ी है


आज के समय में, यह कैंसर बहुत जल्दी और आसानी से पहचाना जा सकता है।


पैप स्मीयर टेस्ट


वीआईए टेस्ट (Visual Inspection with Acetic Acid)


एचपीवी टेस्ट



जैसे साधारण लेकिन प्रभावी परीक्षणों ने लाखों महिलाओं की जान बचाई है।


साथ ही, चेतावनी संकेतों के बारे में जागरूकता बढ़ने से इस बीमारी से होने वाली मौतों में लगातार गिरावट आ रही है।


पिछले 45 वर्षों में सर्वाइकल कैंसर से जुड़ी लगभग हर जानकारी और उपचार में बड़ा बदलाव आया है। इसी कारण मैं भी अपने पुराने क्लास नोट्स को नए शोध और चिकित्सा साहित्य के आधार पर अद्यतन कर रहा हूँ।


इसके बावजूद, भारत में यह अभी भी


स्त्रियों में दूसरा सबसे सामान्य कैंसर (22.8%)


और स्तन कैंसर (27%) के ठीक बाद दूसरे स्थान पर है।




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सर्वाइकल कैंसर से बचाव—सबसे प्रभावी रास्ता


1. एचपीवी वैक्सीन – जीवनरक्षक सुरक्षा कवच


मानव पैपिलोमा वायरस (HPV) इस कैंसर का मुख्य कारण है।

12–26 वर्ष तक की लड़कियों को यह टीका समय पर लग जाए, तो वे लगभग 90% तक सुरक्षित हो सकती हैं।

अब यह टीका भारत में भी आसानी से उपलब्ध है।


2. हर महिला को नियमित जांच


भले ही कोई लक्षण न हों, हर महिला को 30 वर्ष की उम्र के बाद नियमित रूप से पैप स्मीयर या एचपीवी टेस्ट कराना चाहिए।


3. शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज न करें


मासिक धर्म के अलावा अनियमित रक्तस्राव


सहवास के बाद खून आना


दुर्गंधयुक्त पानी जैसा स्राव

ऐसे संकेतों को तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।



4. सचेतन जीवनशैली


तंबाकू का सेवन न करें


स्वच्छता का ध्यान


शुरुआती उम्र में विवाह/गर्भधारण से बचाव


एक से अधिक यौन साथी से परहेज़



इनसे भी जोखिम काफी घटता है।



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प्रो. कुट्टी की सीख और विरासत


प्रो. देवकी कुट्टी सिर्फ एक शिक्षक नहीं थीं— वे एक विचार थीं, सेवा की एक प्रेरणा थीं।

उन्होंने हमें यह सिखाया कि डॉक्टर सिर्फ इलाज करने वाला नहीं होता, बल्कि सामाजिक चेतना और मानवीय संवेदनाओं का भी वाहक होता है।


आज जब सर्वाइकल कैंसर से लड़ने में दुनिया एक नए युग में प्रवेश कर चुकी है—टीकाकरण, शुरुआती जांच और आधुनिक उपचारों के साथ—तो प्रो. कुट्टी जैसे शिक्षकों की याद और भी प्रासंगिक हो जाती है।


उनकी स्मृति हमें प्रेरित करती है कि

हर महिला को इस कैंसर से बचाया जा सकता है, यदि हम समय पर जांच कराएं और टीकाकरण अपनाएं।




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