शनिवार, 22 नवंबर 2025

"दूध पीती बच्ची थीं क्या? — अब झूठे आरोपों का खेल !"

 





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"दूध पीती बच्ची थीं क्या? — अब झूठे आरोपों का खेल 


!"


सुनते-सुनते अब कान पक गए—

“लड़के ने शादी का झांसा दिया, झूठा वादा किया, कई साल मेरा शोषण किया…”


अरे एक बात बताओ—


**क्या तुम सच में ऐसी मासूम थीं कि कोई तुम्हें उंगली पकड़कर घुमा ले गया?


क्या तुम 5 साल की बच्ची थीं?

क्या तुम समझदार, पढ़ी-लिखी, मोबाइल चलाने वाली, फैसले लेने वाली इंसान नहीं थीं?**


रिश्ता बनाया किसने?

मुलाक़ातें कौन करता था?

सालों तक साथ कौन रहता था?

होटल कौन जाता था?

वीडियो कॉल, चैट, घूमना—ये सब किसकी मर्जी से होता था?


और जब सबकुछ मन-मुताबिक चलता रहा,

तो वो प्यार था…

और जब बात शादी तक नहीं पहुँची,

तो वो अचानक शोषण कैसे बन गया?


चलो सीधी बात करते हैं—


रज़ामंदी से चले रिश्ते को बाद में “शोषण” नाम देना पुरुषों की ज़िंदगी तबाह करने का आसान हथियार बन चुका है।


कई लड़कों का करियर, इज्जत, परिवार—सब खत्म,

सिर्फ इसलिए कि रिश्ता टूटते ही कहानी उलट दी जाती है।


क्योंकि पता है न—

समाज सुनता लड़की की है, सबूत माँगे जाते लड़के से हैं।


लेकिन अब ज़माना बदल रहा है।

अब लोग समझ रहे हैं कि

हर आरोप सच नहीं होता।

हर लड़की पीड़िता नहीं होती।

और हर लड़का अपराधी नहीं होता।


अब बस!


पुरुषों को भी सुरक्षा चाहिए।

पुरुषों के लिए भी कानून चाहिए।

क्योंकि निर्दोष मर्दों की बर्बादी किसी भी सभ्य समाज की निशानी नहीं है।


और हाँ—


जो रिश्ते सालों तक

दोनों की मर्जी,

दोनों की इच्छा,

दोनों की भागीदारी से चलते हैं,


उनका ठीकरा एकतरफा किसी एक इंसान के सिर फोड़ देना—

ये न तो न्याय है,

न सच्चाई है,

न ईमानदारी है।


**सावधान रहो।


सतर्क रहो।

अब झूठे आरोपों से पुरुषों को बचाना ही समय की सबसे बड़ी जरूरत है।**



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