रविवार, 3 अगस्त 2025

देश में पहली बार किसी छोटी बच्ची का मुंह से निकला कैंसर युक्त थायराइड ग्रंथि






ब्रेन ट्यूमर के बाद गले में कैंसर; मुंह के रास्ते निकाली गई थायरॉयड ग्रंथि, मासूम आरुषि को मिली नई ज़िंदगी



गोरखपुर के विशुनपुरा निवासी नौ वर्षीय आरुषि पहले ब्रेन ट्यूमर की शिकार बनी और फिर उसके गले की थायरॉयड ग्रंथि में कैंस


र का पता चला। परिजनों के लिए यह दोहरा आघात था, लेकिन संजय गांधी पीजीआई के डॉक्टरों ने एक असाधारण तकनीक से उसकी जान बचाई। पीजीआई के एंडोक्राइन सर्जरी विभाग में डॉक्टरों ने आरुषि की कैंसर-ग्रस्त थायरॉयड ग्रंथि को पारंपरिक सर्जरी की जगह मुंह के रास्ते (Transoral technique) से निकाल दिया, जिससे उसके गले पर कोई चीरा नहीं पड़ा और वह पूरी तरह ठीक हो गई।


यह देश का पहला ऑपरेशन है जिसमें इतनी कम उम्र की बच्ची की थायरॉयड ग्रंथि को इस उन्नत तकनीक से हटाया गया है। 21 जुलाई को हुए इस जटिल ऑपरेशन को प्रो. ज्ञान चंद और उनकी टीम ने अंजाम दिया।


दरअसल, वर्ष 2019 में आरुषि को ब्रेन ट्यूमर हुआ था, जिसका ऑपरेशन पीजीआई के न्यूरोसर्जरी विभाग में किया गया। सफल सर्जरी के बाद उसे रेडिएशन थेरेपी दी गई। कुछ समय बाद जब वह फॉलोअप के लिए आई, तो गले में सूजन पाई गई। अल्ट्रासाउंड और अन्य जांचों में पता चला कि उसकी थायरॉयड ग्रंथि में दो गांठें हैं, जो कैंसर का रूप ले सकती हैं।


बच्ची के भविष्य और मानसिक स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने योजना बनाई कि गले पर कोई निशान न रहे। इसलिए गले की सर्जरी पारंपरिक चीरे से नहीं, बल्कि मुंह के अंदर से की जाए। यह तकनीक बहुत कम जगहों पर अपनाई जाती है, और बच्चों में तो शायद ही पहले कभी की गई हो।


ऑपरेशन के दौरान 2.4×1.3 सेमी और 21.9 मिमी की दो गांठें निकाली गईं। बायोप्सी रिपोर्ट में इनमें थायरॉयड कार्सिनोमा की पुष्टि हुई। अब आरुषि बिना किसी दाग के स्वस्थ जीवन जी रही है और सामान्य रूप से खाना-पीना कर पा रही है।


इस जटिल सर्जरी में प्रो. ज्ञान चंद के साथ डॉ. ममता कुमारी, डॉ. प्राची, डॉ. आकृति और डॉ. संजय धीराज ने अहम भूमिका निभाई।

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