पर्सीवल वाल्व तकनीक से SGPGI में सफल सर्जरी, 70 वर्षीय मरीज को मिला नया जीवन
सर्जरी करने वाली डॉ वरुणा वर्मा उत्तर प्रदेश की पहली महिला कार्डियक सर्जन बनीं
लखनऊ। हृदय रोगियों के लिए राहत भरी खबर—पर्सीवल वाल्व तकनीक अब संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGI) में भी उपलब्ध है। यह एक सूचर रहित (sutureless) और स्व-विस्तारित बायोप्रोस्थेटिक वाल्व है, जिसे हृदय में लगाने में टांकों की जरूरत नहीं होती। इसके कारण ऑपरेशन का समय बेहद कम हो जाता है, और मरीज को जल्दी रिकवरी मिलती है।
इसी तकनीक का प्रयोग करते हुए SGPGI के सीवीटीएस विभाग की एडिशनल प्रोफेसर डॉ वरुणा वर्मा ने 70 वर्षीय मरीज की सफल एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी 13 अगस्त को की।
यह उत्तर प्रदेश में पहली बार किसी महिला कार्डियक सर्जन द्वारा पर्सीवल वाल्व प्रत्यारोपण है।
मरीज की स्थिति
बिहार के चम्पारण निवासी 70 वर्षीय मरीज को सांस फूलने और छाती में दर्द की शिकायत रहती थी। सीटी स्कैन और अन्य जांचों में एओर्टिक वाल्व खराब पाया गया। सामान्य तौर पर 60 वर्ष से कम आयु वाले मरीज को धातु का वाल्व लगाया जाता है, जबकि 60 वर्ष से ऊपर की आयु वाले मरीज में बायोप्रोस्थेटिक वाल्व लगाया जाता है। इस मरीज में पर्सीवल वाल्व प्रत्यारोपित किया गया, जिसे लगाने में महज 5 मिनट का समय लगा, जबकि सामान्य प्रक्रिया में लगभग आधा घंटा लगता है।
डॉ. वरुणा वर्मा ने बताया कि मरीज की स्थिति फिलहाल स्थिर है और उसे विशेष देखभाल के लिए आईसीयू में रखा गया है।
पर्सीवल वाल्व तकनीक का इतिहास
पर्सीवल वाल्व तकनीक का प्रयोग यूरोप और अमेरिका में कई वर्षों से सफलतापूर्वक किया जा रहा है। भारत में भी चुनिंदा हृदय संस्थानों में इसका इस्तेमाल शुरू हो चुका है। SGPGI में इस तकनीक का इस्तेमाल मरीजों के लिए बड़ा लाभकारी कदम माना जा रहा है।
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📌 विशेष तथ्य (बॉक्स न्यूज़)
महिला कार्डियक सर्जनों की संख्या बेहद कम
दुनियाभर में महिला कार्डियक सर्जनों की संख्या मात्र 8% है।
भारत में यह आंकड़ा और भी कम—सिर्फ 2.6%।
SGPGI की डॉ वरुणा वर्मा इन्हीं चुनिंदा महिला कार्डियक सर्जनों में शामिल हैं, जिन्होंने उत्तर प्रदेश में पहली बार पर्सीवल वाल्व तकनीक से सफल सर्जरी कर इतिहास रच दिया है।
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