शनिवार, 2 अगस्त 2025

आंखों से जाना जा सकेगा मांसपेशियों की ताकत का हाल

 



अब आंखों से जाना जा सकेगा  मांसपेशियों की ताकत का हाल

पीजीआई ने खोजा नया बायोमार्कर, एएलएस की पहचान अब होगी आसान

महंगी जांचों से मिलेगी राहत, इलाज की योजना बनाना होगा सुगम


 मांसपेशियों को धीरे-धीरे कमजोर कर देने वाली गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी एमयो‍ट्रोफिक लैटरल स्‍केलेरोसिस (एएलएस) की पहचान अब सिर्फ आंखों की जांच से की जा सकेगी। संजय गांधी पीजीआई के नेत्र रोग विभाग और न्यूरोलॉजी विभाग के वैज्ञानिकों ने एक नया बायोमार्कर खोजा है, जिससे पता चल सकेगा कि मरीज की मांसपेशियों की स्थिति क्या है और बीमारी किस अवस्था में पहुंच चुकी है। विशेषज्ञों के मुताबिक आंखों की रेटिना की भीतरी परत की मोटाई के आधार पर मांसपेशियों की ताकत और एएलएस की गंभीरता का आकलन किया जा सकता है। यह तकनीक सस्ती, सुरक्षित और जल्दी परिणाम देने वाली है, जिससे मरीज को महंगी और जटिल न्यूरोलॉजिकल जांचों से गुजरने की जरूरत कम होगी।

एएलएस एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर की मांसपेशियां धीरे-धीरे काम करना बंद कर देती हैं। अब तक इसकी पुष्टि के लिए एमआरआई, ईएमजी या स्पाइनल टैप जैसी महंगी जांचों का सहारा लेना पड़ता था। लेकिन इस खोज से सिर्फ आंखों की परत मापकर यह तय किया जा सकता है कि रोगी को कितना नुकसान हो चुका है और इलाज की रणनीति किस तरह बनाई जाए।



ऐसे हुआ शोध 


शोध में 35 एएलएस मरीजों की आंखों की दो परतों—गैन्ग्लियन सेल लेयर (जीसीएल) और रेटिनल नर्व फाइबर लेयर (आरएनएफ एल) की ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी(ओसीटी) तकनीक से जांच की गई। इसमें स्पष्ट हुआ कि जीसीएल की मोटाई सीधे मरीज की कार्यक्षमता और मांसपेशियों की ताकत से जुड़ी होती है। यह शोध "रोमेनियन जनरल ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी" में प्रकाशित हो चुका है।


तकनीक सस्ती, सुरक्षित और सरल

पीजीआई के डॉक्टरों के अनुसार यह तकनीक महंगी न्यूरोलॉजिकल जांचों का विकल्प बन सकती है। यह गैर-हानिकारक है और शुरुआती चरण में ही बीमारी की सटीक पहचान कर सकती है। साथ ही भविष्य में पार्किंसन और अल्जाइमर जैसी बीमारियों की जांच में भी सहायक हो सकती है।


शोध टीम में शामिल विशेषज्ञ

नेत्र रोग विभाग से प्रो. विकास कन्नौजिया, डॉ. अंकिता रंजन, डॉ. दिव्या सिंह, डॉ. सौम्या सिंघल, डॉ. रचना अग्रवाल, डॉ. वैभव जैन, डॉ. अंकिता ऐश्वर्या और तंत्रिका रोग विभाग से डॉ. विनिता एलिज़ाबेथ मणि तथा डॉ. विमल कुमार पालीवाल इस शोध में शामिल रहे।


क्या है एएलएस

एमयो‍ट्रोफिक लैटरल स्‍केलेरोसिस (एएलएस) एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जिसमें मस्तिष्क और रीढ़ की नसें मांसपेशियों को नियंत्रित करना बंद कर देती हैं, जिससे बोलने, चलने, निगलने जैसी क्रियाएं प्रभावित होती हैं।


क्या है ओसीटी

ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी (ओसीटी) एक गैर-हानिकारक तकनीक है जो आंख की परतों की सूक्ष्म छवियां लेती है। अब इसका उपयोग तंत्रिका तंत्र की बीमारियों की पहचान में भी किया जा रहा है।




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