सबसीकांन -2025
हर गर्भ सुरक्षित , हर जन्म सुरक्षित विषय पर हुई कार्यशाला
गर्भस्थ शिशु की गति और गर्भवती के वजन पर रखें नज़र
हर 16 सेकेंड में एक मृत शिशु जन्म लेता है
हर 16 सेकेंड में भारत में एक मृत शिशु (स्टिल बर्थ) जन्म लेता है। मृत शिशु जन्म की रोकथाम को लेकर स्टिल बर्थ सोसाइटी ऑफ इंडिया (सबसीकांन-2025) ने गुरुवार को संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीआई) में 600 से अधिक आशा कार्यकर्ताओं के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। एसजीपीआई के एमआरएच विभाग की प्रमुख प्रो. मंदाकिनी प्रधान, सोसाइटी की पदाधिकारी डा. असना अशरफ, डा. नैनी टंडन और डा. तमरीन खान ने बताया कि गर्भस्थ शिशु की गति (फीटल मूवमेंट) यदि सामान्य से कम हो जाए, तो गर्भवती महिला को तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। उन्होंने कहा कि गर्भावस्था के दौरान महिला का वजन औसतन 9 से 12 किलोग्राम तक बढ़ना चाहिए। यदि वजन असामान्य रूप से कम या अधिक हो रहा है, तो यह गर्भस्थ शिशु के लिए हानिकारक हो सकता है।
आशा इन पर रखें नजर
-हर महीने गर्भवती महिला का ब्लड प्रेशर अवश्य जांचें।
-शिशु की गति और महिला के वजन पर लगातार नजर रखें।
-ब्लड प्रेशर बढ़ना, एनीमिया सातवें महीने के बाद रक्तस्राव, शिशु की गति में कमी, डायरिया, मलेरिया, तेज़ बुखार या अनुमानित तिथि के बाद प्रसव पीड़ा न होना—यह मृत शिशु जन्म के कारण बन सकते हैं।
गर्भावस्था के दौरान बढ़ रहा है डायबिटीज
एसजीपीआई के एमआरएच विभाग प्रो. इंदु लता ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज (गर्भकालीन मधुमेह) की दर पहले की तुलना में काफ़ी बढ़ी है। जहाँ पहले इसकी दर लगभग 10 फीसदी थी, वहीं अब यह 30 फीसदी तक पहुँच गई है। सर्वे में यह भी पाया गया कि शुगर नियंत्रण न होने पर मृत शिशु जन्म की आशंका अधिक हो जाती है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान नियमित रूप से ब्लड शुगर जांच और नियंत्रण बहुत ज़रूरी है।
10 आशा कार्यकर्ता सम्मानित
कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने लखनऊ सीएमओ की संस्तुति पर 10 आशा कार्यकर्ताओं को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया। दीपा शर्मा, कंचन देवी, अंजु शुक्ला, किरण देवी, सुमन, अनीता चौरसिया, शिव बेबी, अफसाना वर्मा, रचना और सर्वेश को सम्मानित किया गया।
आशा स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ : बृजेश पाठक
उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने उद्घाटन अवसर पर कहा कि आशा कार्यकर्ता ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ हैं। धूप, बरसात और कठिन परिस्थितियों में भी ये घर-घर जाकर सेवा करती हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान उनकी अहम भूमिका रही है।
उन्होंने बताया कि कई बार गर्भवती महिलाओं के अल्ट्रासाउंड की ज़रूरत होती है। इसके लिए सरकार ने निजी केंद्रों को चिन्हित किया है जहाँ महिलाओं का नि:शुल्क अल्ट्रासाउंड किया जाता है और उसका खर्च सरकार वहन करती है।
पाठक ने कहा कि आशा कार्यकर्ताओं के बेहतर संसाधन और सुविधा के लिए सोसाइटी जो भी सुझाव देगी, उसे लागू किया जाएगा। मृत शिशु जन्म रोकने के लिए सरकार हर स्तर पर काम कर रही है और इस दिशा में प्रयास और मजबूत किए जाएंगे।
संस्थान के निदेशक प्रो. आर.के. धीमन ने कहा कि स्वस्थ शिशु को जन्म देना हर महिला का सुखद सपना होता है। गर्भावस्था में समय पर सावधानी बरती जाए और जरूरी जांच कराई जाए, तो मृत शिशु जन्म से बचा जा सकता ।

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