चार गुणा तीन सेमी का दांत सहित मसूड़ा निकाल कर दी राहत
हाई रिस्क इंटरवेंशन एंडोस्कोपी तकनीक को पीजीआई ने अंजाम
एक साल से निवाला निगलने में हो रही थी परेशानी
दांत खाने की नली की भित्ति को कर गए
एक साल बाद अब 50 वर्षीय हफीजा बिना दर्द के रोटी का निवाला ले सकेगी। संजय गांधी पीजीआई के गैस्ट्रोइंटेरोलाजिस्ट और उनकी टीम ने खाने के नली के मुहाने पर फंसे चार गुणा तीन सेंटीमीटर का मसूड़ा दांत सहित फंसा था जिसकी वजह से वह खाना बहुत मुश्किल से खा पा रही थी। निवाला निगलने समय गले में दर्द होता था। किसी तरह से रोटी भिगाकर या केवल दाल पी कर जिंदगी चला रही थी। छत्तीसगढ़ में सर्जरी के लिए भर्ती हुई थी। उसी समय मुंह में ट्यूब डालते समय यह अंदर चला गया । डॉक्टर ने कोशिश किया लेकिन नहीं निकला। इलाज के लिए कई डॉक्टरों का चक्कर लगाया। राहत नहीं मिली। भटकने के बाद बीएचयू पहुंची तो वहां के डॉक्टर ने सलाह दिया कि पीजीआई चली जाए वहां पर इलाज हो सकता है। हफीजा कहती है कि हम लोगों को यहां के बारे में की जानकारी नहीं थी। पता कर यहां पहुंचे। डाक्टर ने सीटी स्कैन कराया जिसके बाद बताया कि इसका इलाज सर्जरी ही है , लेकिन इंटरवेंशन एंडोस्कोपी से कोशिश करते है। बिना सर्जरी इलाज हो जाए फिर भी सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है। हम लोग हर जगह से हार गए थे इसलिए कह दिए साहब जैसे भी ही परेशानी खत्म हो। हम लोगों के पास पैसा भी नहीं था। बुधवार के देर शाम बिना सर्जरी के ही मसूड़े़ को निकाल दिया। राहत मिल गयी।
दांत खाने की नली की भित्ति के आर-पार
टीम लीडर गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट प्रो. प्रवीर राय के मुताबिक एंडोस्कोपी से निकाले में रिस्क था क्योंकि डेंचर( दांत सहति मसूड़ा) खाने के नली के ऊपरी हिस्से में फंसा था। दांत एक तरह खाने की नली की भित्ति के अंदर से आर-पार हो गया था जिसकी वजह से संक्रमण और सूजन था। इंडो स्कोप से निकालने पर भित्ति में छेद रहता जिससे हवा निकलने की आशंका रहती है यह स्थिति गंभीर हो सकती थी। इसलिए हमने गैस्ट्रो सर्जन का भी बैकअप लिया कि कोई परेशानी होने पर तुरंत सर्जरी की जा सके।
इंडोस्कोप से निकाला डेंचर
हम लोगों ने इंडोस्कोप से पहले फोरसेप से डेंचर को पकड़ा फिर निकाला । खाने की नली के छेद हवा बहुत काम पास हुई कोई परेशानी नहीं हुई। गले में इंजरी है इसलिए राइस ट्यूब डाल दिया गया है। सब कुछ नॉर्मल है कल तक छुट्टी दे दी जाएगी।
इस टीम ने दिया अंजाम
प्रो. प्रवीर राय की अगुवाई में डा. पंकज, डा. कार्तिक अग्रवाल, नर्सिंग ऑफिसर शशि, नर्सिंग ऑफिसर सुमन , पेशेंट हेल्पर किरण
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