डा. सुशांत ऐलदासानी के डाक्टर कालम
देश का नमक आदा करने का मिला मौका
कोरोना वार्ड में ड्यूटी पर जाने की जब जानकारी मिली तो पहले तो थोडी बेचैनी हुई। पहले कभी इस तरह के अनजान संक्रमण के क्षेत्र काम में नहीं किया था। सोचा कि हमारी पढाई में सरकार ने इतना खर्च किया तो यह मौका है जब देश के कुछ कर सकते है। इसी जज्बे के साथ ड्यूटी पर जाने के लिए तैयारी में लग गया। ट्रेनिंग लेने के साथ ही पैकिंग शुरू कर दिया। संजय गांधी पीजीआई के कोरोना वार्ड में ड्यूटी और 14 दिन क्वरानटाइन होने के बाद सोमवार को विभाग में ड्यूटी ज्वाइन करने के बाद डा. सुशांत ऐलदासानी कहते है कि परिवार में कोई डाक्टर नहीं था बचपन से ही जब डाक्टर को देखता था तो लगता है कि डाक्टर ही किसी के दर्द में मददगार साबित हो सकता है। हम इंदौर के रहने वाले है। पिता महेश ऐलदासानी व्यवसायी है और माता रीमा गृहणी है। रोज अखबार के जरिए पढते थे कि डाक्टर भी संक्रमित हो रहे है। जब इन लोगों को जानकारी मिली मेरी ड्यूटी लगी है तो यह लोग परेशान हुए। मेरी अभी शादी नहीं हुई है यहां पर अकेले रहता हूं। मां को लगा कि बेटे की देख-भाल कौन करेगा। मां- पापा को बताया कि यहां पर हमारे गार्जियन के तौर पर विभाग के प्रमुख प्रो.सुनील प्रधान है जो हर पल हर समय मनोबल बढाते है। ड्यूटी के पहले डा. प्रधान ने हर तरह से भरोसा दिया । संस्थान प्रशासन की व्यवस्था के बारे में पापा-मम्मी को बताया तो वह लोग निश्चिंत हो गए। प्रो.संजीव झा, प्रो.वीके पालीवाल. डा.विनीता एलिथाबेज ने भी काफी मनोबल बढाया। क्वरनटाइन होने के बाद जांच रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ड्यूटी भी ज्वाइन कर लिया हूं। ड्यूटी के दौरान केवल मरीज की बेहतरी ही लक्ष्य होता है। नर्सेज, अटेंडेंट, सफाई कर्मचारी की बहुत ही महत्वपूर्ण भमिका है। नर्सेज ड्यूटी के दौरान माहौल को हल्का कर काम के लिए प्रेरित करती है।
कोट
कोरोना संक्रमण काल देश पर बडा संकट है। पूरे देश में सभी लोग परेशान है। व्यवसाय , फैक्ट्री बंद है। तमाम लोगों के लिए रोजी का संकट खडा हो गया है। ऐसे में देश के सभी नागरिकों को एक जुट हो कर निपटने के लिए काम करने की जरूरत है।
डा. सुशांत ऐलदासानी
डीएम न्यूरोलाजी न्यूरोलाजी विभाग संजय गांधी पीजीआई
एमबीबीएस-ग्रांड मेडिकल कालेज एंड जेजे हास्पिटल मुंबई
एमडी- एलएमसी नागपुर
देश का नमक आदा करने का मिला मौका
कोरोना वार्ड में ड्यूटी पर जाने की जब जानकारी मिली तो पहले तो थोडी बेचैनी हुई। पहले कभी इस तरह के अनजान संक्रमण के क्षेत्र काम में नहीं किया था। सोचा कि हमारी पढाई में सरकार ने इतना खर्च किया तो यह मौका है जब देश के कुछ कर सकते है। इसी जज्बे के साथ ड्यूटी पर जाने के लिए तैयारी में लग गया। ट्रेनिंग लेने के साथ ही पैकिंग शुरू कर दिया। संजय गांधी पीजीआई के कोरोना वार्ड में ड्यूटी और 14 दिन क्वरानटाइन होने के बाद सोमवार को विभाग में ड्यूटी ज्वाइन करने के बाद डा. सुशांत ऐलदासानी कहते है कि परिवार में कोई डाक्टर नहीं था बचपन से ही जब डाक्टर को देखता था तो लगता है कि डाक्टर ही किसी के दर्द में मददगार साबित हो सकता है। हम इंदौर के रहने वाले है। पिता महेश ऐलदासानी व्यवसायी है और माता रीमा गृहणी है। रोज अखबार के जरिए पढते थे कि डाक्टर भी संक्रमित हो रहे है। जब इन लोगों को जानकारी मिली मेरी ड्यूटी लगी है तो यह लोग परेशान हुए। मेरी अभी शादी नहीं हुई है यहां पर अकेले रहता हूं। मां को लगा कि बेटे की देख-भाल कौन करेगा। मां- पापा को बताया कि यहां पर हमारे गार्जियन के तौर पर विभाग के प्रमुख प्रो.सुनील प्रधान है जो हर पल हर समय मनोबल बढाते है। ड्यूटी के पहले डा. प्रधान ने हर तरह से भरोसा दिया । संस्थान प्रशासन की व्यवस्था के बारे में पापा-मम्मी को बताया तो वह लोग निश्चिंत हो गए। प्रो.संजीव झा, प्रो.वीके पालीवाल. डा.विनीता एलिथाबेज ने भी काफी मनोबल बढाया। क्वरनटाइन होने के बाद जांच रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ड्यूटी भी ज्वाइन कर लिया हूं। ड्यूटी के दौरान केवल मरीज की बेहतरी ही लक्ष्य होता है। नर्सेज, अटेंडेंट, सफाई कर्मचारी की बहुत ही महत्वपूर्ण भमिका है। नर्सेज ड्यूटी के दौरान माहौल को हल्का कर काम के लिए प्रेरित करती है।
कोट
कोरोना संक्रमण काल देश पर बडा संकट है। पूरे देश में सभी लोग परेशान है। व्यवसाय , फैक्ट्री बंद है। तमाम लोगों के लिए रोजी का संकट खडा हो गया है। ऐसे में देश के सभी नागरिकों को एक जुट हो कर निपटने के लिए काम करने की जरूरत है।
डा. सुशांत ऐलदासानी
डीएम न्यूरोलाजी न्यूरोलाजी विभाग संजय गांधी पीजीआई
एमबीबीएस-ग्रांड मेडिकल कालेज एंड जेजे हास्पिटल मुंबई
एमडी- एलएमसी नागपुर
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