गुरुवार, 7 मई 2020

चिकित्सा सेवा का दान बांट रहे हैं मुस्कान

मां के मेहनत से मिली मंजिल
सेवा के लिए डाक्टरी से अच्छा कोई पेशा नहीं

सामान्य परिवार में पैदा हुए । शुरू से ही सामान्य जीवन रहा। हमारी मां भगवती देवी तमाम सामाजिक कारणों से बहुत बढ लिख नहीं सकी लेकिन मां ने तय किया था अपने बच्चों को वह जरूर पढाएंगी। पिता हमारे हरि शंकर शुक्ला इस तरह की सेवा हैं जिसमें वह घर पर समय नहीं दे पाते थे लेकिन मां हम लोगों को पूरा ध्यान रखती थी । पढाई के लिए हमेशा प्रेरित करती रही है। मां-पिता के आर्शिवाद से मंजिल मिली। सभी भाई बहन पढ लिख कर अपनी मंजिल हासिल किए। संजय गांधी पीजीआई के  डा. अजय कुमार शुक्ला कहते है कि कोरोना मरीजों के लिए तब कोरोना वार्ड तो पहले बैच में ही ड्यूटी लगी। इस तरह का संक्रमण पहले कभी हम लगों ने फेस नहीं किया था जो थोडा डर तो लगा लेकिन मां और पिता प्रेरणा से काम में जुट गए । हम लोग गोरखुर जिले के मामखोर गांव से है लेकिन रोजगार के लिए पिता रीवां ( एमपी) गएतो वही रच बस गए। आधा परिवार गोरखपुर में ही है। डा. शुक्ला कहते है कि पैसे कमाने के लिए तमाम पेशा है लेकिन समाज की सेवा केवल डाक्टरी पेशे से ही संभव है। कोरोना ड्यूटी के दौरान 21दिन तक एक साल के बच्चे से अलग रहना थोड़ा कठिन था लेकिन पत्नी ने पूरा साथ दिया। इस समय भी आशंकित कोरोना मरीजों जो इमरजेंसी में आ रहे है उनके इलाज के लिए जाना होता है। रिस्क पूरा रहता है यदि कोई पाजिटिव आ गया तो दोबोरा क्वरटाइन होनो पडेगा। मेडिकल कालेजों मे काम कर रहे जूनियर डाक्टरों को सलाह दिया कि अपनी सुरक्षा पर पूरा ध्यान रखें।
प्रोफाइल
-    एमबीबीएस- देवराज मेडिकल कालेज कर्नाटका
-    एमडी- मोती लाल नेहरू मेडिकल कालेज इलाहाबाद
-    डीएम इंडोक्राइनोलाजी के छात्र 

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