रविवार, 17 मई 2020

कोरोना निगेटिव रिपोर्ट देख कर मिलता है सुकुन-डा. अमिता यादव सीएमएस लोक बंधु अस्पताल

कोरोना निगेटिव रिपोर्ट देख कर मिलता है सुकुन


कोरोना ने जब राजधानी में दस्तक दिया तभी हम लोगों की जिम्मेदारी बढ गयी है। पहले आशंकिता लोगों के लिए क्वरटाइन सेंटर तैयार करना जिम्मेदारी थी जिसे पूरी किया लेकिन समय के साथ भूमिका बडी हो गयी जब इसे लेवल टू का अस्पताल बनाया गया। 20 मार्च को लेवल टू का आदेश आया तो इसके लिए तैयारी युद्धा स्तर पर शुरू  किया जिसमें सफलता भी मिली। सबसे पहले आईसीयू, आइसोलेशन, नर्सिग स्टाफ, सपोर्टिंग स्टाफ को कोरोना वार्ड में ड्यूटी के तैयार करना । उनका मनोबल बढाना साथ डाक्टर का पैनल बनाना। सबको खुद की सुरक्षा के लिए ट्रेनिंग देना। इन सब के बीच पीपीईकिट, मास्क सहित अन्य मेडिकल किट की व्यवस्था।  जांच के लिए नमूना लेने के लिए सामान और स्टाफ को ट्रेनिंग तमाम काम था । इन सब तैयारी और संचालन में खुद के लिए समय का कोई मतलब नहीं था। लोक बंधु अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डा. अमिता अग्रवाल कहती है कि साथी डाक्टर, नर्सेज, प्रशासन के सहयोग से सब कोरोना वार्ड अच्छे तरीके से काम कर रहा है। शुकवार को नौ कोरोना पाजिटिव मरीज निगेटिव हो कर जब अस्पताल से घर गए तो लगा कि मेहनत सफल हो गयी। इन मरीजों को विदा करते समय जो अनुभूति हुई उसको बता पाना संभव नहीं है। पति डा. राकेश यादव स्वास्थ्य निदेशालय में निदेशक है। वह भी इस समय व्यस्त है। मेरे दोनों बेटे दिल्ली में है। एक डाक्टर है और एक मल्टी नेशनल कंपनी में है। डाक्टर बेटा भी कोरोना मरीजों की सेवा में दिल्ली में लगा है। घर पर कोई खास जिम्मेदारी न होने के कारण मरीजों के लिए पूरा समय दे रही हूं। पति का हर पल सहयोग है तभी इतनी बडी जिम्मेदारी को अंजाम दे पा रही हूं। हमारे अस्पताल में पहले से आईसीयू चल रहा था इस लिए कोरोना वार्ड के संचालन में तकनीकि रूप से खास परेशानी नहीं हुई। सबसे अच्छी बात रही कि 25 कोरोना पाजिटिव मरीज भर्ती है जिसमें केवल एक मरीज को आईसीयू की जरूरत पडी। सुबह आठ तो पहुंच जाती हूं लेकिन लौटने का कोई समय नहीं होता है। कई बार तो रात में भी जाना होता है लेकिन इस तमाम भाग दौड़ के बाद मरीजों को राहत मिलने पर बडा सुकुन मिलता है। मेरा मानना है कि जो देंगे वही मिलेगा...सकुन दे कर सुकुन हासिल किया  जा सकता है। मरीज को सुकुन देकर हम और हमारा परिवार सुकुन पा रहा है।
कोट
कोरोना से लडाई लंबी है। इसके साथ जीने की कला हम सब को सीखनी पडेगी। सब को हैंड हइजिन, मास्क, शारीरिक दूरी को जीवन में उतारना पडेगा। सभी से अपील है कि भीड़ में जाने बचे। एक कोरोना संक्रमित होने पर कई लोगों में संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है जिसमें अस्पताल का स्टाफ सबसे अधिक रिस्क में रहता है।

डा. अमिता यादव
सीएमएस एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ लोक बंधु अस्पताल
एमबीबीएस- किंग जार्ज मेडिकल विवि लखनऊ
डीजीओ- एसएन मेडिकल कालेज आगरा

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