सोमवार, 18 मई 2020

सौभाग्य है मेरा ...जो सेवा का मिला मौका...सौरभ मिश्रा






कोरोना जांच में जब ड्यूटी लगी तो हमें कोई डर नहीं था। मां को चिंता हुई कि संक्रामक बीमारी है थोड़ा परेशान हुई । मां को बताया कि 2011 से वायरोलाजी( वायरस) में काम कर रहा हूं कुछ हुआ ..नहीं ना...तो मां आप बिल्कुल निश्चिंत रहिए सब ठीक होगा। हमी डर गए तो मरीजों का जांच कैसे होगा। संजय गांधी पीजीआई के माइक्रोबायलोजी विभाग के कोरोना जांच में लगे सौरभ मिश्रा कहते है कि कोरोना संकट में हमारी तरह नर्सेज, डाक्टर सहित अन्य सपोर्टिंग स्टाफ अपने को संकट में डाल कर काम कर रहे है तो हम  कैसे अलग रह सकते हैं। अस्पताल के कर्मचारियों के आलावा समाज के दूसरे लोग भी दिन –रात सड़क पर काम कर रहे हैं। हम लोग काल्पी के रहने वाले है। लखनऊ में बहन और पत्नी  बच्चों के साथ रहते है। लाक डाउन के पहले पत्नी और बच्चे मां के पास चले गए थे। इस समय बहन नीतिका जो पीजीआई में लैब टेक्नोलाजिस्ट है साथ रह रहे थे। एक महीने से लखनऊ आवासा पर भी नहीं जा पाएं । बहन अकेले रह रही है। फोन पर हाल चाल ले लेते है। फोन पर ही पत्नी और बच्चों से बात हो जाती है। पिता डा. सुरेश कुमार मिश्रा चिकित्सक है। वह भी कोरोना को लेकर आशंकित थे लेकिन चिकित्सक का धर्म उन्हें पता है। सौरभ मिश्रा कहते है कि 2011 से वायरोलाजी में काम का अनुभव इस समय काम आ रहा है। इस समय 24 घंटे संस्थान परिसर में ही रहना होता है। किसी भी समय लैब में जाने के लिए तैयार रहता हूं क्योंकि काम को टाला नहीं जा सकती है। विभाग की प्रमुख प्रो.उज्वला घोषाल, डा. रूमी, डा. धर्मवीर के आलावा लैब टेक्नोलाजिस्ट वीके मिश्रा हर कदम पर मनोबल बढाने के साथ ही हर परेशानी में खडे में रहते है। हर कदम पर मदद करते हैं।

कोट
कोरोना संक्रमण काल में सभी को मिल कर काम करना होगा। जब देश पर कोई परेशानी आती है उस समय अपनी परेशानी भूल कर देश की परेशानी को कम करने के लिए सब कुछ अपना लगाने की जरूरत है। यह सौभाग्य है कि देश सेवा का मौका मिल रहा है।
सौरभ मिश्रा
सीनियर रिसर्च फेलो माइक्रोबायलोजी विभाग संजय गांधी पीजीआई


-एमएससी माइक्रोबायलोजी कानपुर विवि

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