मंगलवार, 5 मई 2020

इम्यूनिटी पासपोर्ट यानी काम पर जाने का ओके का ठप्पाB

इम्यूनिटी पासपोर्ट यात्रा और काम पर जाने  लिए ओ के का ठप्पा
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जारी किया निर्देश
 वायरस या बैक्टीरिया के संपर्क में आने पर स्वतः शरीर में तैयार हो जाते है सिपाही 

कुमार संजय। लखनऊ

इम्यूनिटी पासपोर्ट आप के लिए यात्रा और काम पर लौटने के लिए ओके का ठप्पा हो सकता है। कोरोना संक्रमण से निपटने या प्राकृतिक रूप से यदि शरीर में वायरस के खिलाफ एंटी बाडी बन जाती है तो उसमें संक्रमण की आशंका कम हो जाती है। एंटी बाडी जांच की प्रक्रिया तेजी से शुरू हो रही है। किंग जार्ज मेडिकल विविराममनोहर लोहिया और संजय गांधी पीजीआई एंटी बाडी जांच शुरू करने की कोशिश में लगे हैं। कोरोना वायरस के खिलाफ जिनमें एंटी बाडी होगी उनमें ओके की मुंहर लग जाएगी। इम्युनिटी  पासपोर्ट पर काम पूरे विश्व में तेजी से हो  रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस पर कहा है कि इम्यूनिटी पासपोर्ट के शोध जारी है देखा जा रहा है कि  किसी के शरीर में कोविद -19 के खिलाफ एंटी बाडी बनने पर देखा जा रहा है कि दोबारा उस व्यक्ति में संक्रमण तो  नहीं होगा। होगा भी कितने फीसदी लोगों में संक्रमण की आशंका है। विशेषज्ञों का कहना है कि एंटी बाडी बनने के बाद 80 से 90 फीसदी लोगों में संक्रमण की  आशंका नहीं होगी वह काम पर जा सकते हैं।  एंटीबाडी जिनमें बन चुकी है वह काम पर जा सकेंगे लेकिन दूसरे एहतियात की जरूरत रहेगी।  एंटी बाडी बनने की जांच के बाद इम्यूनिटी पासपोर्ट दिया जा सकता है।  विश्व स्वास्थ्य संगठन ने  ने इम्यूनिटी पासपोर्ट इन केंटेक्सट आफ कोविद -19 विषय़ पर जारी गाइड लाइन में कहा कि  वायरस एसएआरएस-कोवी-2 का मुकाबला इसके कारण शरीर में बनने वाली एंटीबॉडी कर सकती है। यह एंटीबॉडी एक तरह से दुनियाभर के लोगों के लिए काम पर लौटने और यात्रा करने के लिए इम्यूनिटी पासपोर्ट की तरह हो सकती है।

क्या है इम्यूनिटी पासपोर्ट

कुदरती संक्रमण के माध्यम से एक वायरस से शरीर में इम्यूनिटी पाना लम्बी प्रक्रिया है और आमतौर पर इसमें 7 से 15 दिन तक का समय लग जाता है। देश में क्लीनिकल इण्यूनोलाजी के संस्थापक प्रो. आरएन  मिश्रा और पीजीआई के क्लीनिकल इम्यूनोलाजिस्ट प्रो.विकास अग्रवाल कहते है कि  एंटीबॉडी इम्यूनोग्लोबुलिन नाम का प्रोटीन हैं। शरीर टी-सेल्स भी बनाता है जो वायरस से संक्रमित अन्य कोशिकाओं को ढूंढ़कर मारती हैं। इसे सेल्यूलर इम्यूनिटी कहा जाता है। एंटीबॉडी और टी-सेल्स साथ मिलकर वायरस का सफाया कर सकती हैंऔर अगर इनका रिस्पांस अच्छा होता है तो आगे दोबारा संक्रमण को रोका जा सकता है। एंटी जांच के बाद किसी को भी काम पर जाने के लिए ओके किया जा सकता है।

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