डाक्टर होने का मतलब है त्याग, तपस्या और मुस्कान
डाक्टर की भूमिका थोडी बडी होती है। नर्सेज, सपोर्टिंग स्टाफ भी लगभग की भी बराबर है। कोरोना मरीजों की सेवा में लगे डा.दुर्गेश पुष्कर कहते है कि एक डाक्टर होने के साथ ही पति हूं, किसी का बेटा हूं । जब पत्नी और पिता और मां को पता चला कि मेरी ड्यूटी भी कोरोना वार्ड में लगीं है तो उन लोगों की चिंता बढना स्वाभाविक है। पत्नी डाक्टर है और पीजीआई में ही कम करती है उन्हे एक डाक्टर कि जिम्मेदारी पता थी लेकिन पिता और मां का दिल बेटे के लिए थोड़ा कमजोर तो होता ही है लेकिन उन लोगों ने भी मन मजबूत कर कर्तव्य पथ पर आगे बढने के लिए मनोबल बढाया। पिता और मां साथ नहीं रहते । हम दोनो ही रहते है कैंपस में जिससे घर में खास परेशानी नहीं हुई। फोन पर एक दूसरे का हाल मिल जाता था। हमारे सीनियर जो पहले काम कर चुके थे उन्होंने काफी मनोबल बढ़ाया इसके साथ विभाग संकाय सदस्य प्रो.अमित गुप्ता, प्रो. नरायन प्रसाद, प्रो.अनुपमा कौल, प्रो. धर्मेद्र भदौरिया सहित सभी गुरू जनों ने हर कदम पर साथ दिया। ड्यूटी के बाद अब 14 दिन के क्वरटाइन में हूं। ड्यूटी के 6 घंटे के बाद बाकी समय एकांत ( सेल्फ आइसोलेशन) में रहना थोडा स्ट्रेस देता है क्योंकि अभी तक ऐसा पहले कभी नहीं हुआ जब अलग रहना पडे। पिता अमर सिंह जो सरकारी सेवा में है । माता श्रीमती मुनेश्वरी देवी गृहणी है। पीपीई किट पहने और निकलाने उसके निष्तारण में विशेष सावधानी बरते। आहार पर विशेष ध्यान रखें। खुद को सुरक्षित रख कर हम लोगों ऐसे स्थिति में देश की सेवा कर पाएंगे।
कोट
सेवा बडा कोई धर्म नहीं है। समाज का हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में किसी जरूरत मंद की सेवा कर सकता है। सबको दर्द को महसूस करना चाहिए तभी वह सेवा के लिए प्रेरित होगा।
डा. दुर्गेश पुष्कर
एमबीबीएस - किंग जार्ज मेडिकल विवि
एमडी- किंग जार्ज मेडिकल विवि
पद- डीएम नेफ्रोलाजी संजय गांधी पीजीआई
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