शुक्रवार, 15 मई 2020

कोरोना से लड़ रहे है अस्पताल के डाक्टर, नर्सेज हो रहे है मानसिक परेशानी के शिकार

कोरोना केयर के लिए काउंसलिंग की खुराक


कोरोना मरीजों के इलाज में लगे हेल्थ केयर पर्सनल हो सकते है मानसिक रोग के शिकार

20 फीसदी कोरोना हेल्थ केयर पर्सनल  मानसिक रोग के शिकार

कुमार संजय़। लखनऊ

कोरोना संक्रमित मरीजों की सेवा में लगे हेल्थ केयर पर्सनल खुद मानिसक रूप से बीमार हो सकते है।  ऐसे में इनमें काउंसलिंग के साथ मेंटल सपोर्ट की जरूरत है। इसके पीछे कारण काम की अधिकता, घर-परिवार दूरी खुद में संक्रमण का डर के साथ ही ड्यूटी के दौरान वर्किंग कंडीशन ( 8 घंटे पीपीई किट पहनने के दौरान होने वाली परेशानी) सहित अन्य कारण हो सकते हैं। किंग जांर्ज मेडिकल विवि के मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर एस के कार ने ब्रेन , बिहैवियर एंड इम्यूनिटी के इंटरनेशनल मेडिकल जर्नल के शोध रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहते है कि कोरोना मरीजों के इलाज में लगे लगभग 20 फीसदी हेल्थ केयर वर्कर जिसमें नर्सेज, वार्ड असिस्टेंट , डाक्टर सहित अन्य मानसिक परेशानी के शिकार है। भारत सहित विश्व के अन्य संस्थानों ने मिल कर इनमें मानसिक स्थित जानने के लिए ए मल्टी नेशनल , मल्टी सेंटर स्टजी आन द साइकोलाजिक्ल आउट कम एंड एसोसिएटेड फिजिकल सिम्पटमस एमंगस्ट हेल्थ केयर वर्कस ड्यूरिंग कोविद -19 आउट ब्रेक विषय पर शोध किया जिसमें  906 स्वास्थ्य कर्मचारियों पर शोध किया गया तो देखा गया कि 5.3 फीसदी  मध्यम से अत्यंत गंभीर अवसाद से ग्रस्त थे। 8.7 फीसदी के लिए मध्यम से अत्यंत गंभीर चिंता( एक्जाइटी) से ग्रस्त थे।   2.2 फीसदी मध्यम से अत्यंत गंभीर तनाव से ग्रस्त थे। मनोवैज्ञानिक परेशानी से  मध्यम से गंभीर स्तर के  3.8 फीसदी ग्रस्त थे। 32.3 फीसदी में सिर दर्द की परेशानी थी। 33.4 फीसदी में  चार से अधिक मानसिक परेशानी थी। यह शोध विश्व के 13 चिकित्सा केंद्रों पर जिसमें भारत के अलावा सिंगापुर, अमेरिका भी शामिल है।

क्या है उपाय
किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय के मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर एसके कार ने बताया कि
उपचार  मानसिक बीमारी के प्रकार और इसकी गंभीरता पर निर्भर करता है

 1. मनोवैज्ञानिक चिकित्सा: डॉक्टर, मनोवैज्ञानिक या अन्य स्वास्थ्य पेशेवर व्यक्तियों से उनके लक्षणों और चिंताओं के बारे में बात करते हैं और उनके बारे में सोचने और प्रबंधित करने के नए तरीकों की चर्चा करते हैं।

2. औषधि-प्रयोग: कुछ लोगों को कुछ समय तक दवा लेने से मदद मिलती है; और दूसरों को निरंतर आधार पर आवश्यकता हो सकती है।


3. औषधि-प्रयोग हालांकि मनोरोग दवाएं मानसिक बीमारी का इलाज नहीं करती हैं, वे अक्सर लक्षणों में काफी सुधार कर सकते हैं। मनश्चिकित्सा दवाएं अन्य उपचारों जैसे मनोचिकित्सा को अधिक प्रभावी बनाने में मदद कर सकती हैं। इसमें एंटी-डिप्रेसन्ट दवाएं, एंटी-व्यग्रता दवाएं, मूड स्थिर करने वाली दवाएं, मनोविकार की दवाएं दी जाती है।

4- टॉक-थेरेपी – चिकित्सक संबंधित मुद्दों के बारे में बात करते है। मनोचिकित्सा के दौरान, आप अपनी स्थिति और आपके मूड, भावनाओं, विचारों और व्यवहार के बारे में पता करते हैं। आपको  मुकाबला और तनाव प्रबंधन कौशल सीख सकते हैं। अंतर्दृष्टि और ज्ञान से, आप तनाव से निपटने और उसका प्रबंधन करना सीख सकते हैं।

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