बिना सीना खोले लगाया दिल में वाल्व
यूपी में कोविद काल के दौरान पहला ट्रांसकैथेटर हार्ट वाल्व इंप्लांट
64 की उम्र में संभव नहीं थी अोपेने सर्जरी
बिना सीना खोले संजय गांधी पीजीआई के हृदय रोग विशेषज्ञों ने दिल के वाल्व लगाने में सपलता हासिल की है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना समय के दौरान दिल के वाल्व की यह प्रदेश की पहली सर्जरी है। कार्डियक इंटरवेंशनल तकनीक से बिना ओपेन हार्ट सर्जरी ट्रांसकैथेटर एरोटिक वाल्व रोपण किया गया।कोविद निगेटिव रजनीश 64 वर्षीय पुरूष में एरोटिव वाल्व और दिल के मुख्य आउटलेट वाल्व के बीच रूकावट थी जिसके कारण दिल पर दबाव और बाएं वेंट्रिकल के पंपिग चेम्बर में परेशानी हो गयी थी। पंपिंग चैंबर की इस परेशानी कारण रोगी सांस की तकलीफ के साथ गंभीर रूप से परेशानी थी। ऐसे लोगों में वाल्व को बदलने के लिए सामान्य मानक तरीका ओपन हार्ट सर्जरी के जोखिमों को बर्दाश्त करने में सक्षम थे। विशेषज्ञों ने बताया कि ट्रांसकैथेटर वाल्व रोपण एक नई तकनीक है और 2016 में पहली बार कार्डियालाजी विभाग के प्रो. पीके गोयल ने स्थापित किया था। तब से लगभग 25 ऐसी प्रक्रियाएं की जा चुकी हैं। प्रक्रिया पैर की बड़ी धमनी(आर्टरी) में बने बोर होल के माध्यम लगभग 3 सेमी व्यास का वाल्व दिल में वाल्व के खराबी वाले सही स्थान पर पहुंचा कर रोपित किया जाता है। प्रक्रिया में लोकर एनेस्थेसिया दी जाती है। इस तकनीक को प्रो. पीके गोयल और प्रोफेसर रूपाली खन्ना ने आंजाम दिया। यह प्रक्रिया इस गंभीर रोगी के लिए एक वास्तविक जीवन रक्षक थी जिसे उसके गंभीर लक्षणों के कारण 3 सप्ताह से अधिक समय तक भर्ती रखा गया था। इसमें बीस लाख का खर्च आया।
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