बुधवार, 10 जून 2020

जब दिल बोले हां...तभी कोरोना से बचाव और इलाज के लिए हाइड्राक्सी क्लोरोक्वीन---पीजीआई सहित देश के 13 संस्थान ने मिल कर किया शोध








कोरोना से बचाव व इलाज के लिए एचसीक्यू देने पहले हार्ट बीट पर रखनी होगी नजर

क्लोक्वीन बिना डाक्टरी सलाह के लेने से दिल पर पड़ सकता है भारी
इस्तेमाल से पहले ईसीजी जरूरी

क्लोरोक्वीन के इस्तेमाल पर पर  गाइड लाइन





कुमार संजय। लखनऊ

कोरोना से बचाव और इलाज के लिए हाइड्राक्सी क्लोरोक्वीन दवा का इस्तेमाल खूब हो रहा है। क्लोक्वीन के इस्तेमाल के लिए देशी गाइड लाइन इंडियन हार्ट रिदम सोसायटी ने जारी की है। इस दवा के इस्तेमाल से दिल के परेशानी की आशंका रहती है। बचाव या इलाज के लिए इस दवा को देने से पहले ईसीजी डांट की सिफारिश करते हुए कहा गया है कि क्यूटीएस( हार्ट रेट बीट प्रति मिनट) 500 मिली सेकेंड से कम है तो इस दवा को देने से परेशानी की आशंका कम होगी। सामान्य तौर पर पुरूष में 460 और महिला में क्यूटीसी 460 मिली सेंकेंड होता है।  पांच सौ तक खतरा है लेकिन पांच से अधिक क्यूटीसी होने पर इलाज और बचाव मे क्लोरोक्वीन दवा देने के बाद विशेष देख –भाल की जरूरत पर बल दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि  आईसीएमआर ने भी बचाव और इलाज के लिए इस दवा की संस्तुति की है।  एचसीक्यू का उपयोग बिना डाक्टरी सलाह के नहीं लेना चाहिए। सामान्य लोग बचाव के लिए इस दवा का इस्तेमाल कतई न करें। इस दवा को लेने से पहले से ईसीजी जांच किया जाना चाहिए। दूर दराज जहां पर ईसीजी मशीन की सुविधा नहीं है वहां पर स्मार्टफोन आधारित पॉकेट ईसीजी उपकरणों का उपयोग किया जा सकता है।  इससे मौजूदा स्थिति में स्वास्थ्य देखभाल संसाधनों की बचत हो सकती है । एचसीक्यू के संभावित लाभकारी प्रभावों के लिए यह दवा से संबंधित प्रतिकूल घटनाओं को रोकने में मदद कर सकती है।



देश के 11 संस्थान के विशेषज्ञों ने किया शोध

कार्डियो वेस्कुलर रिस्क आफ हाइड्रोक्लोकोक्वीन इन ट्रीटमेंट एंड प्रोफाइलएक्सिस आफ कोविद -19 पेशेंट विशय पर संजय गांधी पीजीआई के प्रो. आदित्य कपूर , मद्रास मेडिकल कालेज के डा. उलहास, मैक्स दिल्ली से डा.विनीता अरोरा, स्टरलिंग हास्पिटल अहमदाबाद से डा. अजय गुप्ता, फोर्टीस दिल्ली से डा. अर्पणा डा. अनिल सक्सेना , केईएम मुंबई से डा. आशीष  सहित देश के अन्य संस्थान हृदय रोग विशेषज्ञों के रिपोर्ट को इँडियन पेसिंग इलेक्ट्रोफिजियोलाजी जर्नल ने स्वीकार किया है।

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