मानसिक तनाव कम करने के लिए आजमाया जाता है नशा
कुमार संजय। लखनऊ
प्रदेश के लगभग 34 फीसदी लोग कोई न कोई नशा करते है कुछ लोग कभी –कभी करते है तो कुछ लोग नशें के आदी हो गए है। इस तथ्य का खुलासा सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश सहित देश से 36 राज्यों में 186 जिलों से कुल 200,111 परिवारों पर सर्वे के बाद किया है। इनमें से इन परिवार के कुल 473,569 व्यक्तियों का साक्षात्कार किया गया सर्वे के दौरान वर्तमान उपयोग (पिछले 12 महीनों के भीतर उपयोग), हानिकारक उपयोग और निर्भरता के बारे में जानकारी हासिल की गयी तो पता लगा कि केवल उत्तर प्रदेश के 23.8 फीसदी लोग एल्कोहल के यूजर है । इसके अलावा भांग, गांजा, अफीम के आलावा नशे का इंजेक्शन भी लेते है।
क्यों करते है नशा
मेडिकल विवि के मानसिक रोग विशेषज्ञ डा.एसके कार कहते है कि नशीला पदार्थ खून में जाते ही आदमी को खुशी और स्फूर्ति की अनुभूति कराता है। कुछ लोग संगत में आकर दबाव या शौकवश नशा करने लगते हैं। मानसिक तनाव, अपमान, अभाव, प्रताड़ना, सजा, उपहास, द्वेष, बदला आदि स्थितियाँ नशा करने का कारण बन जाती हैं।
क्या है नशा
किसी सामान्य मनुष्य की मानसिक स्थिति को बदलकर नींद या मदहोशी की हालत में ला देने वाले पदार्थ नारकॉटिक्स, ड्रग्स या नशा कहलाते है। मॉर्फिन, कोडेन, मेथाडोन, फेंटाइनाइल आदि नारकॉटिक्स चूर्ण (पाउडर), गोली (टैब्लेट) और सुई (इंजेक्शन) के रूप में मिलते हैं। ये मस्तिष्क और आसपास के ऊतकों (टिशू) को उत्तेजित करते हैं। किसी मरीज को दर्द से राहत दिलाने के लिए कभी-कभी चिकित्सक अल्प मात्रा में इनका उपयोग करते हैं। केवल मौज-मजे के लिए पारंपरिक नशे (ज़र्दा, बीड़ी, सिगरेट, चिलम, गाँजा, भाँग, चरस, गांजा, अफीम, छिपकली की पूँछ, शराब आदि), सिंथेटिक ड्रग्स (स्मैक, हीरोइन, आईस आदि), ब्राउन शुगर, सल्फ़ी, मेडिकल नशा (मोमोटिल, कैरीसोमा, आयोडेक्स, कफ सिरप आदि), स्निफर्स (लिक्विड व्हाइट फ्लूड, पेट्रोल सूँघना, पंक्चर सेल्यूशन को सूँघना आदि) आदि का बार-बार उपयोग करना लत बनकर बेचैनी, पागलपन या मौत का कारण हो सकता है।
नशे से नुकसान
तम्बाकू के सेवन से टीबी, , निमोनिया और साँस की बीमारियों का सामना करना पड़ता है। हिंसा, बलात्कार, चोरी, आत्महत्या आदि अनेक अपराधों के पीछे नशा एक बहुत बड़ी वजह है। शराब पीकर गाड़ी चलाते हुए एक्सीडेंट करना, शादीशुदा व्यक्तियों द्वारा नशे में अपनी पत्नी से मारपीट करना। मुँह, गले व फेफड़ों का कैंसर, ब्लड प्रैशर, अल्सर, यकृत रोग, अवसाद एवं अन्य अनेक रोगों का मुख्य कारण विभिन्न प्रकार का नशा है।
कौन सा नशा कितने प्रतिशत
अल्कोहल- 23.8
कैनबिस (भांग और गांजा/चरस) 7.36
ओपिओइड (अफीम, हेरोइन और फार्मास्यूटिकल ओपिओइड) 2.11
कोकीन-.02
एम्फेटामाइन प्रकार उत्तेजक (एटीएस)-0.10
इनहेलेंट-0.69
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें