रविवार, 1 जुलाई 2018

मरीज के प्रति अच्छा बर्ताव रखें डॉक्टर ..नए डाक्टरों को दिया गुरू मंत्र

मरीज के प्रति अच्छा बर्ताव रखें डॉक्टर 





पीजीआई निदेशक डॉ. राकेश कपूर बताते हैं कि मरीजों के प्रति डॉक्टरों का व्यवहार और बर्ताव अच्छा होना चाहिए। क्योंकि मरीज परेशान अवस्था में डॉक्टर के पास आता है। ऐसे में मरीज से अच्छे से बात करनी चाहिए और उसकी समस्याएं सुने। डॉक्टरों में सेवाभाव होना पहली प्राथमिकता है। खासकर नए डॉक्टरों को चाहिए कि वह सीनियर के साथ साझा किए गए अनुभव के आधार पर मरीजों का इलाज करें। मरीजों को डॉक्टर सही सलाह दें ताकि वह समाज में जाकर पीजीआई जैसे संस्थान की अच्छी छाप छोड़ें। न कि संस्थान की बुराई करे।
नोबल प्रोफेशन को बरकार रखें डॉक्टर
पीजीआई के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुनील प्रधान बताते हैं कि डॉक्टर का पेशा नोबल प्रोफेशन की श्रेणी में आता है। लिहाजा नए डॉक्टरों को चाहिए इस पेशे को बनाए रखें। नोबल प्रोफेशन का भविष्य नए डॉक्टरों पर है। बेशक कुछ युवा डॉक्टरों में यह अहम होता है कि वह बहुत काबिल हैं। वह सीनियर से अपनी तुलना करने लगते हैं। यह उनमें गतलफहमी होती है। लिहाजा उनमें सीखने की प्रवृत्ति होनी चाहिए। यह चीजें मेडिकल की किताबों में नहीं पढ़ायी जाती हैं। बल्कि अपने सीनियर से सीखे और उनके अनुभव साझा करने से ही आती हैं।
मरीज की आर्थिक स्थिति देखकर ही इलाज करें
पीजीआई के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सुदीप कुमार बताते हैं कि डॉक्टरों को चाहिए कि वह मरीज का इलाज सेवा भाव से करें। मरीज की आर्थिक स्थिति देखकर इलाज करें। बेवजह महंगी दवाएं व इलाज न करें। अक्सर देखने को मिलता है कि डॉक्टर मरीज के पास जब तक पैसा रहता है उसका इलाज करते हैं पैसा खत्म होने पर उसकी छुट्टी कर देते हैं। जबकि उसे फायदा होने के बजाए दिक्कत बढ़ जाती है। ऐसे में डॉक्टरों को चाहिए कि उन्हें नोबल प्रोफेशन के मुताबिक काम करना चाहिए। ऐसे में डॉक्टर मरीज की आर्थिक स्थिति ठीक न होने पर उसे सरकारी अस्पतालों ही भेजें। ताकि उसे बाद में दिक्कतें न उठानी प

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