20 फीसदी को ही नसीब होती है गहरी नींद
पीजीआई एक्टी ग्राफी सिस्टम से बताएगा स्लीप हैबिट
उत्तर भारत का तीसरा संस्थान जहां स्थापित हुई तकनीक
जागरण संवाददाता। लखनऊ
रात भर बिस्तर पर पडे रहते है लेकिन बीस से 30 फीसदी लोगों को गहरी नींद नहीं नसीब होती है। गहरी नींद अाती भी है तो दो से तीन घंटे वह टुकडों में । विशेषज्ञ कहते है कि 5 से 6 घंटे नींद सेहत के लिए जरूरी है। यह बहुत बडी परेशानी का कारण बन सकता है। इस परेशानी से निताज दिलाने के लिए पहले यह जानना जरूरी है कि कितनी देर गहरी नींद आयी । इसके लिए संजय गांधी पीजीआई ने एक्टी ग्राफी सिस्टम तकनीक स्थापित किया है जिसमें एक घडी नुमा डिवाइस हाथ में बांधा जाता है जो बता देता है कि अाप की स्लीप हैबिट कैसी है। यह तकनीक स्थापित करने वाला उत्तर भारत का तीसरा सरकारी अस्पताल है। पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रो. जिया हाशिम ने बताया कि स्लीप हैबिट देखने स्लीप लैब में स्टडी कर इलाज की दिशा तय की जाती है। शरीर का भार करने। तनाव कम करने, स्लीप एप्निया होने पर मशीन लगाने से नींद की हैबिट में सुधार होता होता है। नींद में कमी के कारण उच्च रक्तचाप, दिन में छपकी, थकान, डायबटीज के दिल की बीमारी की अाशंका बढ़ जाती है । देखा गया है कि पुरूषों में स्लीप हैबिट महिलाअों के मुकाबले खराब होती है। इसके पीछे मोबाइल फोन, इलेक्ट्रानिक डिवाइस बडा कारण है।
40 फीसदी में रोड एक्सीडेंट का कारण है झपकी
प्रो. हाशिम ने बताया कि रोड एक्सीडेंट के 30 से 40 फीसदी मामलों का नींद हैबिट की खराबी है। नींद पूरी न होने के कारण इन्हें झपकी आाती है जिससे रोड एक्सीडेंट होता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें