बुधवार, 11 जुलाई 2018

लाइफ सेविंग एंड प्राइमरी स्टेबलाइजेशन सूत्र पर शुरू होगा पीजीआई ट्रामा सेंटर

लाइफ सेविंग एंड प्राइमरी स्टेबलाइजेशन सूत्र पर शुरू होगा ट्रामा सेंटर


एम्स ट्रामा सेंटर के प्रभारी ने दिया गुरू मंत्र
एम्स दिल्ली से बेहतर स्थित में शुरू हो रहा है पीजीआई ट्रामा सेटर



दिल्ली एम्स ट्रामा सेंटर के इंचार्ज प्रो. अमित गुप्ता से संजय गांधी पीजीआई के ट्रामा सेंटर को चलाने के लिए तमाम मंत्र दिया। संस्थान का ट्रामा सेंटर शुरू करने के लिए प्रभारी प्रो. अमित अग्रवाल, प्रो. सुशील गुप्ता, प्रो.एसके अग्रवाल , प्रो. अंकुर भटनागर कई स्तर पर लगें है। माना जा रहा है अाठ से दस दिन के अंदर ट्रामा सेंटर शुरू हो जाएगा। संस्थान के पास ट्रामा सेंटर चलाने का अनुभव नहीं है जिसके लिए दिल्ली एम्स के ट्रामा सेंटर के प्रमुख प्रो. अणित गुप्ता को स्टेरियिग कमेटी में रखा गया है। प्रो. गुप्ता ने बताया कि एक दम से पाली ट्रामा के मामले हैडिल नहीं किया जा सकता है। पहले ट्रामा सेंटर को ड्राई चलाना होगा । हम लोगों ने एम्स के ट्रामा सेंटर को एक साल तक ड्राई चलाया फिर धीरे-धीरे हर तरह के मामले हैडिल करने लगे। एसजीपीजीाई ट्रामा सेंटर की तैयारी एम्स से बेहतर इस लिए 6 महीने के ड्राई रन के बाद यह जटिल मामले हैंडिल करने लगेगा। कहा कि पहले लाइफ सेविंग एंड प्राइमरी स्टेबलाइजेशन के सूत्र पर काम करना होगा जिसमे  जान बचा कर हायर सेंटर पर मरीज को भेजा जाता है। देखा गया है कि चलने फिरने वाले लोग भी हल्की की चोट पर ट्रामा सेंटर चले अाते है एेसे लोग न अाए यहां पर वही लोग आए या लाए जाए जो गंभीर रूप से इंजर्ड है। बताया कि एसजीपीजीआई ट्रामा सेंटर को रेड और येलो जोन में बांटा गया है जहां इंजरी के स्कोर के अाधार पर इलाज दिया जाएगा। प्रो. गुप्ता ने कहा कि किसी भी सेंटर को मेच्योर होने में समय लगता है । यह समय एक साल से दो साल तक हो सकता है इसलिए पहले ही दिन से बहुत अधिक उम्मीद नहीं करना चाहिए। कहा कि हम ट्रामा सेंटर चलाने के लिए हर स्तर पर सहयोग करेंगे। मेडिको लीगल साफ्टवेयर भी हम दे रहे हैं। 

रीहैबिलेटेशन सेंटर की है जरूरत

प्रो. अमित गुप्ता ने कहा कि रीढ़ की हड्डी, ब्रेन , लिंब में चोट के बाद कई बार मरीज इलाज के बाद भी लंबे समय तक केयर की जरूरत होती है। इनको ट्रामा सेंटर में रखने के बेड भर जाएंगे एेसे मरीजों के लिए रीहैबिलिटेशन सेंटर की जरूरत है। 

एम्स में भी होती तोड़ -फोड़
एम्स दिल्ली के ट्रामा सेंटर में भी साल में दो -तीन बडी तोड़ -फोड़ की घटनाएं होती है । छोटी- मोटी तो अाम बात है। इसको रोकने के लिए पुलिस, पीसीअार वैन अधिक की जरूरत होती है । इसके साथ घायल के तीमारदार से सही तरीके से कम्युनिकेशन होना जरूरी है। 

पीजीआई का वर्क कल्चर ट्रामा में भी दिखेगा
प्रो. अमित ने कहा कि पीजीआई अपने वर्क कल्चर के नाते देश में नाम स्थापित किया है। यही वर्क कल्चर ट्रामा सेंटर को भी नाम देगा। पीजीआई ट्रामा सेंटर के अधीन प्रदेश के दूसरे ट्रामा सेंटर भी होना चाहिए जिससे वहां पर भी काम हो । 


फेज मैनेर में ट्रामा सेंटर शुरू किया जाएगा। हमारी टीम लगातार कई स्तर पर काम कर रही है। अाठ से दस दिन में क्रियाशील करने की योजना है। 16 संकाय सदस्य, अाठ रेजीडेंट, 50 नर्सेज. 10 टेक्नोलाजिस्ट सहित स्टाफ की तैनाती कर दी गयी है। सीटी स्कैन भी महीने भर में लग जाएगा अभी संस्थान में कराएंगे। 24 घंटे लैब रीजेंट काट्रैक्ट पर लगायी गयी है...प्रो. राकेश कपूर निदेशक       

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