रविवार, 22 जुलाई 2018

89 फीसदी मरीजों को लिखी जाती है ब्रांडेड दवाएं

89  फीसदी मरीजों को लिखी जाती है ब्रांडेड दवाएं 


औसतन एक मरीज लिखी जाती है तीन दवा

22.57 फीसदी मरीजों को लिखी ही इसेन्सियल ड्रग

कुमार संजय । लखनऊ
89 फीसदी दवाअों के  ब्रांड नाम लिखे  जाते है जबकि सलाह है कि दवा का जेनरिक नाम लिखा जाए । इस तथ्य का खुलासा इंडिन जर्नल अाफ पब्लिक हेल्थ में लखनऊ के बडे अस्पताल के एक हजार डाक्टरी पर्चे पर शोध के बाद किया है। देखा गया कि डाक्टर जितनी दवा लिखते है उसमें केवल 10.05 फीसदी दवाएं जेनरिक होती है बाकी 89.98  फीसदी दवाएं ब्रांड नेम से होती है। एक मरीज को कम से तीन दवाअो का एवरेज होता है । शोध में देखा गया कि कुल दवाअों के पर्चे में 31.90 फीसदी में तीन दवाएं थी। 24.30 फीसदी पर्चे में दो दवाएं थी लेकिन 8.80 फीसदी में चार से अधिक दवाएं खाने की सलाह दी गयी थी। विशेषज्ञों ने पाया कि 19.70  फीसदी पर्चो में एंटी  बायोटिक दवाएं लिखी गयी थी। 22.57 पर्चे पर अावश्यक दवाएं यानि इसेन्सियल ड्रग लिस्ट से दवाएं लिखी गयी थी।यह काफी कम है इसकी पीछे कारण जागरूकता की कमी बतायी गयी है।  23.12 फीसदी पर्चे पर विटामिन और मिनिरल दवाएं लिखी गयी थी। 73.60 फीसदी पर्चे पर फिक्स डोज कंबीनेशन(एफडीसी) दवाएं लिखी गयी थी । शोध रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने कहा है कि एफडीसी दवाअो से दवा के गलत प्रभाव के साथ इलाज का खर्च बढ़ता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दवा लिखने के मामले में विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानको का पालन नहीं हो रहा है। एक हजार दवा के पर्चों में 54.70 फीसदी पर्चे पुरूषों और 45.30 फीसदी महिलाअों के थे जिस पर शोध हुअा। 

इन्हों ने किया शोध
किंग जार्ज मेडिकल विवि के फार्माकोलाजी विभाग के डा. सरजात हुसैन, डा. सूरज सिंह यादव , डा. कमल किशोर सालवानी और डा. संजय खत्री ने एक हजार दवाअों के पर्चे पर शोध किया। इस शोध को इंडियन जर्नल अाफ पब्लिक हेल्थ ने स्वीकार किया।   विशेषज्ञों के एस्सेसमेंट अाफ ड्रग प्रिस्केप्सन पैर्टन यूजिंग डब्लूएचअो इंडीकेटरस इन टर्सरी केयर टीडिंग हास्पिटल के शीर्षक से शोध की स्वीकार किया गया है।

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