सोमवार, 2 जुलाई 2018

पीजीआई में जो सेंटर नहीं उसके लिए अावंटित हो गया 42 करोड़

पीजीआई में जो सेंटर नहीं उसके लिए अावंटित हो गया 42 करोड़

लिवर ट्रांसप्लांट सेंटर के साथ हिपैटोबिलैरी जुडने पर गैस्ट्रो सर्जरी ने लिखा पत्र


संजय गांधी पीजीआई में जो सेंटर वैधानिक रूप से स्थापित नहीं है उस सेंटर के नाम से 42 करोड़ का बजट जारी हो गया है। इस वजट को लेकर संस्थान प्रशासन परेशान है कि कैसे इसका इस्तेमाल किया जाए । इस मुद्दे को लेकर  लंबी बहस चली लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। संस्थान में लिवर ट्रांस प्लांट यूनिट के लिए भवन बन कर चार साल से  तैयार है लेकिन इसमें लिवर ट्रांसप्लांट शुरू नहीं पाया । इसको शुरू करने के लिए संस्थान प्रशासन ने इसमें हिपैटोबिलेरी भी जोड़ दिया जो गैस्ट्रो सर्जरी का हिस्सा है। हिपैटोबिलेरी को लिवर ट्रांसप्लांट से जोडे जाने पर गैस्ट्रो सर्जरी विभाग के विशेषज्ञों ने प्रमुख सचिव पत्र लिखा जिसमें कहा गया कि गैस्ट्रो सर्जरी विभाग बीस साल से काम कर रहा है । हमारे विभाग में 70 फीसदी सर्जरी हिपैटोबिलेरी की होती है। इसे लिवर ट्रांसप्लांट में जोड़े जाने से हम लोग क्या करेंगे। लिवर ट्रांसप्लांट अलग सब स्पेशिएलटी है इसमें हिपैटोबिलेरी नहीं जोड़ा जाना चाहिए । प्रमुख सचिव ने संस्थान प्रशासन से इस पर राय मांगी । मिली जानकारी के मुताबिक संस्थान ने 450 करोड़ का कर्ज लिया जिसमें 42 करोड़ हिपैटोबिलेरी सेंटर के लिए दे दिया गया जबकि यह सेंटर वैधानिक रूप से स्थापित ही नहीं है। लिवर ट्रांसप्लांट सेंटर ही वैधानिक रूप से स्थापित है एेसे में यह धन इस सेंटर पर भी नहीं खर्च हो सकता है। 


लिवर ट्रांसप्लांट के साथ हिपैटोबिलेरी जोड़ने के लिए नहीं अपनायी गयी प्रक्रिया

विभाग के संकाय सदस्यों का कहना है कि कोई भी सेंटर या सब स्पेशिएलटी  स्थापित करने के लिए बोर्ड  अाफ स्टडीज, एकेमडिक बोर्ड और शासी निकाय में फैसला लिया जाता है लेकिन संस्थान प्रशासन ने सीधे शासी निकाय में एजेंडा रखा जिससे शासी निकाय ने नकार दिया था । कहा गया कि लिवर ट्रांसप्लांट यूनिट के स्थापना के स्थान पर हिपैटोबाइलरी डिजीज का सृजन का प्रस्ताव दोष पूर्ण है। 




गैस्ट्रो सर्जरी के विशेषज्ञों से लगातार संपर्क में हूं जो शासी निकाय से तय विभाग है उसी पर पैसा खर्च किया जाएगा। बजट का दोबारा सही अावंटन की प्रक्रिया अपनायी जाएगी...निदेशक प्रो. राकेश कपूर
 

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