सोमवार, 30 जुलाई 2018

बनने के 6 साल बाद आज से शुरू हो जाएगा पीजीआई ट्रामा सेंटर



आज से शुरू हो जाएगा पीजीआई का एपेक्स ट्रामा सेंटर

चिकित्सा शिक्षा मंत्री अाशुतोष टंडन करेंगे लोकापर्ण 

लावारिस मरीजों को मिलेगा फ्री इलाज

जागरण संवाददाता। लखनऊ
संजय गांधी पीजीआई के एपेक्स ट्रॉमा सेंटर अाज से काम करना शुरू कर देगा। चिकित्सा शिक्षा मंत्री अाशुतोष टंडन , मुख्य सचिव अनूप चंद्र पाण्डेय, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा डा. रजनीश दूबे लोकापर्ण करेंगे। यह पहला ट्रामा सेंटर होगा जहां पर केवल ट्रामा के मरीजों को केयर मिलेगा। ट्रामा सेंटर के प्रभारी प्रो. अमित अग्रवाल के मुताबिक पीजीआई के शुल्क पर इलाज की सुविधा मिलेगी।  लावारिस मरीजों का इलाज पीजीआई प्रशासन की तरफ से नि:शुल्क किया जाएगा। इसका पूरा खर्चा पीजीआई प्रशासन उठाएगा। संस्थान प्रशासन पहले ही कह चुका है पहले कुछ दिनों मरीज को स्टेबलाइज करने पर जोर होगा । संस्थान प्रशासन के मुताबिक ट्रॉमा में शुक्रवार को इमर्जेंसी ओटी और न्यूरो ओटी तैयार कर ली गई है। नई तकनीकी की मदद से गंभीर मरीजों की सर्जरी की जाएगी। मरीजों के रजिस्ट्रेशन की फीस 250 रुपये होगी।

60 बेड  से शुरू हो रहा है ट्रामा सेंटर
ट्रॉमा  सेंटर  की  शुरुआत  60  बेड  के  साथ  की जाएगी।   ट्रॉमा सेंटर में 16 बेड कैजुयल्टी और 6बेड आईसीयू में लगाएं गए हैंबाकि 38 बेड जनरल वॉर्ड और चार प्राइवेट वॉर्ड में लगाए गए हैं।  प्रो. अमित अग्रवाल ने बताया कि ट्रॉमा में एक्स-रेसिटी स्कैन,अल्ट्रासाउंड मशीनें लगा दी गई हैं। जहां मरीजों को 24 घंटे जांच की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। साथ ही ट्रॉमा में न्यूरो सर्जनईएनटी सर्जनडेंटल सर्जनऑर्थो सर्जनट्रॉमा सर्जन,गाइनोक्लोजिस्टएनेस्थेसिया समेत कई विशेषज्ञ 24 घंटे उपलब्ध रहेंगे। इसमें 17 फैकल्टी और 14 सीनियर रेजिडेंट्स की तैनाती कर दी गई है।

इनके दिन -रात मेहनत से शुरू हो रहा है ट्रामा सेंटर
संस्थान का ट्रामा सेंटर शुरू करने के लिए प्रभारी प्रो. अमित अग्रवालप्रो. सुशील गुप्ताप्रो.एसके अग्रवाल प्रो. अंकुर भटनागरप्रशासनिक अधिकारी भरत सिंह  कई स्तर पर 
लगे रहे। टीम  के सदस्यों ने कहा कि कई स्तर पर रूकावट अा रही थी जिसे निदेशक ने दूर करने में मदद किया। 

बनने 6 साल बाद शुरू हो रहा है ट्रामा सेंटर

लगभग दौ सौ करोड़ की लागत से बना ट्रामा सेंटर 6 साल तक खडा रहा । कई बार चलाने की कोशिश हुई लेकिन सरकारी अडचनों को चलते यह काम नहीं कर पाया। 2015 में मेडिकल विवि ने इसे चलाने का जिम्मा लिया जिसके लिए 22 करोड़ विवि को दिया गया लेकिन सही तरीके से नहीं चल पाया फिर मुख्यमंत्री अादित्य नाथ योगी ने दोबारा पीजीआई को जिम्मा सौंपा । निदेशक राकेश कपूर ने चुनौती को स्वीकार किया और नए सिरे प्लानिंग कर चलाने के लिए कोशिश शुरू किया। 
  

 ट्रामा सेंटर को रेड और येलो जोन में बांटा गया है जहां इंजरी के स्कोर के अाधार पर इलाज दिया जाएगा। कहा कि  किसी भी सेंटर को मेच्योर होने में समय लगता है।  यह समय एक साल से दो साल तक हो सकता है इसलिए पहले ही दिन से बहुत अधिक उम्मीद नहीं करना चाहिए। रीढ़ की हड्डीब्रेन लिंब में चोट के बाद कई बार मरीज इलाज के बाद भी लंबे समय तक केयर की जरूरत होती है। इनको ट्रामा सेंटर में रखने के बेड भर जाएंगे एेसे मरीजों के लिए रीहैबिलिटेशन सेंटर की जरूरत है.....प्रो.राकेश कपूर






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