पीजीआई में एसबीएसआईकॉन-2025
गर्भस्थ शिशु का समुचित विकास न होना स्टिल बर्थ का बड़ा कारण
लगभग 30 फीसदी मामलों में एफजीआर जिम्मेदार
लखनऊ। गर्भ के भीतर शिशु का सही ढंग से विकास न होना (एफजीआर–फीटल ग्रोथ रेस्ट्रिक्शन) मृत शिशु जन्म (स्टिल बर्थ) का सबसे बड़ा कारण है। संजय गांधी पीजीआई में चल रहे स्टिल बर्थ सोसाइटी ऑफ इंडिया (एसबीएसआईकॉन-2025) के वैज्ञानिक सत्र में सोसाइटी की सचिव डा. तमकीन खान ने बताया कि एफजीआर मृत शिशु जन्म के करीब 30 प्रतिशत मामलों में पाया जाता है। एफजीआर में बच्चा अपने समय के हिसाब से वजन और लंबाई में पीछे रह जाता है। कई शिशु कम वजन के पैदा होते हैं और इसका मुख्य कारण यही होता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, एफजीआर के पीछे मां का उच्च रक्तचाप, पौष्टिक आहार की कमी या खून की कमी (एनीमिया), दिल और किडनी की बीमारियां, गर्भावस्था के दौरान संक्रमण तथा गर्भनाल (नाल) या प्लेसेंटा की खराबी प्रमुख कारण हैं। अगर बच्चा गर्भ में ठीक से नहीं बढ़ रहा है तो डॉक्टर अल्ट्रासाउंड और भ्रूण की धड़कन की जांच के आधार पर तय करते हैं कि गर्भ जारी रखना है या समय से पहले प्रसव कराना है।
नियमित जांच और पौष्टिक आहार है जरूरी
डा. अशना असरफ ने बताया कि हर गर्भवती महिला का ब्लड प्रेशर और वजन हर महीने जांचना चाहिए। गर्भवती को रोज़ाना पौष्टिक आहार लेना चाहिए, जिसमें दूध, दाल, फल और हरी सब्जियां शामिल हों। इसके साथ ही समय-समय पर अस्पताल जाकर नियमित जांच कराना जरूरी है।
कम विकसित बच्चों में आगे की परेशानियां
एमआरएच विभाग की प्रो. इंदु लता साहू ने कहा कि गर्भावस्था के दौरान परीक्षण(एंटी नेटल केयर) शहरी क्षेत्र में 97.2 फीसदी जबकि ग्रामीण क्षेत्र में 77.2 फीसदी ही है। परीक्षण की स्थिति ग्रमीण क्षेत्रों में सुधार की जरूरत है। बताया कि जिन बच्चों का विकास गर्भ में सही ढंग से नहीं हो पाता, उन्हें जन्म के समय सांस लेने में दिक्कत, कमजोरी । बड़े होने पर उनका शारीरिक और मानसिक विकास धीमा हो सकता है और उनमें मधुमेह (डायबिटीज) और उच्च रक्तचाप का खतरा भी अधिक रहता है। इस लिए एएनसी जी जरूरत है।
गर्भावस्था में खुजली भी एक समस्या
डा. नैनी टंडन ने बताया कि गर्भावस्था में एक से पांच प्रतिशत महिलाओं को शरीर में खुजली की समस्या हो सकती है। इसका कारण लिवर में बनने वाले बाइल एसिड का बढ़ना होता है। समय पर दवाओं और निगरानी से इसे नियंत्रित किया जा सकता है और जरूरत पड़ने पर प्रसव भी कराया जाता है।
बाईं करवट लेटने से बेहतर रहता है रक्त प्रवाह
एमआरएच विभाग की प्रमुख प्रो. मंदाकिनी ने सलाह दी कि गर्भवती महिलाओं को बाईं करवट लेटना चाहिए। इससे गर्भस्थ शिशु को ऑक्सीजन और रक्त प्रवाह बेहतर मिलता है। अगर भ्रूण की गति अचानक कम हो जाए या बंद हो जाए तो यह गंभीर जटिलता का संकेत हो सकता है। ऐसे में तुरंत जांच करानी चाहिए। डॉक्टर इस स्थिति में नॉन-स्ट्रेस टेस्ट और अल्ट्रासाउंड-डॉप्लर जांच से भ्रूण की स्थिति समझते हैं। गर्भनाल या प्लेसेंटा में समस्या गंभीर होने पर तत्काल प्रसव ही एकमात्र उपाय रहता है।
इन लक्षणों पर तुरंत लें डॉक्टर से सलाह
पेट में तेज दर्द
रक्तस्राव
पानी का स्राव
सिरदर्द और धुंधला दिखना
पूरे शरीर में खुजली
प्रसव का समय निकल जाना

















