शुक्रवार, 2 फ़रवरी 2024

माई बॉडी माई चॉइस ,,,,,पतन का कारण



my body my choice  फिर जब लड़की एक तरह की ,,,, बन जाती है तो फिर वो चाहती है कि सभी ऐसी हों, ताकि उसे समाज तिरस्कृत न कर पाए..



 जहां सनी लियोनी खड़ी हो जाये हजारो की भीड़ कर रहे थे। इससे बेटियों-बहनों ने क्या सीखा कि वो आप आज टिकटोक-रील्स के मुजरों में देख ही रहे हो।

ज्यादा बताने की जरूरत नही कि कैसे गन्द भरे समाज की ओर हम बढ़ रहे हैं जहां अपनी पीढ़ीयां बचानी हर दिन के साथ मुश्किल ही होगी। पूरा पश्चिम इसी तरह बर्बाद, परिवारविहीन, डिप्रेस, लोनली, ड्रग्स एडिक्ट और ना जाने क्या क्या बना है।


   अभी बड़ा मजा आ रहा है सबको। चुइये बाप अपनी बेटियों के साथ टिकटोक मे ठुमके लगा रहे हैं। नोरा जैसियों ने रियल्टी शो के डांस, भांडो के चोली के पीछे जैसे गानों से भी बुरे कर दिए हैं कि माँ बाप अपनी छोटी छोटी बच्चियों(4-5 साल की) से भौंडे स्टेप्स करा तालियां पीटते हैं।  नाटक वाली जिन्हें घर घर देखा जाता है और फेवरेट बनाया जाता है जब वो इंस्टा में आती हैं तो अपने असली रंग दिखा रही होती हैं। फिल्मी कोठे का तो क्या ही बताना क्योंकि जितना लिखो कम ही होगा।


   शोहरत का शॉर्टकट घर घर खराब कर रहा है। एक भी मोहल्ला अब इस सांस्कृतिक प्रदूषण से बचा नही है। सबने मोटो अपना लिया है कि बदनाम हुए तो क्या हुआ, नाम तो हो रहा है। और ये गन्द तो अभी चल ही रही थी कि इससे बड़ा सांस्कृतिक प्रहार भारत मे प्रवेश कर चुका है LGBTQ के नाम पर जिसमें अपना चंदा मामा लेवल का भी मुख्य सिपाही है।


     ये गन्द तो वो हाल करेगा कि लोग अपनी बेटियों से खुद कहेंगे कि बेटी बन ले तू जितनी मर्जी सेक्सी, करा लें जैसे मर्जी बोल्ड शूट, यहां तक कि न्यूड शूट... बस हाथ जोड़कर विनती है कि लड़की ही बने रहना और इस LGBTQ के आतंक के चुंगल में मत फंसना।


आजकल जो मेट्रो, सड़क आदि पर नंगी पुंगी लड़कियां हैं वो इसी का बाय प्रोडक्ट है। लड़कियों ने ये समझ लिया है कि नंगई तो सबसे आसान तरीका है रातोरात प्रसिद्धि पाने और पैसा बनाने का। इंस्टाग्राम इसी वजह से सेमी पोर्न का अड्डा बन गया है। माँ बाप इसी में खुश हैं कि उनकी बेटी तो सेलेब्रिटी बन गयी है। लड़के नंगे नही हो सकते तो उनका शॉर्टकट है कि गालीगलौज करो, फूहड़ता दिखाओ। बाकी और क्या करना है तो पश्चिम वाले इंस्टा में क्या कर रहे हैं, उसकी नकल करो और उधर तो निप्पल शो हो रहे हैं। पुट्ठे दिखाने की होड़ है तो यहां भी बच्चे को दूध पिलाने के बहाने से लेकर नहाने के वीडियो बना अपने अंग दिखाए जा रहे हैं। गांव गांव तक कि लड़कियां चूल्हे में रोटी बनाने के बहाने से क्लीवेज से लेकर निप्पल दिखा रही हैं। कुछ तो खुद का सेक्स तक दिखा रही हैं तो कुछ चुम्माचाटी का वीडियो डाल रही हैं। ऊपर से पश्चिम की डिमांड पर फेसबुक जो इंस्टा का भी मालिक है उसने निप्पल या पुट्ठे दिखाने अब allow कर दिए हैं। अब ऐसे में आपकी ID पर रिपोर्टिंग भी नही हो सकती कि ये अश्लीलता फैला रही है।


, my body my choice  फिर जब लड़की एक तरह की वैश्या बन जाती है तो फिर वो चाहती है कि सभी ऐसी हों, ताकि उसे समाज तिरस्कृत न कर पाए..


इस खेल का सबसे आसान माध्यम इंस्टा बन गया है। उसी तरह इंटरनेट इस #CulturalCrusade का सबसे बड़ा हथियार बन गया है। आप बैन कीजिये वो VPN के माध्यम से आपके पास पहुंच जाएगा। सरकार ने टिकटोक पर बैन किया तो इंस्टा आ गया। इंस्टा पर बैन होगा तो कुछ और आजायेगा। कानून बना भी इसे रोका नही जा सकता क्योंकि यहां तो पोर्न बैन करने पर लोग विरोध करने आ गए थे कि ये तो निजता पर हमला है। आप कानून बनाइये दूसरी तरफ कोर्ट में बैठे नालीवादी इसे निरस्त कर देंगे।


और उन माँ बापों को कैसे रोकेंगे जो खुद अपनी औलादों की आड़ में प्रसिद्धि पाने का जुगाड़ करे हुए हैं। ये तो वो प्रदूषण बन गया है जिसमे आपको खुद घर मे ऑक्सीजन मास्क लगाकर रहना पड़ेगा। मास्क हटते ही आपके घर मे भी ये प्रदूषण आपके बच्चे के फेफड़े खराब करना शुरू कर देगा।


भारत में पोर्न महामारी कैसे बन गया? ऐसा क्या हुआ कि इंटरनेट यूज करने वाले लोग पोर्न को सर्च करने लगे? गूगल के कुछ उपयोगी टूल्स के जरिए हमने इन सवालों के जबाव तलाशने की कोशिश की और जो नतीजे सामने आए वह हैरतअंगेज हैं।

गूगल साल 2004 से अब तक के सर्च इंट्रेस्ट आंकड़े उपलब्ध करवाता है। 2004 से 2010 तक भारत कभी भी पोर्न सर्च करने वाले शीर्ष दस देशों में नही रहा। 2011 में भारत पहली बार इस सूची में 9वें स्थान पर आया। लेकिन 2012 में भारत इस सूची में पांचवे स्थान पर था और पिछले साल में हम चौथे स्थान पर है।(ये आंकड़ा भी पुराना है)। त्रिनिदाद एवं टोबैगो, पापुआ न्यू गिनी और पाकिस्तान हमसे आगे हैं।


यही हाल सेक्स शब्द सर्च करने का भी है। भारत गूगल पर सेक्स सर्च करने के मामले में हमेशा से आगे रहा है। लेकिन सितंबर 2011 के बाद इसमें भी अप्रत्याशित तेजी आई। अब सवाल यह उठता है कि 2011 में ऐसा क्या हुआ कि पोर्न भारत में महामारी की तरह फैला और लगातार फैलता जा रहा है। तो इसका जबाव है कि 2011 में पहली बार एक पोर्न स्टार मेनस्ट्रीम मीडिया के जरिए खबर बनी। दरअसल सनी लियोन ने बिग बॉस के जरिए भारतीय एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में कदम रखा। बिग बॉस का हिस्सा बनते ही सनी लियोनी खबरों में छाई रही। यदि गूगल सर्च कीवर्ड्स के इंट्रेस्ट पर नजर डालें तो साल 2012 में सनी लियोनी एकमात्र ऐसी सख्शियत थी जो राइसिंग सर्च में टॉप टेन कीवर्ड्स में जगह बना सकीं। यानि 2011-2012 में सनी लियोनी को खूब सर्च किया गया और सनी लियोनी को सर्च करते-करते भारतीय पोर्न तक पहुंच गए। हालत यह हुए कि इंटरनेट पर पोर्न से दूर रहने वाले भारतीय दो साल के भीतर ही सबसे ज्यादा पोर्न सर्च करने के मामले में चौथे नंबर पर आ गए।


 इस देश मे दिल्ली की सड़कों पर "Kiss of love" चलाया गया। असली कारण इसी में छुपा था क्योंकि इसे ऑर्गनाइज करने वाले खुद सेक्स रैकेट चलाते पकड़े तक जा चुके थे। इतना ही नही इस अभियान के पीछे  वो थे जो शादी को कहते हैं कि ये एक संस्थागत वैश्यावृत्ति है जहां बाप अपनी बेटी को पराए मर्द को भोगने को सौंप देता है और वो उसका मैरिटल रेप करता है। असली प्यार तो चुनकर करना है और एक से क्यों देश मे Free Sex होना चाहिए जहां लड़की चाहे जितना मर्जी और जितनों से मर्जी सेक्स करे। ऐसा नही करोगे तो हम तुम्हे वैश्यावृत्ति से जन्मी सन्तान मानेंगे।


इसका बिजनेस पहलू समझना हो तो ये है कि भले ही सनी लियोनी के आने से पहले भले ही लोग पोर्न देखते रहें हों लेकिन एक तो इस मात्रा में नही देखते थे, दूसरा कितनी पोर्न वाली/वाले का नाम जानते थे। इसके उलट आज की पीढ़ी कम से कम दर्जन भर ऐसों का नाम जानती है और न सिर्फ जानती है बल्कि इतना कॉमन कर चुकी कि ये न्यू नॉर्मल बना दिया गया है। इससे पोर्न इंडस्ट्री ने जबरदस्त मार्किट खड़ा किया अपना भारत में। ऐसा ही मॉडलिंग इंडस्ट्री, फिटनेस इंडस्ट्री, अंडरगारमेंट्स इंडस्ट्री और कितनी ही इंडस्ट्री भारत मे फल फूल गयी। नतीजा, जब पोर्न इंडस्ट्री यहां भी खुद को पोर्न"स्टार" कहलवाने लगी तो फ़िल्म तो बड़ी पिछड़ी सोच की हो गयी तो हुआ ये कि पहले किसिंग नॉर्मल बनी, फिर क्लीवेज नॉर्मल किया गया और अब पुट्ठे नॉर्मल किये जा रहे हैं। पोर्न, फ़िल्म, फिटनेस, मॉडलिंग, अंडरगारमेंट सभी का संगम ये बन गया है। 

इसके साथ ही एकाएक ऐसी फिल्मों की बाढ़ आ गयी है जो बस सेक्स और वो भी explicit लेवल का सेक्स बना बना बेच रहा है। आज फैमिली शो, अवार्ड शो आदि में भी किस तरह ये "सेलेब्रिटी" कपड़े पहनकर आती हैं आप TV लगाकर खुद परिवार के साथ लज्जित होते है। टिकटोक के ठुमको से शुरू हुई कहानी Only fans जैसे एप्प तक जा चुकी हैं जहां कुछ रुपयों में आप भरपूर वर्चुअल सेक्स और अंग प्रदर्शन का आनंद ले सकते हैं।


कहते थे कि लज्जा स्त्री का गहना होती है लेकिन लज्जा तो इन इंडस्ट्री के सामने गिरवी रखे जाने लगी है। जिसका नुकसान ये है कि जब आप शरीर को सिर्फ भोग और प्रदर्शन का माध्यम समझने लगते हैं तो फिर आप उसी तरह नही रुक पाते जैसे एक नशे का एडिक्टेड नही रुक पाता। और फिर बड़ा आसान हो जाता है समझौता करना भी। इसका उदाहरण दूं तो ब्रिटेन में 50% टीनएज लड़कियां अपने लैंड लार्ड से किराए के बदले सेक्स करती हैं। इसका कारण भी उनका समाज है जहां परिवार सिस्टम तरीके से तोड़ा गया कि 18 की होते ही वहां घर छोड़ "इंडिपेंडेंट" होना ही होना है वरना समाज ही तुम्हे कच्चा चबा जाएगा कि तू बालिग होकर भी मां बाप के साथ कैसे रह सकती है। अब ये लड़कियां बच्ची तो होती हैं और जरूरते बड़ी बड़ी। जॉब ऐसी मिल नही पाती की शौक भी पूरे हों। ले देकर घर ढूंढती हैं जहां समझौते करने पड़ते हैं। बॉयफ्रेंड बनाती हैं जो कुछ शौक पूरे कर सके। इधर उधर हाथ पैर मारती हैं ताकि बेहतर जॉब हाथ लग सके जहां भी समझौते करने पड़ते हैं। अब चूंकि समाज पहले से ही फ्री सेक्स समर्थक होता है तो ये आसानी से तैयार हो जाती हैं और आसानी से फिर सामने वाले के सामने खुद को सरेंडर कर देती हैं, बस काम निकलना चाहिए।।


  यही बच्चियां फिर जब बड़ी होती जाती हैं तो इनके लिए वन मैन वुमन रहना मुश्किल हो जाता है क्योंकि जैसे ही मन भरा या शौक पूरे होने में कमी आयी तो तुरन्त रिलेशन खत्म करने से भी ये पीछे नही हटती जो आपको हमको इनके एक पति से दूसरे, दूसरे से तीसरे, तीसरे से चौथे में जाते दिखता है। स्कारलेट जॉनसन(अवेंजर की नताशा रोमनोफ) का तो आपको आर्टिकल है जहां वो कहती है कि कोई औरत एक मर्द के साथ पूरी जिंदगी कैसे रह सकती है।


  इसी का एडिशन वन नाईट स्टैंड इनके गानों फिल्मों यहां तक कि असल जिंदगी में देखते हैं कि तुरन्त कोई मर्द पकड़ा रात बिताई और टाटा बाई बाई। इसी के अन्य दुष्परिणाम हमें सिंगल मदर, लोनली जीवन, डिप्रेशन, ड्रग एडिक्शन, पागलपन, सुसाइड आदि में दिखते हैं। इसी का दुष्परिणाम परिवार सिस्टम ध्वस्त होना होता है। इसी का दुष्परिणाम पेरेंटिंग का खात्मा होता है जो वैल्यू सिखाता है, जो ट्रेडिशन सिखाता है, जो कल्चर सिखाता है। बिना इसके एक पढा लिखा लेकिन जानवर माफिक समाज बनने लगता है जिसे अपनी जिम्मेदारी का कोई एहसास नही, कम से कम पारिवारिक जिम्मेदारी का। बच्चा और कुत्ता ऐसे समाज मे एक समान होता है कि बेबी कर लो या पप्पी ले आओ, जब तक बड़ा हो खूब दुलार करो और फिर एक दिन कुत्ता 18 साल में मर जायेगा और बच्चा 18 होते ही घर छोड़ देगा।


पोर्न इंडस्ट्री के आने से सिर्फ इतना ही नही हुआ। पोर्न ने नंगई के साथ साथ बौद्धिक नंगई भी बढ़ाई है स्टेप सिस्टर सेक्स, स्टेप डॉटर सेक्स, स्टेप ब्रदर सेक्स, स्टेप फादर सेक्स जैसी चीजें दिमाग मे घुसेड़ के सिर्फ अभी अपनी सगी बहन, मां, बाप, भाई ही छूट रखे हैं बाकी के कजिन अब उस नजर से देखे जाने लगे हैं। और ये भी कब नॉर्मल हो जाये बस दिमाग मे भरने की बात भर जितना दूर है। आज ट्विंकल खन्ना कहती है कि मेरा बेटा मुझे माँ की नजर से नही देखता। ये वो बॉलीवुड सोसायटी है जो सबसे ज्यादा पश्चिम से कनेक्टेड है। पश्चिम में हॉट मॉम, हॉट सिस्टर इस तरह कॉमन हो गया कि लड़के का दोस्त इसे मुंह पर बोल देता है अपने दोस्त को और इसे हामी भर स्वीकार लिया जाता है। भारत मे है किसी की हिम्मत कि किसी की माँ बहन के लिए उसका दोस्त ऐसे शब्द कह दे।


भारत की तो लड़कियां भी बेचारी कन्फ्यूज हैं। वो जबरदस्ती इंडियन-वेस्टर्न का घालमेल कर गलतफहमी में जी रही हैं। उन्हें ट्विंकल खन्ना की उस बात को ध्यान से समझना चाहिए क्योंकि तुम्हारे ही बच्चे फिर इसके प्रभाव में आने वाले हैं। तुम जो अभी उछल रही हो, कल को तुम्हारे कारनामे जब बच्चे बड़े होकर देखेंगे तो तुम्हारा भी ट्विंकल बनना तय है। तुम खुद ऐसी हो तो तुम्हारी बेटी को उससे ज्यादा गन्दा होने से कैसे रोक पाओगी क्योंकि ये बीमारी रिवर्स में तो चलेगी नही कि मम्मा हॉट थी मैं सिंपल बनूंगी, बल्कि होगा ये कि मम्मा हॉट थी मैं सुपरहॉट बनूंगी। रोक पाओगी उसे? किस मुंह से रोक पाओगी?


एक और चीज जहां इंडियन लड़कियां कंफ्यूज हैं या मजबूरी का शिकार हैं कि किसी को खुद पर बहनजी का ठप्पा नही चाहिये। यहां लड़कियां तीन वजह से सेक्सी एंड हॉट बनने को उतारूँ हैं। पहला कि उन्हें किसी से कमतर नही दिखना है, दूसरा उन्हें अटेंशन पाना है और तीसरा उन्हें मोडर्न लगना है। कमतर का अर्थ है कि तू कर सकती है तो मैं भी कर सकती हूँ। अटेंशन का अर्थ है कि सेक्सी दिखूंगी तो फॉलोवर बढ़ेंगे, लोग नोटिस करेंगे और क्या पता मैं भी सेलेब्रेटी बन जाऊं। और मोडर्न का मतलब कि ऐसी नही बनूंगी तो पिछड़ी कहलाऊंगी और लोग मजाक बनाएंगे कि आ गयी संस्कारी बहनजी। और इस वजह से दिल भले ही भारतीय हो शरीर पश्चिम हो गया है। ये लड़कियां पूजा पाठ भी कर लेती हैं, मन्दिर भी चली जाती हैं, परिवार वाली बनना चाहती हैं, बस कपड़ों और हरकतों से भारतीय नही बनना चाहती।। और जैसा बताया कि कपड़े पश्चिमी करने तो शुरुआत भर है, आगे सब कुछ पश्चिमी होता जाएगा जब नालिवाद आपको जकड़ना शुरू करेगा जो अभी its my body and its my choice के पहले गियर में है। और जहां शर्म गयी वहां सब कुछ यूं फिसलता जाएगा जैसे मुट्ठी से रेत फिसलती है और इसे कोई कितनी भी कोशिश कर ले ये रुकेगा ही नहीं। 100 में से 10 शायद वापसी कर भी लें 90 पश्चिम वाले मकड़जाल में फंसते ही चले जायेंगी जिसका अंत परिवार सिस्टम का अंत है और इसकी शुरुआत ही इसलिए साजिशतन हुई थी कि न्यू वर्ल्ड ऑर्डर वाले चाहते थे कि कोई परिवार न रहे जिससे फिर कोई समाज न टिक पाए और फिर ये एक नया जॉम्बी समाज बनाएं जो इनके इशारे पर काम करे जहां कोई अपना कल्चर न मानता हो, जहां कोई अपना ट्रेडिशन न मानता हो, जहां कोई अपना बिलीफ न मानता हो और जहां कोई अपनी सोच समझने की शक्ति न रखता हो।


बिगबॉस जो बिग ब्रदर का भारतीय वर्जन है यदि वह उसका विदेशी वर्जन देख लेते तो समझ जाते कि यह किस लेवल का घटिया शो है. विदेश में तो लड़की को नंगी होकर टास्क से लेकर खुलेआम ऑन कैमरा कपड़े बदलना, नहाना और सेक्स करना तक दिखाते हैं और वो वामपंथ में जकड़े लोग बड़ी बेशर्मी से खुलेआम यह "टास्क" करते भी हैं.


यह शो ही सांस्कृतिक पतन करने का जरिया है.. फिर वो विदेश हो या देश. इसी शो ने इस देश को अंतराष्ट्रीय वैश्या सनी लियोनी पेश की थी जो आज यदि सड़क पर खड़ी हो जाए तो हजारों यही संस्कृति की दुहाई देने वाले उसे देखने को खड़े रहते हैं. इसी शो के स्क्रिप्टेड कहानी से आपको यह दिखाया जाता है कि "बड़े" लोग किस तरह जीते हैं, सोचते हैं... ताकि आप भी उनकी सोच की कॉपी कर सको और उनकी सोच हमेशा इसी तरह होगी कि जब सनी लियोनी बताएगी कि "I am a porn star" तो "बड़े" लोग तालियों से उसका स्वागत करें और फिर जब कोई आम भारतीय उसे वैश्या कहे तो "बड़े" लोगों जैसा बनने वाले उस आम भारतीय को छोटी सोच और दकियानूसी ख्यालात वाला कहने लगें.


नतीजा-- आज हर दूसरी भारतीय लड़की फिल्मों(मुख्यत: वेब्सिरिज) में नंगी हो रही है.... क्योंकि एक तो उसे इससे पैसे मिल रहे हैं दूसरा जब समाज इस चीज को स्वीकार करकर शोहरत भी दे रहा है तो फिर ये संस्कृति-संस्कार का चूतियापा लेकर काहे अपना नुकसान करवाना? 

वैसे भी इस देश में भांड "हीरो" "हीरोइन" होते हैं।


अब फिर बिग बॉस के चर्चें हैं। गाली दी जा रही है कि ऐसे लोग कैसे जीत रहे हैं लेकिन लोग ये नही समझ रहे कि दुनिया का कोई भी रियल्टी शो में सिर्फ उसका नाम रियल होता है बाकी अब स्क्रिप्टेड होता है जो छपरी जीत रहे हैं ये जिताये जा रहे हैं ताकि इस तरह ही छपरी पीढ़ी जिसे GenZ कहते हैं वो तैयार कराई जाए। इनका बौद्धिक विकास नगण्य रहता है इसलिए इनको शिकार बनाना भी आसान है और इनके देखा देखी बाकी के युवा भी इसके लपेटे में आते हैं जब वो इस तरह के शो की चर्चा करते करते इसका शिकार हो जाते हैं वरना ये ZenG उन्हें अपने बगल में बिठाने से बहिष्कृत कर देंगे। इन्हें जिताकर लाइम लाइट में लाने का उद्देश्य है कि आप इन्हें फॉलो करें। न सिर्फ सोशल मीडिया पर बल्कि असली जीवन मे भी वरना आप कूल नही हैं बल्कि आप तो धरती पर बोझ बनकर जी रहे हैं। फिर जो जो इनसे करवाया जाएगा वो आपको करना ही पड़ेगा कूल दिखने को और ये किस तरह के निम्न बुद्धि के होते हैं ये कोई भी समझदार समझ सकता है। बिग बॉस बना ही इसलिए है ताकि आप उस "घर" की तुलना अपने घर से करें और मायूस होकर सोचें कि आपके घरवाले, रिश्तेदार, मोहल्ले तो साले बकवास जीवन जीते हैं, असली जीवन तो बिग बॉस वालों का है। फिर जब आप इन्हें निजी जीवन मे जीते हैं तो आप घर से बागी बनते हैं कि मुझे ऐसी चुइया जिंदगी नही चाहिए मुझे तो मेरे "आदर्श" की तरह जीना है। आपको हैरानी नही होती कि 3 महीने चलने वाला ये शो क्यों साल में दो बार कर दिया गया है अर्थात आपके जीवन के प्रत्येक वर्ष आप आधे वर्ष इन्हें ही देख रहे हैं।


समाज इसी तरह बागी बनता है। एक 3 घण्टे की फ़िल्म से ज्यादा प्रभाव इस तरह के शो बनते हैं जो घर मे आसानी से उपलब्ध भी है और हर दिन इनकी चर्चा आप स्कूल कॉलेज में भी कर रहे हैं कि आज तो ये हुआ और आज तो वो हुआ। यही काम तो डेली सोप ने घर की महिलाओं के साथ किया कि सास कैसे बनना है, बहु कैसे बनना है, क्लेश कैसे सीखने है आदि आदि। एकता कपूर तो इन नाटकों के जरिये परिवारों में आग लगवाने को माहिर ही है। इसपर कितने लोग पहले कितनी बातें कर भी चुके हैं।


यही बिग बॉस भी का काम है। ऊपर की पोस्ट दो चार पुरानी पोस्टों की मिक्स है तो आप बार बार सनी लियोनी शब्द देख रहे होंगे और सोचते होंगे कि अब सनी लियोनी को कौन ध्यान देता है लेकिन सनी लियोनी ही वो पहली सीढ़ी थी जहां से शुरुआत हुई थी जो अब किस स्तर पर है आपको भी पता है। ऐसे ही बिग बॉस का भविष्य देखना हो तो बिग ब्रदर के इंटरनेशनल शोज़ देखिए और आप समझ जाएंगे कि ये आपके घर परिवार समाज को कहां ले जाएगा। अभी तो इसका उससे रिलेशन, उसका उसके बाहों में पड़े रहना, स्विमिंग पूल में नहाना, चुम्बन, क्लेश, एक दूसरे को एक्सपोज़ करना जैसा शुरुआती पड़ाव है जैसा सनी लियोनी थी और जब आप इसमें ढल जाएंगे तो आप वैसे ही कहँगे कि ये भी कोई बात करने की चीज है जो अब पुरानी बात हो चुकी जैसा आप सनी लियोनी को कहँगे कि वो भी अब चर्चा की बात है क्योंकि अब तो सनी लियोनियाँ भर चुकी हैं समाज में।।


आप में से बहुत से लोग इसके लोगो, इल्युमिनाटी आदि से परिचित होंगे तो जानते होंगे कि ये डीप स्टेट का हिस्सा ही है। वही डीप स्टेट जो दुनिया मे woke कल्चर का क्रुसेड छेड़े है। कोई भी जनरेशन ऐसे ही किसी बीमारी से ग्रसित नही होती। उसके लिए हर जगह अपना सिस्टम इंस्टाल किया जाता है। बिग बॉस भी उन्ही का एक प्लेटफॉर्म है।।

साभार पवन त्रिपाठी फेस बुक वॉल





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