जीन परीक्षण से खुला डायरिया राज
बार-बार डायरिया का कारण हो सकता है पीआईडी
पीआईडी के कारण चार साल की बच्ची बार –बार हो रही थी डायरिया और पेचिश का शिकार
बार –बार डायरिया, पेचिश से परेशान का इलाज 4 वर्षीय रतिका के माता-पिता काफी चिंतित थे। आम इलाज से कोई फायदा नहीं हो रहा था किसी तरह डायरिया रुका भी तो दस दिन भी नहीं बीतता दोबारा डायरिया की परेशानी शुरू हो जाती थी। घर वाले परेशान हो कर संजय गांधी पीजीआई के पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंट्रॉलजी में सलाह के लिए आए । विभाग के प्रो. मोइनक सेन शर्मा ने देखा तो समझ गए कि यह आम डायरिया या पेचिश नहीं है। रतिका की इतनी खराब थी कि मलद्वार के पास छननी(धाव) जैसा बन गया। आंत में अल्सर हो गया था। वजन नहीं बढ़ रहा था। रतिका को केस के रूप में रविवार को संस्थान में इंडियन सोसाइटी आफ पीआईडी(पीडीकांन-2024) के अधिवेशन में प्रस्तुत करते हुए बताया कि बच्ची के आंत पर भार कम करने के लिए छोटी आंत और बड़ी आंत के बीच गैस्ट्रो सर्जरी विभाग ने डायवर्जन किया। इसी बीच तमाम परीक्षण जो अन्य कारण थे सब सामान्य थी। पीआईडी जानने के लिए अन्य जांच के साथ जीन की जांच कराया तो बच्ची में आईएल 10 जीन में खराबी मिली जिसके कारण बच्ची का इम्यून सिस्टम काफी कमजोर था बार संक्रमण के कारण डायरिया हो रहा था। इस परेशानी का इलाज बोन मैरो ट्रांसप्लांट ही प्राथमिक उपचार के बाद परिजन इसके लिए दूसरे संस्थान ले गए। प्रो. मोइनक ने बताया कि इम्यून सिस्टम में कमी के कारण कई तरह का डायरिया हो सकता है कुछ का इलाज केवल इंट्रावेनस इम्यूनोग्लोबुलिन इलाज से संभव होता है। 40 से अधिक बच्चे देखरेख में है। जागरूकता की कमी के कारण कई बच्चे की डायरिया से मृत्यु हो जाती है।
कई प्राथमिक इम्युनोडेफिशिएंसी विकार विरासत में मिले हैं - एक या दोनों माता-पिता से प्राप्त होते हैं। आनुवंशिक कोड में समस्याएं जो शरीर की कोशिकाओं (डीएनए) के उत्पादन के लिए ब्लूप्रिंट के रूप में कार्य करती हैं, प्रतिरक्षा प्रणाली में इनमें से कई दोषों का कारण बनती हैं।
क्लीनिकल इम्यूनोलॉजी विभाग की प्रमुख प्रो. अमिता अग्रवाल के मुताबिक प्राथमिक इम्युनोडेफिशिएंसी 500 से अधिक प्रकार हैं। प्रतिरक्षा प्रणाली के प्रभावित हिस्से के आधार पर उन्हें मोटे तौर पर छह समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है
-बी सेल (एंटीबॉडी) की कमी
-टी सेल की कमी
- बी और टी कोशिका की कमी
- दोषपूर्ण फैगोसाइट्स
- कंपलीमेंट की कमी
यह परेशानी तो ले सलाह
प्राथमिक इम्युनोडेफिशिएंसी यह लक्षण है । यह परेशानी है तो वह विभाग में ओपीडी में संपर्क कर सकते हैं।
-बार-बार निमोनिया, ब्रोंकाइटिस, साइनस संक्रमण, कान में संक्रमण, मेनिनजाइटिस या त्वचा संक्रमण
-आंतरिक अंगों की सूजन और संक्रमण
- कम प्लेटलेट काउंट या एनीमिया
पाचन संबंधी समस्याएं, ऐंठन, भूख न लगना, मतली और दस्त
-ऑटोइम्यून विकार, जैसे ल्यूपस, रुमेटीइड गठिया या टाइप 1 मधुमेह
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