शनिवार, 24 फ़रवरी 2024

पीजीआई में दुर्लभ रोगों से पीड़ित 16 बच्चों का मुफ्त इलाज शुरू

 



पीजीआई में दुर्लभ रोगों से पीड़ित 16 बच्चों का मुफ्त इलाज शुरू


-80 फीसदी दुर्लभ रोग अनुवांशिक होते हैं

-पीजीआई के जनेटिक्स विभाग में हुआ कार्यक्रम

-रेयर डिजीज पॉलिसी के तहत पीजीआई को मिले 6.4 करोड़ रुपये 

 

संजय गांधी पीजीआई में दुर्लभ बीमारी गौचर और स्पाइनल मस्कुलर रोग से पीड़ित 16 बच्चों का इलाज नि:शुल्क शुरू हो गया है। केन्द्र सरकार ने रेयर डिजीज पॉलिसी के तहत पीजीआई को दुर्लभ रोगों के इलाज के लिए 6.4 करोड़ रुपये दिये हैं।  शनिवार को पीजीआई के मेडिकल जेनेटिक्स विभाग की प्रमुख प्रो. शुभा फड़के ने संस्थान में आयोजित रेयर डिजीज जागरूकता   कार्यक्रम में बताया कि  विल्सन रोग, टायरोसिनेमिया, ग्रोथ हार्मोन की कमी, इम्यूनोडेफिशिएंसी रोगियों को जल्द ही मुफ्त उपचार शुरू किया जाएगा। इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के यूपी चैप्टर और लखनऊ एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम में दुर्लभ रोगों से पीड़ित करीब 100 बच्चों को सम्मानित किया गया। प्रदेश के कई जिलों से आए बाल रोग विशेषज्ञों को दुर्लभ बीमारियों की जानकारी दी गई।

80 फीसदी दुर्लभ बीमारी अनुवांशिक

मेडिकल जनेटिक्स विभाग की प्रमुख डॉ. शुभा फड़के ने बताया कि 80 फीसदी दुर्लभ रोग ( रेयर डिजीज) अनुवांशिक होते हैं। जबकि अन्य में बैक्टीरिया या वायरल संक्रमण समेत दूसरे कारण होते हैं। अनुवांशिक दुर्लभ बीमारियां जन्मजात होती हैं। इनके लक्षण तीन, छह व एक साल में दिखाई देने लगते हैं। डॉ. फड़के ने बताया कि पांच हजार तरह की दुर्लभ बीमारियां हैं। 10 हजार व 30 हजार में एक में दुर्लभ बीमारी होती है। संस्थान की ओपीडी में हर साल करीब तीन हजार बच्चे दुर्लभ बीमारियों के आते हैं। इनमें से 150 बच्चों का इलाज विभाग में चल रहा है। एनएचएम के जरिए नवजात स्क्रीनिंग कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके तहत 6500 नवजात की स्क्रीनिंग जन्मजात हार्मोनल बीमारी का पता लगाने के लिए किया गया है। कार्यक्रम में   राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन निदेशक पिंकी जोवेल, संस्थान के डीन डॉ. शालीन कुमार व डॉ. दीप्ति सक्सेना समेत अन्य ने विचार रखे।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें