रविवार, 11 फ़रवरी 2024

वैक्सीन से कम होगी सीओपीडी की परेशानी- टीबी के मरीजों में अधिक है सीओपीडी की आशंका


पीजीआई पल्मोनरी मेडिसिन विभाग का स्थापना  दिवस

वैक्सीन से कम होगी सीओपीडी की परेशानी

टीबी के मरीजों में अधिक है सीओपीडी की आशंका

 


सीओपीडी(क्रोनिक आब्सट्रेक्शन पल्मोनरी डिजीज) के मरीज इंफ्लुएंजा और न्यूमोकोकल वैक्सीन लगवा कर परेशानी कम कर सकते हैं।  संजय गांधी पीजीआई के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख प्रो. आलोक नाथ एवं  प्रो, मानसी गुप्ता ने विभाग के स्थापना एवं एल्युमिनाई मीट के मौके पर एयर वे डिजीज पर आयोजित अधिवेशन में  बताया कि दो महीने से अधिक खांसी, बलगम और सांस लेने में परेशानी हो तो किसी पल्मोनरी विशेषज्ञ से सलाह ले कर सीओपीडी की आशंका को कम कम किया जा सकता है। इस समस्या के दौरान फेफड़ों के वायु मार्ग सिकुड़ जाते हैंजिस वजह से सांस लेने में परेशानी आती है. ऐसा होने पर शरीर के अंदर से कार्बन डाई ऑक्साइड बाहर नहीं निकल पाता है।टीबी ग्रस्त लोगों में इस बीमारी की आशंका आम लोगों के मुकाबले अधिक है इसलिए टीबी का भी इलाज पूरी तरह से लेना चाहिए । यह परेशानी इतनी बढ़ गयी है कि इसे टीबी एसोसिएटेड सीओपीडी (टीओपीडी) के नाम से जाना जा रहा है। इस परेशानी का मुख्य कारण धूम्रपान के साथ प्रदूषण है। इस बीमारी के इलाज के लिए एंटी आईजीई , एंटी आईएल -5 और एंटी आईएल आरए बायोलॉजिकल दवाएं भी गयी है काफी राहत दे रही है। प्रारंभिक इलाज में  ब्रोंकोडाइलेटर इनहेलर सबसे महत्वपूर्ण दवाएं हैं। वे वायुमार्गों को खुला रखने के लिए उन्हें शिथिल करते हैं। कुछ  ब्रोन्कोडायलेटर कुछ ही सेकंड में काम करना शुरू कर देते हैं और 4-6 घंटे तक रह सकते हैं। परेशानी होने के दौरान तुरंत उपयोग किया जाता है।लंबे समय तक काम करने वाले ब्रोंकोडाईलेटर्स को काम शुरू करने में अधिक समय लगता है लेकिन लंबे समय तक टिकते हैं। इन्हें प्रतिदिन लिया जाता है। स्टेरॉयड के साथ जोड़ा जा सकता है। अधिवेशन का उद्घाटन निदेशक प्रो. आरके धीमान ने किया और विभाग के प्रगति पर हर्ष जताया। मेडिकल विवि के प्रो. सूर्यकांत, प्रो. राजेंद्र प्रसाद, प्रो. वेद प्रकाश, प्रो. केबी गुप्ता सहित अन्य लोगों ने सीओपीडी और अस्थमा के बारे में जानकारी दी।    


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