इस साल ही पीजीआइ हार्ट ट्रासप्लांट बनेगा गवाह
हार्ट ट्रांसप्लांट की तैयारी पूरी मरीज की स्क्रीनिंग शुरू
मेडिकल विवि से मिलेगा कैडेवर हार्ट
जागरणसंवाददाता। लखनऊ
लिवर अौर किडनी की तरह रिजेक्शन की अाशंका
प्रो.गौरंग मजूमदार ने बताया कि किडनी अौर लिवर की तरह हार्ट में ट्रांसप्लांट के बाद रिजेक्शन की अाशंका अधिक रहती है। इससे बचाने के लिए पोस्ट सर्जरी फालोअप की जरूरत है। हम लोग हार्ट की बायोप्सी कर हार्ट की कोशिकाअों में पैथोलाजिस्ट देखते है। कोशिका में लिम्फोसाइट, ल्यूकोसाइट सेल की संख्या बढने का मतलब है कि शरीर प्रत्यारोपित हार्ट को स्वीकार नहीं कर रहा है। एेसे में इम्यूनोसप्रेसिव दवाअों के जरिए रिजेक्शन कम करने की कोशिश होती है। बताया कि हार्ट रिजेक्शन रेट सात से अाठ फीसदी तक होता है ।
कृत्रिम हार्ट के लिए सरकार से मिले सहयोग
प्रो.एसके अग्रवाल अौर प्रो.शातनु पाण्डेय ने कहा कि हार्ट फेल्योर होने पर हार्ट ट्रांसप्लांट न होने तक की दशा में हार्ट के सपोर्ट के लिए वेंट्रीकल असिस्टेड डिवाइस(वीएडी) सीने नीचे लगा कर दिल से जोडा जाता है जिससे हार्ट की पंपिग ठीक रहती है। इस वीएडी के जरिए भी पांच से दस साल सामान्य जिंदगी मिल जाती है लेकिन यह डिवाइस की कीमत 75 लाख है जिसके कारण सामान्य व्यकित् इसे नही लगवा पाता है। सरकार जैसे अन्य बीमारियों के इलाज के लिए पैसा देती है वैसे ही वीएडी के लिए भी पैसा देना चाहिए। प्रदेश में हर साल एक हजार लोगों में इसकी जरूरत है। महंगा होने के कारण अाज पीजीआई में किसी भी मरीज यह डिवाइस नहीं लग पाया है।
20 से 25 पीसदी में हार्ट फेल्योर
संस्थान के कार्डियोलाजिस्ट प्रो.अादित्य कपूर अौर प्रो.सत्येंद्र तिवारी ने बताया कि हम लोगों के पास अाने वाले कुल मरीजों में से 20 से 25 में हार्ट फेल्योर की परेशानी होती है। इनमें रूहमेटिक वाल्व डिजीज, रक्त वाहिका में रूकावट अौर कार्डियक मायोपैथी की परेशानी के कारण हार्ट फेल्योर होता है। इस स्थित में हार्ट की मांसपेशियां कमजोर हो जाती है है जिसके कारण हार्ट की पंपिग शक्ति कम हो जाता है। इसके कारण किडनी, लिवर सहित दूसरे अंग भी प्रभावित हो सकते है क्योंकि हार्ट ही पूरे शरीर में रक्त का संचार करता है। हार्ट फेल्योर की स्थित सांस फूलने लगती है। चलना फिरना तक संभव नहीं होता है। इको जांच से हार्ट फेल्योर की स्थित का पता लगता है।
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