कोरोना संक्रमित के लक्षण से लगेगा
कितनी है वेंटीलेटर की जरूरत
1653 कोरोना संक्रमित मरीजों पर शोध के
आधार मिला यह संकेत
कुमार संजय़ । लखनऊ
कोरोना संक्रमित किस मरीज को वेंटीलेटर
की जरूरत पड़ सकती है इसका अंदाजा अब लक्षण के आधार पर लगना संभव होगा। विशेषज्ञों
ने देखा है कि फ्लू की तरह लक्षण( सिर
दर्द, सुंगध में कमी, मांसपेशियों में दर्द, कफ ,
गले
में खरास, सीने में दर्द) की परेशानी लेकिन बुखार नहीं है तो इन संक्रमित
मरीजों में वेंटीलेटर की जरूरत काफी कम पड़ती है। इन लक्षणों वाले केवल 1.5
फीसदी मरीजों वेंटीलेटर या आक्सीजन सपोर्ट
की जरूर पड़ती है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल के
शोध सिम्पटम कल्सटर इन कोविड -19 ए पोटेंशियल क्लीनिकल प्रिडिक्शन ट्यूल फ्रमा द
कोविड सिम्पटम स्टडी एप के हवाला देते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि इन लक्षण के
आधार पर मरीजों को विशेष एहतियात बरतने की जरूरत है। विज्ञानियों ने कोरोना
पीड़ितों को उनके लक्षणों के मुताबिक, अलग-अलग 6 ग्रुप में रखकर शोध
किया लक्षणों के आधार पर बताया इन्हें
वेंटिलेटर की कितनी जरूरत पड़ेगी। अगर लक्षणों के आधार पर इस बात को समझ लें तो
मरीज की हालत नाजुक होने से रोका जा सकता है। शोध कोरोना संक्रमित 1653 मरीजों पर
किया गया है। गंभीर स्तर तीन और पेट , सांस लेने में परेशानी( सिर दर्द,
सुगंध
और भूख में कमीष कफ, बुखार, गले में खरास, चेस्ट पेन, थकान , कंफ्यूजन,
मांस
पेशियों में दर्द, सांस लेने में परेशानी, डायरिया, पेट में दर्द)
के मरीजों में सबसे अधिक वेंटीलेटर की जरूरत पड़ी। संजय गांधी पीजीआइ के आईसीयू
एक्सपर्ट प्रो. जिया हाशिम और डा. अनिल गंगवार कहते है कि लक्षण पर नजर रखना बहुत
जरूरी है यदि लंभीर लेवन थ्री के लक्षण है तो ट्रीट मेंट की विशेष प्लानिंग की
जरूरत होती है।
यह 6 लक्षण वर्ग के मरीज
1.
फ्लू के लक्षण लेकिन बुखार नही( सिर दर्द, सुगंध में कमी,
मासपेशियों
में दर्द, कफ, गले में खरास, सीने में दर्द )
2.
फ्लू के लक्षण और साथ में बुखार( सिर दर्द, सुगंध में कमी,
गले
में खरास, भूख में कमी)
3.
पेट की परेशानी( सिर दर्द, सुगंध में कमी, भूख में कमी,
डायरिया,
गले
में खरास, चेस्ट पेन लेकिन कफ नहीं)
4.
गंभीर स्तर एक और थकना( सिर दर्द, सुगंध में कमी, कफ , फीवर,सीने
में दर्द, थकान
5.
गंभीर स्तर दो और कंफ्यूजन( सिर दर्द, भूख में कमी,
सुगंध
में कमी, कफ, बुखार,गले में खरास, चेस्ट पेन, थकान, मासपेशियों
में दर्द, कंफ्यूजन
6.
गंभीर स्तर तीन और पेट , सांस लेने में परेशानी( सिर दर्द,
सुगंध
और भूख में कमीष कफ, बुखार, गले में खरास, चेस्ट पेन, थकान , कंफ्यूजन,
मांस
पेशियों में दर्द, सांस लेने में परेशानी, डायरिया, पेट में दर्द)
ग्रुप 1 : इस ग्रुप में रहे मरीजों में
अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट से जुड़े लक्षण दिखे। जैसे लगातार खांसी और शरीर का दर्द।
इस ग्रुप में से सिर्फ 1.5% मरीजों को ही वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत पड़ी। 16%
मरीजों को एक या उससे ज्यादा बार ही अस्पताल जाने की नौबत आई।
ग्रुप 2: यह ग्रुप मरीजों को भी अपर
रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट यानी की सांस की नली के ऊपरी हिस्से में तकलीफ थी लेकिन
उन्हें बुखार आता था और खानापान भी सामान्य नहीं था। ऐसे 4.4% मरीजों को वेंटिलेटर
सपोर्ट की जरुरत पड़ी थी और 17.5% लोगों को अस्पताल जाना पड़ा था।
ग्रुप 3: इस ग्रुप में मरीजों को अन्य
लक्षणों के साथ साथ डायरिया जैसी गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल यानी की पेट की बीमारी देखी
गई थी। ऐसे 3.7% मरीजों को वेंटिलेटर सपोर्ट की जरुरत लगी थी और 24% मरीजों को कम
से कम एक बार अस्पताल इलाज के लिए जाना पड़ा था।
ग्रुप 4: अधिक थकावट, सीने
में लगातार दर्द और खांसी जैसे लक्षण मरीजों में दिखे थे। 8.6% मरीजों को
वेंटिलेटर की जरूरत पड़ी जबकि 23.6% लोगों को एक या उससे ज्यादा बार अस्पताल जाना
पड़ा।
ग्रुप 5: इस ग्रुप में घबराहट, अधिक
थकावट और खाना खाने की इच्छा न करने जैसे लक्षण थे। इस ग्रुप के 9.9% मरीजों को
वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत पड़ी। 24.6% मरीजों को अस्पताल जाना पड़ा।
ग्रुप 6: सांस चढ़ना, सांस
लेने में परेशानी, सीने में दर्द, थकावट और पेट की बीमारी जैसे लक्षण इस
ग्रुप के मरीजों में देखे गए। इस ग्रुप के लगभग 20% मरीजों को आर्टिफिशियल ब्रीदिंग
सपोर्ट लेने की जरूरत पड़ी जब की 45.5% लोगों को अस्पताल इलाज के लिए जाना पड़ा
पहले पांच दिन रखनी है नजर
पहले पांच दिन में दिखते लक्षणों और
उम्र पर नजर रखी जाए तो बताया जा सकता है कि मरीज को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ेगी या
नहीं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें