रविवार, 11 अक्तूबर 2020

विश्व अर्थराइटिस दिवस आज 60 फीसदी जोड़ों में खराबी के साथ आते हैं एसजीपीजीआई


 विश्व अर्थराइटिस दिवस आज

60 फीसदी जोड़ों में खराबी के साथ आते हैं एसजीपीजीआई

90 फीसदी अर्थराइटिस मरीज भटकने के बाद जाते हैं विशेषज्ञ के पास

लखनऊ।  कुमार संजय

रूहमैटायड अर्थराइटिस( गठिया) के परेशानी 90 फीसदी मरीज हड्डी के डाक्टर के पास पहले इलाज के लिए जाते हैं। एक डाक्टर के पास फायदा न होने पर कई डॉक्टरों को  अजमाने के बाद वह किसी रूहमैटोलाजिस्ट के पास जाते हैं। इतने में काफी देर हो चुकी होती है। संजय गांधी पीजीआई में आने वाले 60 फीसदी मरीज  जोड़ो में विकृति के साथ आते हैं। जब जोड़ खराब हो चुका होता है तब ऐसे में जोड़ को दोबारा ठीक करना संभव नहीं रहता है।  यह समझना होगा कि अर्थराइटिस एक आटोइम्यून डिजीज है जिसका सही इलाज क्लीनिकल इम्यूनोलाजिस्ट या रूहमैटोलाजिस्ट ही कर सकता है। विश्व अर्थराइटिस दिवस (12 अक्टूबर ) के मौके पर विशेषज्ञों पर कहना है कि सही समय पर सही इलाज मिल जाए जोड़ो को काफी हद तक बचाया जा सकता है। संजय गांधी पीजीआई के क्लीनिकल इम्यूनोलाजी विभाग के प्रो.विकास अग्रवाल और प्रो.दुर्गा प्रसन्ना के मुताबिक अर्थराइटिस कई तरह की होती है लेकिन सबसे अधिक कामन रूहमैटायड अर्थराइटिस और बच्चों में होने वाले जूविनाइल रूहमैटायड अर्थराइटिस है। इस परेशानी से एक दो फीसदी लोग परेशान है। महिलाओं में यह परेशानी पुरूषों के मुकाबले अधिक होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि दवा के मरीज का मूवमेंट इलाज में अहम रोल अदा करता है। इसी लिए इस साल का थीम है मूव टू इंप्रूव यानि बीमारी को ठीक करने के लिए चलें। इस बीमारी से प्रभावित लोगों को हर सप्ताह 150 मिनट या इससे अधिक मध्यम दर्जे का एरोबिक(हल्का) व्यायाम करना चाहिए। मांस पेशियों को मजबूती देने वाली कसरत सप्ताह में दो बार करनी चाहिए। इलाज के लिए डिजीज माडीफाइड दवाएं दी जाती है।

बीमारी का टोकरा बना देती है अर्थराइटिस

रूहमैटायड अर्थराइटिस से का सही समय पर सही इलाज न मिलने पर इस बीमारी से ग्रस्त 15 से 20 फीसदी लोगों में आंखत्वचादिल फेफड़ाकिडनी,  न्यूरोलाजिकल और लिवर की परेशानी हो सकती है। इसके अलावा एनीमिालिम्फोमा और दूसरे तरह के हिमैटोलाजिकल परेशानी हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह आटोइम्यू डिजीज है जो शरीर के दूसरे अंगों के खिलाफ एंटीबाडी बना कर डैमज कर सकता है।

क्या है आटोइम्यून डिजीज

शरीर का इम्यून सिस्मटम शरीर के बीमारीबैक्टीरिया व वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए एंटीबाजी बनाता है। इस सिस्टम में खराबी आने पर सिस्टम शरीर के अंगों को दुश्मन मान कर उसके खिलाफ एंटीबाडी बनाने लगता है। जिस अंग के खिलाफ एंटीबाडी बनती है वह अंग धीरे-धीरे काम करना बंद कर देता है।

 

तीन नई दवाएं जगा रही है नई उम्मीद

अर्थराइटिस के इलाज के लिए तीन दवाएं तैयार हो गयी है जो मरीजों को कोफी राहत पहुंचा सकती है। एंटी इंटर ल्यूरीन 6 रिसेप्टर एंटीबाडी, फास्फोडाइज स्ट्रेज 4 इनहैबिटर दवा मिथोट्रिक्सेट दवा के फेल होने पर काम करती है देखा गया है कि 30 से 40 फीसदी मरीजों में मिथोट्रिक्सेट काम नहीं करता है। जैनुस एसोसिएटेड काइनेज इंहैबिटर दाव की मिथोट्रिक्सेट के कारगर न होने पर प्रभावी है।

 

यह परेशानी तो अर्थराइटिस की आशंका

6 सप्ताह से अधिक शरीर के किसी भी जोड़ में दर्द और सूजन की परेशानी हो तो रूहमैटोलाजिस्ट या क्लीनिकल इम्यूनोलाजिस्ट से सलाह लेना चाहिए।

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