रेजीडेंट डॉक्टरों ने भत्ते के लिए भूख हड़ताल शुरू की
-मांगों के लिए डॉक्टरों ने कैंडिल मार्च निकाला
-मांगों के लिए डॉक्टरों ने कैंडिल मार्च निकाला
वेतन और भत्ते की मांग कर रहे पीजीआई के रेजीडेंट डॉक्टर
एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने सोमवार को बिना कुछ खाये कामकाज किया।
डॉक्टरों का कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांगे नही मान लेती उनकी
सांकेतिक भूख हड़ताल जारी रहेगी। बुधवार से संस्थान के सभी रेजीडेंट
सामूहिक रूप से भूख हड़ताल कर विरोध दर्ज करायेंगे। सोमवार की रात करीब
नौ बजे डॉक्टरों ने कैंडिल मार्च भी निकाला।
पीजीआई रेजीडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. आशुतोष पराशर और महामंत्री
डा. अक्षय का कहना है कि जब सरकार संस्थान के संकाय सदस्यों और
कर्मचारियों को एम्स के समान वेतन और भत्ते देने जा रही है। तो फिर
रेजीडेंट के साथ क्यों अनदेखी कर रही है। 29 जनवरी को प्रयागराज में हुई
कैबिनेट में पीजीआई के संकाय सदस्यों और कर्मचारियों को एम्स के समान
वेतन और भत्ते देने के आदेश कर दिये। जबकि कैबिनेट में रेजीडेंट्स को
नजरअंदाज किया गया है। इससे रेजीडेंट्स में खासी नाराजगी है। रेजीडेंट
एसो. के संयोजक डॉ. अनिल गंगवार बताते हैं कि जब एम्स दिल्ली और पीजीआई
चंडीगढ़ के रजीडेंट्स को सभी भत्ते मिल रहे हैं जो पीजीआई में क्यों नही
दे रहे हैं। सोमवार को रेजीडेंट कोर कमेटी के करीब 10 पदाधिकारी भूख
हड़ताल होने के बावजूद ओपीडी, वार्ड समेत अन्य सभी जगहों पर रोजाना की
तरह ड्यूटी की। डॉक्टरों का कहना है कि जायज मांग के लिए संस्थान के
समस्त रेजीडेंट शांति पूर्वक अपना आन्दोलन जारी रखेंगे।
आउट सोर्सिंग कर्मचारियों ने हड़ताल की धमकी दी
लम्बे समय से वेतन बढ़ाये जाने की मांग कर रहे पीजीआई के आउट सोर्सिंग
कर्मचारियों की नाराजगी बढ़ गई। कर्मचारियों का कहना है कि वह रेजीडेंट
डॉक्टरों के साथ हड़ताल कर सकते हैं। पीजीआई संविदाकर्मचारी यूनियन की
अध्यक्ष अपराजिता तिवारी का कहना है संस्थान में सैकड़ों कर्मचारी छह से
10 हजार रुपये में बीते कई वर्ष से काम कर रहे हैं। कर्मचारियों के वेतन
समेत अन्य समस्याओं के निदान के लिए सात माह पहले पीजीआई निदेशक डॉ.
राकेश कपूर की अगुवायी में बनायी गई कमेटी ने अभी तक कोई रिपोर्ट नही दी
है। इससे संविदा कर्मियों में भारी आक्रोश है। कर्मचारियों का कहना है कि
छह को गर्वनिंग बॉडी की बैठक में संविदाकर्मियों पर कोई फैसला नही लिया
गया तो कर्मचारी संस्थान में सारे कामकाज ठप्प कर हड़ताल करेंगे।
डॉक्टरों का कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांगे नही मान लेती उनकी
सांकेतिक भूख हड़ताल जारी रहेगी। बुधवार से संस्थान के सभी रेजीडेंट
सामूहिक रूप से भूख हड़ताल कर विरोध दर्ज करायेंगे। सोमवार की रात करीब
नौ बजे डॉक्टरों ने कैंडिल मार्च भी निकाला।
पीजीआई रेजीडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. आशुतोष पराशर और महामंत्री
डा. अक्षय का कहना है कि जब सरकार संस्थान के संकाय सदस्यों और
कर्मचारियों को एम्स के समान वेतन और भत्ते देने जा रही है। तो फिर
रेजीडेंट के साथ क्यों अनदेखी कर रही है। 29 जनवरी को प्रयागराज में हुई
कैबिनेट में पीजीआई के संकाय सदस्यों और कर्मचारियों को एम्स के समान
वेतन और भत्ते देने के आदेश कर दिये। जबकि कैबिनेट में रेजीडेंट्स को
नजरअंदाज किया गया है। इससे रेजीडेंट्स में खासी नाराजगी है। रेजीडेंट
एसो. के संयोजक डॉ. अनिल गंगवार बताते हैं कि जब एम्स दिल्ली और पीजीआई
चंडीगढ़ के रजीडेंट्स को सभी भत्ते मिल रहे हैं जो पीजीआई में क्यों नही
दे रहे हैं। सोमवार को रेजीडेंट कोर कमेटी के करीब 10 पदाधिकारी भूख
हड़ताल होने के बावजूद ओपीडी, वार्ड समेत अन्य सभी जगहों पर रोजाना की
तरह ड्यूटी की। डॉक्टरों का कहना है कि जायज मांग के लिए संस्थान के
समस्त रेजीडेंट शांति पूर्वक अपना आन्दोलन जारी रखेंगे।
आउट सोर्सिंग कर्मचारियों ने हड़ताल की धमकी दी
लम्बे समय से वेतन बढ़ाये जाने की मांग कर रहे पीजीआई के आउट सोर्सिंग
कर्मचारियों की नाराजगी बढ़ गई। कर्मचारियों का कहना है कि वह रेजीडेंट
डॉक्टरों के साथ हड़ताल कर सकते हैं। पीजीआई संविदाकर्मचारी यूनियन की
अध्यक्ष अपराजिता तिवारी का कहना है संस्थान में सैकड़ों कर्मचारी छह से
10 हजार रुपये में बीते कई वर्ष से काम कर रहे हैं। कर्मचारियों के वेतन
समेत अन्य समस्याओं के निदान के लिए सात माह पहले पीजीआई निदेशक डॉ.
राकेश कपूर की अगुवायी में बनायी गई कमेटी ने अभी तक कोई रिपोर्ट नही दी
है। इससे संविदा कर्मियों में भारी आक्रोश है। कर्मचारियों का कहना है कि
छह को गर्वनिंग बॉडी की बैठक में संविदाकर्मियों पर कोई फैसला नही लिया
गया तो कर्मचारी संस्थान में सारे कामकाज ठप्प कर हड़ताल करेंगे।
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