पीजीआई में आइसोपीस
कान के पीछे से निकला गले का ट्यूमर
गले पर बिना चीरा निकल जाएगा गले का ट्यूमर
गले में स्थित थायरायड ग्लैंड को रोबोट ने कान के पीछे से गले में पहुंच कर निकाल दिया। रोबोट को निर्देश अनुभवी रोबोटिक इंडो सर्जन देते रहे। रोबोट के कंसोल पर बैठे सेट किए कितने मिमी आंदर कैसे जाना है । कैसे पहुंच कर पूरी ग्रंथि को बाहर निकालना है। इस सर्जरी का शुक्रवार को संजय गांधी पीजीआई में आयोजित इंटरनेशनल सोसाइटी आफ आंकोप्लास्टिक इंडोक्राइन सर्जन(आईसोपीस) के वर्कशाप में किया गया। संस्थान के इंडो सर्जन एवं मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो.अमित अग्रवाल और आयोजक डा. सब्बारत्नम ने बताया कि आगले महीने संस्थान में रोबोटिक सर्जरी शुरू होने जा रही है। इस रोबोटिक सर्जरी से हम लोगों को काफी जानकारी मिली है। इसके आलावा चार और मरीजों में विभिन्न तरीके से थायरायड की सर्जरी हुई। इसके आलावा मुंह के जरिए और कांख के जरिए गले तक पहुंच थायरायड ग्लैड को निकाला गया। इन तकनीक से सर्जरी करने पर गले पर कोई निशान नहीं पड़ता।
हारमोन असंतुल के कारण हो सकता है थायरायड में ट्यूमर
गले में स्थित थायरायड और पैरा थायरायड ग्रंथि में सूजन है तो सावधान हो जाएं। हारमोन असंतुलन की वजह से कई तरह की परेशानी हो सकती है। ग्रंथि में किसी तरह का ट्यूमर होने पर कई बार हारमोन असंतुलन हो सकता है। अब अल्ट्रासाउंड के अलावा इंट्रोआपरेटिव नर्व मानिटिरिंग तकनीक के जरिए गले के अंदर बिना किसी नुकसान के इन ग्रंथियों को निकालना संभव हो गया है।
पैराथायरायड ग्रंथि में च्यूमर हो सकता है ह्डडी कमजोर
इंडोस्रजन प्रो.ज्ञान चंद ने बताया कि पैराथायरायड ग्रंथि में ट्यूमर होने पर हड्डी कमजोर हो जाती है। अब सर्जरी के दौरान ही पैराथायरायड ग्रंथि निकालने के बाद तुरंत इस हारमोन का स्तर देख कर सर्जरी की सफलता का पता लगाते हैं।
यह परेशानी तो इंडोसर्जन से लें सलाह
-गले में सामने की तरफ बीच में गांठ
-गले के किनारे की तरफ गाठ
.आवाज में बदलाव
-सांस लेने में परेशानी
-खाना निगलने में परेशानी
-एक दम से लंबाई बढ़ना
- घेंघा
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