शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2019

इंटरवेंशनल पल्मोनरी पर तीन दिवसीय वार्षिक अधिवेशन -लंबे समय तक खासी तो न करे नजरअंदाज

इंटरवेंशनल पल्मोनरी पर तीन दिवसीय वार्षिक अधिवेशन 



लंबे समय तक खासी तो न करे नजरअंदाज

‘ब्रॉन्कोलॉजी’ पर विशेषज्ञ देंगे व्याख्यान

यदि लम्बे समय से व्यक्ति को खांसी आ रही है। इसे नजर अंदाज  न करे। तुरन्त डॉक्टर की परामर्श लें। अमूमन ये दिक्कत लोगों की सांस की नली एवं फेफड़े में संक्रमण की वजह से होती हैं। इसका सटीक पता लगाने के लिए डॉक्टर ब्रांन्कोस्कोपी की जांच करते हैं। इसकी जानकारी शुक्रवार को पीजीआई के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग द्वारा शुरू हुये तीन दिवसीय वार्षिक अधिवेशन ‘ब्रॉन्कोलॉजी’ में डॉक्टरों ने दी। 
इंडियन एसोशियन फॉर ब्रॉन्कोलॉजी और पीजीआई द्वारा आयोजित अधिवेशन पीजीआई के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख प्रो. आलोक नाथ एवं संयोजक प्रो अजमल खान के नेतृत्व में किया गया है। शनिवार को कार्यशाला में विशेषज्ञ जूनियर डॉक्टरों को सामान्य तथा आधुनिक ब्रान्कोस्कोपिक तकनीकि के बारे में जानकारी देंगे। ताकि वो सांस  एवं फेफड़े के मरीजों को बेहतर इलाज दे सकें। कार्यक्रम के संयोजक प्रो अजमल खान बताते हैं कि सम्मेलन में 500 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। उदघाटन शनिवार को एम्स दिल्ली के निदेशक प्रो. रनदीप गुलेरिया करेंगे। सम्मेलन में पल्मोनरी मेडिसिन का डीएम कोर्स स्थापित करने वाले पल्मोनरी मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. एसके जिन्दल समेत कई विशेषज्ञ मौजूद रहेंगे।

साल में 15 हजार मरीज आते हैं
पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष प्रो आलोक नाथ बताते हैं कि पीजीआई के पल्मोनरी विभाग की स्थापना जुलाई 2009 में प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सेवा योजना के तहत की गई थी। उन्होंने बताया कि विभाग चार संकाय सदस्य तथा 14 सीनियर रेजीडेन्ट हैं। विभाग में सभी प्रकार की जांचे उपलबध हैं। विभाग ने सांस और फेफड़े के मरीजों को बेहतर इलाज देकर उत्तर भारत में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। डॉ. आलोक नाथ बताते हैं कि ओपीडी में करीब 15 हजार मरीज प्रत्येक वर्ष आते हैं।

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