पीजीआई में इंटरनेशनल सोसाइटी आफ आंकोप्लास्टिक इंडोक्राइन सर्जन के अधिवेशन
अब एलास्टोग्राफी से बिना चीरा लग जाएगा थायरायड कैंसर का पता
100 फीसदी तक ठीक हो जाता है थायरायड कैंसर
तीन चरणों में दिया जाता है थायरायड कैंसर का इलाज
अब बिना बायोप्सी के जानना संभव होगा कि गले में स्थित थायरायड ट्यूमर सामान्य है या कैंसर । यह पता करने के लिए संजय गांधी पीजीआइ ने एलास्टोग्राफी तकनीक स्थापित किया है। संस्थान में आयोजित इंटरनेशनल सोसाइटी आफ आंकोप्लास्टिक इंडोक्राइन सर्जन के अधिवेशन में प्रो.अमित अग्रवाल और प्रो. ज्ञान चंद ने बताया कि एलास्टोग्राफी एक तरह का अल्ट्रा साउंड है जिसमें ट्यूमर में प्रेशर देखा जाता है जिसके आधार पर बिना किसी चीरा के कैंसर का पता लगा जाता है। इसके आधार पर इलाज की प्लानिंग की जाती है। विशेषज्ञों ने बताया कि थायरायड ग्रंथि का कैंसर ही ऐसा कैंसर है जिसका पूरा इलाज संभव है। समय से इलाज की दिशा जल्दी तय करनी होती है। बताया कि सौ थायरायड ट्यूमर के मामले में 20 से 25 फीसदी में कैंसर युक्त ट्यूमर देखा गया है। सर्जरी कर पूरी ग्रंथि निकाल देते है। इसके बाद रेडियोआयोडीन थिरेपी देते है जिससे कैंसर के बचे हुए सेल भी मर जाते हैं। इसके आलावा थायरायड सप्रेशन थिरेपी दी जाती है । इन तीन चरणों के इलाज के बाद कैंसर पूरी तरह ठीक हो जाती है।
अधिवेशन के उद्घाटन में प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा डा. रजनीश दूबे ने कहा कि सरकार हर स्तर पर संस्थान को सपोर्ट कर रही है । हमारे लिए संस्थान गर्व का विषय है। काम के जरिए संस्तान ने विश्व स्तर पर मुकाम हासिल कर लिया है। निदेशक प्रो.राकेश कपूर ने कहा कि मार्च के अंत तक संस्थान में रोबोट आ जाएगा जिसके बाद रोबोटिक सर्जरी शुरू हो जाएगी।
जरा सी गल्ती से चली जाती है आवाज
विशेषज्ञों ने बताया कि थायरायड की सर्जरी में जार सी गल्ती होने पर आवाज की नस कट जाती है जिससे आवाज चली जाती है। हम लोग सर्जरी के समय न्यूरो मानीटरिंग कर आवाजा की नस को बचा लेते हैं। कई बार आवाज जाने के बाद मरीज आते है ऐसे में थायोप्लास्टी कर 65 फीसदी मामलों मे दोबारा आवाजा ला सकते हैं।
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