पीजीआई में ब्रांकोकान-2019
फेफडे के पानी से होगी टीबी की पुष्टि
शक के आधार पर नहीं खानी होगी टीबी की दवा
फेफडे के एक्स-रे में दिखता टीबी लेकिन होती है दूसरी परेशानी
जागरण संवाददाता। लखनऊ
अब टीबी की दवा केवल उन्ही को खानी पड़ेगी जिनको टीबी की बीमारी है। ब्रांकोस्कोपी के जरिए फेफडे से लवाज( तरल द्रव) लेकर उसमें टीबी की पुष्टि करना संभव हो गया है। कई बार टीबी के मरीज में बलगम नहीं आता है । ऐसे में टीबी की पुष्टि नहीं हो पाती है। इनमें लवाज लेकर जीन एक्सपर्ट जांच कराते है इससे पुष्टि हो जाती है। इस तकनीक से पुष्टि करने पर बिना वजह दवा खाने से मरीज बच जाते हैं। संजय गांधी पीजीआई मे आयोजित ब्रोकोस्कोपी पर आयोजित अधिवेशन में प्रो. जिया हाशिम ने बताया कि कई बार एक्स-रे में टीबी जैसा फेफडा दिखायी पड़ता है इनमें परेशानी कैंसर, आईएलडी. एलर्जी ब्रांको पल्मोनरी स्परजिलोसिस , सारकायड की परेशानी होती है। इसी आधार पर टीबी की दवा चल जाती है। ब्रांकोस्कोपी से टीबी के आलावा दूसरी बीमारी की पुष्टि हो जाती है। प्रो.आलोक नाथ ने बताया कि जहां पर इस जांच की सुविधा नहीं है वहां पर 50 प्रतिशत तक लोगों को शक के आधार पर टीबी की दवा दी जाती है।
टीबी के इलाज से पहले एमडीआऱ की पुष्टि जरूरी
प्रो.आलोक नाथ ने कहा कि टीबी की दवा शुरू करने से पहले एमडीआर( ड्रग रजिस्टेट) की पुष्टि कर लेनी चाहिए। देखा गया है कि फर्सट लाइन का इलाज शुरू कर दिया जाता उससे फायदा नहीं मिलता बाद में दूसरी दवाएं जोडी जाती है। इस लिए पहले से एमडीआऱ की पुष्टि कर ट्रीटमेंट प्लान करने की जरूरत है।
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