गुरुवार, 31 जनवरी 2019

पीजीआई रेजीडेंट डाक्टरों ने की एक संस्थान -एक विधान की मांग भत्ते न मिलने से होगा डाक्टरों का पलायन




पीजीआई रेजीडेंट डाक्टरों ने की एक संस्थान -एक विधान की मांग
भत्ते न मिलने से होगा डाक्टरों का पलायन


संजय गांधी पीजीआइ के रेजीडेंट डाक्टर एसोसिएशन ने एक संस्थान -एक विधान की मांग की है। एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. आशुतोष एवं महामंत्री डा. अक्षय सहित अन्य ने पत्रकार वार्ता कर कहा कि हम लोगों को संकाय सदस्यों की तरह एम्स के वेतन और भत्ते दिए जाएं। हाल में ही कैबिनेट संस्थान के शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक कर्मचारियों को एम्स के समान वेतन और भत्ते देने का फैसला लिया लेकिन हम लोगों को कोई जिक्र है। हम लोगों को ट्रांसपोर्ट एलाउंस सहित अन्य भत्ते न देने की मंशा है जबकि यह एम्स दिल्ली और पीजीआई चंडीगढ़ में दिया जा रहा है। मध्य प्रदेश सरकार के अधिकारी यहां आकर हम लोगों को आमंत्रित कर रहे है अलग से भत्ते देने को कह रहे है क्योंकि वहां पर डाक्टर नहीं मिल रहे हैं। ऐसे हालात यहां भी पैदा करने की कोशिश की जा रही है। हम लोग 14 से 18 घंटे काम करते है। भत्ते न मिलने पर रेजीडेंट डाक्टरों का पलायन होगा। अभी पहली प्राथमिकता पीजीआई लखनऊ रहती है।  संस्थान का देश के टाप  चार संस्थान में नाम है जिसमें रेजीडेंट डाक्टर का बडा रोल है। एम्स और पीजीआई चंडीगढ में हम लोगों को संकाय सदस्यों के साथ ही शैक्षणिक संवर्ग माना जाता है। संस्थान में 70 हजार हर साल फीस है जबकि राजस्थान में 18050 रूपया फीस है यहां पर कम वेतन दिया जाता जो फीस से एडजस्ट हो जाता है। निदेशक प्रो. राकेश कपूर का कहना है कि नियमानुसार जो हक होगा इन्हे मिलेगा।  

शैक्षणिक संवर्ग का यह तर्क
- मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया के नियमानुसार  रेजीडेंट के तीन साल को सहायक प्रोफेसर की तैनाती में शैक्षणिक अनुभव माना जाता है 
- एम्स दिल्ली और पीजीआई चंडीगढ़ में हम लोगों को संकाय सदस्यों के साथ रखा गया है
- रेजीडेंसी रूल के अनुसार सारे भत्ते देय है
- सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट में भी रेजीडेंट डाक्टरों को सारे भत्ते देय है 


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