पीजीआइ ने खोजा एंजियोप्लास्टी के सुरक्षित बनाने का नुस्खा
टीएमजेड करेगा एंजियोप्लास्टी के दौरान दिल की मासपेशियों की रक्षा
एंजियोप्लास्टी के सात दिन पहले से ही देनी होगी टीएमजेड की खुराक
कुमार संजय। लखनऊ
एंजियोप्लास्टी को और सुरक्षित बनाने का नुस्खा संजय गांधी पीजीआइ के हृदय रोग विशेषज्ञों ने खोज है। इस खोज को
इंडियन जर्नल आफ हार्ट ने स्वीकार किया है। विशेषज्ञों ने दिल के 98 मरीजों में शोध के बाद कहा है कि एंजियोप्लास्टी( प्रीक्यूटेनियस कोरोनरी इंटरवेंशन) के सात दिन पहले यदि मरीज को ट्राइमीटाजाइडीन रोज 70 मिलीग्राम दियाजाए तो इंटरवेंशन के दौरान के दौरान दिल की मांसपेशियों को होने वाले नुकसान में कमी लायी जा सकती है। संस्थान के हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो.आदित्य कपूर की अगुवाई में
हुए शोध में शामिल, प्रो. सुदीप कुमार, प्रो, नवीन गर्ग , प्रो.सत्येंद्रतिवारी, प्रो. रूपाली खन्ना, डा.
दानिश, डा. अर्चना सिन्हा, डा.
पी अंबेश, डा. श्रीधर कश्यप ने रोल आफ मेटाबोलिक मनीपुलेटर इन लिमिटिंग पीसीआई
इंड्यूज्ड मयोकार्डियल इंजरी विषय पर शोध किया। दिल के 48 मरीजों को टीएमजेड 35
मिग्री दो बार इंटरवेशन से पहले दिया गया। 50 मरीजों को पहले से तय मानक पर रखा गया। दोनों वर्ग के मरीजों में दिल की
इंजरी को बताने वाले ट्रोपोनिन –आई और सीके ( क्रेटनिन
काइनेज) एमबी का स्तर खून में आठ घंटे और 24 घंटे पर देखा गया। पता चला कि टीएमजेड
पर रहने वाले मरीजों के दिल की मांसपेशियों में इंजरी का स्तर बताने वाले मार्कर
का स्तर कम था। इससे साबित हुआ कि टीएमजेड एंजियोप्लास्टी करने से
पहले शुरू कर दिया जाए तो दिल की मांसपेशियों में इंजरी कम होगी। प्रो. आदित्य
कपूर ने कहा कि दिल की बीमारी के इलाज एंजियोप्लास्टी काफी अहम साबित हो रही है 70
फीसदी से अधिक लोगों में औपेन सर्जरी की जरूरत खत्म हो गयी है। इस तकनीक को और
सुरिक्षत बनाने में यह काफी महत्व पूर्ण है।
क्या है करता है टीएमजेड
ट्राइमीटाजाइडीन मेटाबोलिक माडीलयूलेटर है जो फैटी एसिड को कार्बोहाइड्रेट में
बदलता है। इससे दिल की मांसपेशियों में आक्सीडेशन बढ़ जाता है। दिल में रक्त
प्रवाह बढ़ जाता है। इससे दिल की मांसपेशियों में इंजरी कम होती है। मांसपेशियों
में अधिक इंजरी से दिल की पंपिंग क्षमता कम हो जाती है। इससे कई बार हार्ट फेल्योर
की स्थित हो जाती है।
क्या है एंजियोप्लास्टी और कब पड़ती है जरूरत
एंजियोप्लास्टी ब्लॉक हो चुकी दिल की धमनियों को सर्जरी से खोलने का एक तरीका
है। इसमें नस के जरिए जहां रूकावट होती है वहा पहुंत कर उसे खोल कर उस जगह पर
दोबारा सिकुडन हो इसके लिए स्टंट लगाया जाता है। कोरोनरी धमनियां दिल की
मांसपेशियों को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों से भरपूर रक्त की आपूर्ति करती हैं। जब इन
धमनियों में रुकावट आ जाती है तो ये हृदय की मांसपेशियों तक सही ढंग से ब्लड की
सप्लाई नहीं कर पातीं। नतीजतन इससे एन्जाइना पेन (सीने में दर्द ) शुरू हो जाता
है। ऐसी स्थिति में कुछ रोगियों को एंजियोप्लास्टी की आवश्यकता हो सकती है।
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