....हर पांचवा स्लीपिंग डिसआर्डर का शिकार
डिसआर्डर के शिकार 20 फीसदी ले रहे है गोली के सहारे नींद
स्लीपिंग पिल खडी कर सकता है कई परेशानी
कुमार संजय। लखनऊ
देश और प्रदेश के हर पांचवें व्यक्ति स्लीपिंग डिसआर्डर का शिकार है। इनमें से 20.3 फीसदी लोग इस परेशानी से स्लीपिंग पिल का सहारा लेते हैं। विशेषज्ञों का कहना है यह सही है कि कुछ समय के लिए यह गोलियां सुकून देती हैं लेकिन इनकी आदात डाल लेना परेशानी खडी करता है। डॉक्टरों की मानें तो नींद की गोलियां ज्यादा खाने से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। वैज्ञानिकों ने नींद की दवाओं में मौजूद तत्व जोपिडेम को दिल की बीमारियों की वजह बताया है। रोजमर्रा के रूटीन में फेरबदल कर नींद की गोलियों से बचा जा सकता है। संजय गांधी पीजीआई के न्यूरोलाजिस्ट प्रो.संजीव झा कहते है कि भाग-दौड़ की जिंदगी, जिंदगी की रेस में आगे निकलने की चाहत, तनाव, सोशल मीडिया( फेसबुक, व्हाटसअप आदि) पर अधिक समय देने के साथ खान पान स्लीपिंग डिसआर्डर का बडा कारण है।
कोमा का खतरा
जो लोग रोज एक गोली लेने के बजाए उससे ज्यादा गोलियां खाते हैं, उनके कोमा में जाने का खतरा होता है। रीढ़ की हड्डी और दमे की दिक्कत वाले मरीजों के लिए यह खतरा और ज्यादा होता है। इन गोलियों से ब्लड प्रेशर, सिरदर्द और स्नायु संबंधी रोग हो जाते हैं।
याददाश्त बिगड़ना
लंबे समय तक नींद की गोलियां लेने से याददाश्त कमजोर हो जाती है। नींद की गोलियां नर्वस सिस्टम को कमजोर कर देती हैं। इससे नर्वस सिस्टम संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। रक्त नलिकाओं में थक्के भी बन जाते हैं। हाई डोज में गोलियां लेने से भूख घट जाती
थकान महसूस होना
रोजाना नींद की गोलियां लेने से हर समय आलस्य, सुस्ती और थकान रहती है।
मोटे लोगों के लिए खतरा अधिक
वैसे लोग जो मोटापे का शिकार हैं उन्हें तो भूल से भी नींद की गोलियां नहीं लेनी चाहिए वरना खतरा बढ़ जाता है।
कैसे लें अच्छी नींद
- एल्कोहल से बचे
- सोने के दो घंटे चाय, काफी न लें कैफीन का असर से तीन से चार घंटे रहता है
- डिनर और जंक फूड में सैचुरेटेड फैट होता है जो पाचन सिस्टम को धीमा करता है इससे नींद नहीं आती है।
- डार्क चाकलेट न लें इसमें थ्रिएब्रोमाइन नाम का उत्तेजक पदार्थ होता है हार्ट रेट बढाता है। बेचैनी के साथ असहजता महसूस होती है।
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