कैस्प थिरेपी से आएगी स्ट्रोक के बाद हाथ-पैर में जान
पीजीआइ के न्यूरोलाजिस्ट प्रो.सुनील प्रधान ने खोजा नया तरीका
न्यूरोलाजी इंडिया मेडिकल जर्नल किया नए तरीके की थिरेपी को स्वीकार
कुमार संजय। लखनऊ
संजय गांधी पीजीआइ के न्यूरोलाजिस्ट पदम श्री प्रो.सुनील प्रधान ने ब्रेन स्ट्रोक के बाद मरीजों के हाथ -पैर में जान (ताकत) डालने के लिए नया तरीका खोजा है। कैस्प( करेक्टेड एसिस्सटेड सिंक्रोनाइज्ड पियारोडिक ) थिरेपी नाम दिया है। इस थिरेपी के सफलता जानने के लिए स्ट्रोक के बाद 61 मरीजों पर शोध किया । 31 मरीजों को कैस्प थिरेपी के अनुसार हाथ-पैर का एक्ससाइज कराया और 30 मरीजों को प्रचलित फिजियोथेरेपी के जरिए एक्साइज कराया। तीन से 6 महीने थिरेपी देने के बाद हाथ-पैर में कमजोरी में कमी, मांसपेशियों की दृढ़ता का स्कोर देखा तो पता चला कि कैस्प थिरेपी वाले मरीजों प्रचलित तरीके के मुकाबले कैस्प थिरेपी वाले मरीजों के हाथ-पैर में कमजोरी अधिक दूर हुआ। मांशपेशियों की जकड़न भी कम हुई। इस थिरेपी के न्यूरोलाजी इंडिया स्वीकार करते हुए कहा है कि इस थिरेपी से स्ट्रोक के मरीज को अधिक दिनों तक दूसरे के सहारे नहीं रहना पड़ेगा। प्रो.सुनील प्रधान का कहना है कि स्ट्रोक के बाद मरीजों की मांशपेशियां में जकड़न हो जाती है। मांश पेशियां कमजोर हो जाती है जिसके कारण ज्वाइंट मे भी जकड़न हो जाती है। इस कारण मरीजों दूसरे पर आश्रित रहता है। यंग ऐज के लोग काम पर नहीं जा पाते है जिसके कारण वह मानसिक और सामाजिक रूप से कमजोर हो जाते हैं।
क्या है कैस्प थिरेपी
- हाथ-पैर को सही स्थित में लाना
- जितना हाथ-पैर अपने -आफ चला सकता है उससे आगे सहारा देकर चलाना
- शरीर के दूसरे हाथ का सहारा न लेना
- इस प्रक्रिया को दोर से पांच से 6 बार करना
पांच मिनट में ही आ गया हल्का सुधार
गोंडा की रहने वाली 86 वर्षीय जामवंती देवी के तीन महीने पारसियल ब्रेन स्ट्रोक पडा जिसके कारण बायां हिस्से में कमरोजी आ गयी है। इनके बेटे प्रेम शंकर डाक्टर को दिखाए तो उन्होंने दवा के साथ सामान्य मालिश करने की सलाह दी। इससे खास सुधार न होने पर वह माता को लेकर पीजीआई न्यूरोलाजी ओपीडी में प्रो.सुनील प्रधान के पास आए उऩ्होंने सीटी स्कैन देखने के बाद बताया कि ब्रेन स्ट्रोक के कारण कमजोरी आयी है । इनका हाथ बहुत कम चल रहा था । प्रो.प्रधान ने कैस्प थिरेपी के तहत हाथ का एक्ससाइज पांच मिनट कराया तो हल्की -हल्की मुट्ठी बंद होने लगी। हाथ थोड़ा -थोडा आगे पीछे होने लगा।
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