बुधवार, 24 जनवरी 2018

.ताकि बुझे न किसी के घर का चिराग--पीजीआई के पीआरअो सोती जी का अभियान

.ताकि बुझे न किसी के घर का चिराग

इकलौते बेटे की सड़क हादसे में हुई मौत के बाद शुरू किया सड़क सुरक्षा अभियान

बेटे के जन्मदिन एवं पुण्यतिथि पर करते है बड़े कार्यक्रम




 ‘जाके पैर न फटे बिवाई वो का जानै पीर पराई’ इस कहावत को इन्होंने अपने जीवन में चरितार्थ कर लिया। यहां हम बात कर रहे हैं सड़क हादसे में इकलौते बेटे की मौत का गम दबाए पीजीआइ के जनसंपर्क अधिकारी आशुतोष सोती की। हादसे में बेटे की मौत के कुछ दिन बाद ही बेटे के नाम से ‘शुभम सोती फाउंडेशन’ की स्थापना कर उन्होंने सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान शुरू कर दिया। इसके माध्यम से वह जन-जन को सड़क सुरक्षा के लिए जागरूक कर रहे हैं ताकि, किसी और के घर का चिराग न बुङो।1बेटे के जन्मदिन और पुण्यतिथि पर करते हैं कार्यक्रम : आशुतोष सोती इकलौते बेटे शुभम के जन्मदिन पांच जनवरी और पुण्यतिथि 15 जुलाई को सड़क सुरक्षा से सबंधित बड़े कार्यक्रम करते हैं। बेटे के जन्मदिन पर छात्र-छात्रओं को बुलाकर यातायात सुरक्षा के संबंधित प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता कराकर पुरस्कार वितरण करते हैं। रोड सेफ्टी पर काम कर रहीं संस्थाओं और ट्रैफिक पुलिस कर्मियों का सम्मान समारोह का आयोजन करते हैं। लाडले की पुण्यतिथि पर सड़क सुरक्षा कार्यक्रम का आयोजन कर सैकड़ों हेलमेट बांटकर ‘सिर सुरक्षित सब सुरक्षित’ बिना हेलमेट के दोपहिया वाहन न चलाने का संदेश जन-जन में प्रसारित करतें हैं।

सड़क हादसे आधे करने का लक्ष्य : आशुतोष सोती बताते हैं कि आकड़ों के मुताबिक हर चार मिनट में एक सड़क हादसा होता है। प्रति वर्ष पूरे देश में करीब डेढ़ लाख, प्रदेश में 15 हजार से अधिक और लखनऊ में 550 से अधिक लोगों की सड़क हादसे में मौत होती है। मरने वाले 70 प्रतिशत लोग 18 से 40 वर्ष के होते हैं। उन्होंने बताया कि उनका लक्ष्य है कि वह अपने जीवन काल में पूरे भारत में इतनी जागरूकता कर दे कि जन-जन प्रशिक्षित हो जाए और कम से कम हादसों की संख्या आधी हो जाए। उन्होंने कहा कि वह जल्द ही पीजीआइ संस्थान से स्वैछिक सेवानिवृत्ति लेकर पूरी तरह से रोड सेफ्टी जागरुकता करेंगे। 

पांच से 10 मिनट की लेट लतीफी को कवर करने में जाती है जानें : उन्होंने बताया कि शहर के अंदर होने वाले अधिकतर हादसे पांच से 10 मिनट की लेट लतीफी को कवर करने के कारण होते हैं। यह लोग ऑफिस, व्यवसायिक प्रतिष्ठान एवं स्कूल-कॉलेज जाने वाले एवं डिलीवरी मैन होते हैं। जो जल्दी पहुंचने के चक्कर में सड़क पर फर्राटा भरते हैं।

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